केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने की छात्रों से ऑनलाइन मुलाकात, लॉकडाउन खुलने के बाद भी 25% शिक्षा होती रहेगी ऑनलाइन
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केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का सतत प्रयास है कि विद्यार्थियों का शैक्षणिक समय खराब ना हो। प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान की वजह से ही आज हम देश भर के छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा दे पा रहे हैं...
जनज्वार ब्यूरो, दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने मंगलवार को देशभर के छात्रों से ऑनलाइन मुलाकात की। इस दौरान निशंक ने छात्रों की समस्याएं जानी और उनके प्रश्नों का उत्तर दिया।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, 'आप सब इस देश का भविष्य हैं और इस संकट काल में जिस तरह से आप सभी ने धैर्य का परिचय दिया है उससे यह साबित होता है कि हम कोरोना के साथ जंग में मजबूती से खड़े हैं और बहुत जल्द इससे ये जंग जीत भी जाएंगे।'
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'आप सब को इस समय किसी भी चीज से परेशान होने की बजाय सिर्फ अपनी पढ़ाई पर, अपने कौशल विकास पर और अपनी रचनात्मकता को बढ़ाने में ध्यान देना चाहिए। मैं आप सभी को यह विश्वास दिलाता हूं कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय आपकी पढाई और भविष्य के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। आप सभी मंत्रालय द्वारा चलाये जा रहे दीक्षा, ई-पाठशाला, मुक्त शैक्षिक संसाधनों का राष्ट्रीय भंडार (एनआरओईआर), स्वयं, डीटीएच चैनल स्वयंप्रभा इत्यादि द्वारा अपनी पढ़ाई जारी रखें।'
इन सब के बीच निशंक ने यह भी कहा, 'मानव संसाधन विकास मंत्रालय का सतत प्रयास है कि विद्यार्थियों का शैक्षणिक समय खराब ना हो। प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान की वजह से ही आज हम देश भर के छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा दे पा रहे हैं।'
उन्होनें छात्रों को अवगत कराया कि मंत्रालय के दीक्षा प्लेटफार्म पर 80,000 से ज्यादा पाठ्यसामग्री उपलब्ध है जिसका लाभ 33 करोड़ छात्र कहीं से भी और कभी भी उठा सकते हैं।
वहीं सभी कॉलेजों में वायवा ऑनलाइन लेने की सिफारिश भी की गई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) द्वारा गठित की गई विशेष कमेटी ने यह सिफारिश की है, जिसे स्वीकार किया जा चुका है। इस कमेटी के अध्यक्ष हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति आर सी कुहाड़ हैं।
आर सी कुहाड़ ने कहा, 'कोरोना संकटकाल के उपरांत भी यदि सामान्य दिनों में पढ़ाई का 25 प्रतिशत हिस्सा ऑनलाइन माध्यमों के जरिए पूरा किया जाए तो यह बदलते समय के अनुरूप उपयुक्त होगा। विश्वविद्यालय इस दिशा में प्रयासरत है और मानव संसाधन विकास मंत्री भी इस विषय को लेकर लगातार प्रयासरत। अब ऑनलाइन अध्ययन समय की मांग है।'
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यूजीसी द्वारा गठित इस विशेष कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'वार्षिक परीक्षा 50 फीसदी अंकों की होनी चाहिए जबकि अन्य 50 फीसदी अंक पूर्व में आयोजित सेमेस्टर परीक्षा के प्रदर्शन पर आधारित किए जाएं। इसके अलावा अकाद्मिक सत्र 2020-21 में 40 फीसदी पाठ्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से करवाएं जा सकते हैं।'
उच्च शिक्षा को लेकर तैयार किए गए कार्यक्रम में एमफिल और पीएचडी के छात्रों को विशेष राहत प्रदान की है। एमफिल और पीएचडी करने वालों को थीसिस जमा करने के लिए तय आखिरी तारीख से 6 माह और दिए जाएंगे।