जेएनयू हिंसा मामले में क्या झूठ बोल रहे हैं वीसी, आरटीआई के बाद उठ रहे है सवाल
जेएनयू में हुई हिंसा पर जहां जेएनयू के वाइस चासंलर एम जगदीश कुमार का छात्रों को लेकर बड़ा बयान आया था। वहीं आरटीआई के तहत मिली जानकारी वाइस चासंलर के बयान को कटघरे में खड़ा करती है...
जनज्वार। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 5 दिसंबर को हुई घटना को लेकर एक नया मामला सामने आया है। जहां जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर जेएनयू के वाइस चांसलर जगदीश कुमार ने हमलावर छात्रों पर सर्वर और सीसीटीवी को तोड़े जाने के आरोप लगाए थे। वहीं आरटीआई से मिली जानकारी से दावा किया गया है कि हिंसा में सर्वर और सीसीटीवी कैमरें को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है।
जरासल नेशनल कैंपेन फॉर पीपुल्स राइट टू इन्फॉर्मेशन के सदस्य सौरव दास की ओर से 9 जनवरी को दायर की गई आरटीआई पर यूनिवर्सिटी के कम्युनिकेशन एंड इन्फॉर्मेशन सर्विस की तरफ से जवाब दिया गया है। जो जेएनयू के वाइस चांसलर के ऊपर सवाल खड़ा करता है।
जिसमें यूनिवर्सिटी के सर्वर रूम और सीसीटीवी के कैमरे को तोड़े जाने की बात को नकार दिया गया है। आरटीआई में सीआईएस की तरफ से जवाब में बताया गया है कि हिंसा के दौरान एक भी बायोमेट्रिक सिस्टम को नष्ट नहीं किया गया है। वही जेएनयू कैंपस के नॉर्थ या मेन गेट पर लगे चार सीसीटीवी कैमरे को किसी तरह से कोई नुकसान नहीं हुआ हैं।
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दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार 5 दिसंबर की शाम छह बजे के करीब 50 से 60 की संख्या में आए नकाबपोश बदमाशों ने कैम्पस और साबरमती समेत अन्य हॉस्टलों के अंदर घुसकर छात्रों पर हमला कर दिया था और हॉस्टल के अंदर तोड़फोड़ की थी। हमला करने वालों के हाथों में लाठी, रॉड हॉकी आदि थे।
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लगभग तीन घंटे तक परिसर में अराजकता फैलाने के बाद ये हमलावर आराम से बाहर निकल गए थे और जेएनयू मेन गेट पर मौजूद पुलिस ने किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की थी। इस हमले में जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आईशी घोष और प्रोफ़ेसर सुचित्रा सेन समेत कई छात्र और शिक्षकों को गंभीर चोटे आई। घायलों को एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती करवाया गया था।
जेएनयू में हुई हिंसा पर जहां जेएनयू के वाइस चासंलर एम जगदीश कुमार का छात्रों को लेकर बड़ा बयान आया था। हमले पर आज तक में दिए गए इंटरव्यू में जेएनयू के वीसी जगदीश कुमार ने छात्रों पर आरोप लगाया था कि हमलावर छात्रों ने ना केवल कैंपस के सर्वर रूम को तोड़ा था। ब्लकि सिस्टम को वापिस चलाने में प्रशासन को तीन दिन का समय लग गया था।
हमारे सभी ऑपरेशन चाहे वह डिग्री से संबंधित काम हो या कोई भी सहायता सभी काम इन्हीं सर्वर पर ही किेए जाते थे। लेकिन डेटा सेंटर पर हुए हमले से यूनिवर्सिटी का सारा कामकाज ठप हो गया हैं।
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हमले को लेकर वीसी जगदीश का कहना था की जिन नकाबपोश लोगों ने यूनिवर्सटी पर हमला किया था वो छात्र यहीं के थे हम हमलावरों पर कोई धारणा नहीं बनाना चाहते हैं। उन्होंने पूरी घटना को बताते हुए कहा था कि रविवार की रात को करीब 150 छात्र हॉस्टल की और बढ़े थे। जिसके बाद जेएनयू के सुरक्षा गार्ड वहां पहुंचे और जब हालात गंभीर हो गए तो हमने पुलिस को अंदर बुलाया था।
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मामले पर जेएनयूएसयू के जनरल सेक्रेटरी सतीश ने बताया कि जेएनयू के वाइस चांसलर को यूनिवर्सिटी के छात्रों के खिलाफ नहीं बोलना चाहिए था। ब्लकि उनको छात्रों को सुरक्षा देनी चाहिए की अगर कोई छात्र आंदोलन चला रहे है तो उनकी कुछ मांग होगी उनकी मांगों को सुनना चाहिए थे। लेकिन इसके विपरीत हमारे वीसी छात्रों को बदनाम करने के लिए छात्रों पर ही आरोप लगा देते हैं।
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हालांकि अब आरटीआई के जारिए इस बात का खुलासा हो चुका है कि किसी तरह की कोई तोड़फोड़ नहीं कि गई थी। जो बात हम शुरू से कहते रहे है। लेकिन बाहर के लोगों को दिखाने के लिए वीसी झूठ बोल रहे है। हम लोग आरटीआई के आने के बाद मांग करते है कि वीसी को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
सतीश बोलते है कि हम लोगों को पता था कि सीसीटीवी को तोड़ा नहीं गया है। जिसके कारण हम लोगों ने सीसीटीवी के जरिए हमलावरों को पहचान करने की भी मांग की थी। लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं की गई। अब जब प्रशासन की तरफ से बोल दिया गया है कि सीसीटीवी में किसी तरह की कोई तोड़फोड़ नहीं की गई। तो सीसीटीवी से हमलावरों का पता लगाना चाहिए। लेकिन वीसी अपने खास लोगों को बचाने के लिए फुटेज नहीं दिखा रहे है।