जामिया गोलीकांड के बाद CAA के खिलाफ रणनीति में बदलाव करेंगे शाहीनबाग के आंदोलनकारी?
जनज्वार। दिल्ली के जामिया इलाके में सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान एक हिंदूवादी युवक के द्वारा फायरिंग के बाद अब ये बहस शुरू हो गई है कि इस गोलीगांड के बाद अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या शाहीन बाग आंदोलन बंद हो जाएगा या रूक जाएगा। क्या शाहीन बाग आंदोलन के नेता अब अपनी रणनीति में बदलाव करेंगे। केंद्र की मोदी सरकार और हिंदुत्ववादी संगठन शाहीन बाग के आंदोलन को किसी तरह खत्म करना चाहती है लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कुछ दिन ही शेष हैं, इसलिए बड़ी कार्रवाई से भी बच रही है।
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शाहीनबाग और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पिछले 45 दिनों से लगातार प्रदर्शन किए जा रहे है। लोग नागरिकता संशोध कानून के विरोध में सड़कों पर बैठे हुए हैं। ऐसे में प्रदर्शनों के बीच में जामिया कॉऑडिनेशन कमेटी ने 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर राजघाट तक नौ किलोमीटर लंबा मार्च निकालने का आह्रान किया था।
दिल्ली के चुनावी माहौल में भारतीय जनता पार्टी के छोटे से बड़े नेता शाहीन बाग को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कई छोटे बड़े कई अपनी रैलियों में कई बार शाहीन बाग को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं। शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कई तरह से अभियान चलाया गया कि यहां बैठने वाले प्रदर्शनकारी 500 रूपये लेते हैं, शाहीनबाग को आईएसआईएस का मैदान नहीं बनने दिया जाएगा लेकिन ये हथकंडे शाहीनबाग के लोगों की एकता को नहीं हिला पा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी हाल ही में खूब भड़काऊ भाषण दिए। उन्होंने समर्थकों को 'देश के गद्दारों को गोली मारों सालों को' जैसे नारों के लिए उकसाया जिसका नतीजा आज रामभक्त गोपाल के रूप में देश ने देखा।
देश के गृहमंत्री अमित शाह ने नजफगढ़ में चुनावी रैली को सम्बोधित करते हुए कहा था कि आपका वोट बताएगा कि आप शाहीन बाग के साथ हैं या भारत माता के साथ। आप लोग इतने जोर से ईवीएम का बटन दबाएं कि करंट सीधा शाहीन बाग़ में लगे। ऐसे भड़काऊ बयानों के बावजूद शाहीन बाग के लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
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सरकार के मंत्रियों और नेताओं ने कभी शाहीन बाग़ जाना या उन लोगों से बात करना उचित नहीं समझा बल्कि शाहीन बाग के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी करना शुरू कर दिया ताकि देशभर के लोग उन्हें देशद्रोही समझने लग जाएं। बहरहाल जामिया के गोलीकांड के बाद अब सवाल यह उठने लग गए हैं कि क्या सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे शाहीन बाग के आंदोलनकारी अपने विरोध प्रदर्शन की रणनीति बदलेंगे?