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50.9 लाख नर्सिंग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है विश्व, जानिए "विश्व नर्सिंग रिपोर्ट-2020" क्या कहती है?

Ragib Asim
9 April 2020 7:07 PM IST
50.9 लाख नर्सिंग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है विश्व, जानिए विश्व नर्सिंग रिपोर्ट-2020 क्या कहती है?
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वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाईजेशन (डबल्यूएचओ) इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स (आईसीएन) और नर्सिंग नाउ की सयुंक्त रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व में केवल 2.8 करोड़ नर्स ही हैं। 2013 और 2018 के बीच नर्सिंग की संख्या में 40.7 लाख की वृद्धि हुई, लेकिन फिर भी विश्व में 50.9 लाख नर्सिंग स्टाफ की कमी है....

जनज्वार। कोविड-19 महामारी ने यह दिखा दिया है कि हमारे जीवन में स्वास्थ्य कर्मियों की कितनी जरूरत है। खासकर, नर्सिंग स्टाफ की। स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ होने के बाद भी कभी भी नर्सिंग के मूल्य को अधिक स्पष्ट रूप से प्रदर्शित नहीं किया गया। जब आज सारी दुनिया कोविड-19 महामारी के खिलाफ उन्हें करुणा, बहादुरी और साहस से लड़ते हुए देख रही है, तो उनका महत्व समझ में आ रहा है। इसीलिए सरकारों को नर्सिंग शिक्षा, नौकरियों, प्रशिक्षण और नेतृत्व में बहुत अधिक निवेश करने की जरूरत है। नर्सों, दाइयों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के बिना कोई भी देश कोविड-19 जैसे प्रकोप के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ सकता या यह कहें कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य के साथ ही सतत विकास के लक्ष्यों को भी प्राप्त नहीं कर सकता है। यह बातें विश्व नर्सिंग रिपोर्ट-2020 में कही गईं हैं।

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र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाईजेशन (डबल्यूएचओ) इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स (आईसीएन) और नर्सिंग नाउ की सयुंक्त रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व में केवल 2.8 करोड़ नर्स ही हैं। 2013 और 2018 के बीच नर्सिंग की संख्या में 40.7 लाख की वृद्धि हुई, लेकिन फिर भी विश्व में 50.9 लाख नर्सिंग स्टाफ की कमी है। अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और डब्ल्यूएचओ पूर्वी भूमध्य क्षेत्र के साथ-साथ लैटिन अमेरिका के कुछ हिस्से नर्सिंग स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहे हैं। दुनिया की 80 प्रतिशत से अधिक नर्सें उन देशों में काम करती हैं, जिनमें दुनिया की आधी आबादी निवास करती है। और हर 8 नर्सों में से 1 नर्स देश के अलावा किसी उस देश में प्रैक्टिस करती है, जहाँ उनका जन्म हुआ है या जहां उसने प्रशिक्षण लिया है।

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रिपोर्ट में आने वाले दिनों में नर्सिंग स्टाफ में और कमी आने की संभावना जताई गई है, क्योंकि दुनिया की छह में से एक नर्स के अगले 10 वर्षों में सेवानिवृत्त होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कमी का सामना करने वाले देशों को प्रति वर्ष औसतन 8 प्रतिशत नर्सों की संख्या बढ़ानी होगी, इससे प्रति वर्ष लगभग 10 डालर प्रति व्यक्ति ही खर्च होगा। सरकारें एक पेशेवर नर्सिंग कार्यबल को शिक्षित करने और बनाए रखने की लागत को समझते हैं, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया जाता, लेकिन अब यह स्वीकारना होगा कि नर्सिंग में निवेश किया गया हर पैसा मूर्त तरीके से लोगों और परिवारों की भलाई को बढ़ाता है, जो सभी के लिए सही भी है। यह समझना भी आवश्यक है कि नर्सिंग पेशे में निवेश समाज के लिए एक लाभ है, लागत नहीं। दुनिया को लाखों और नर्सों की आवश्यकता है, इसीलिए हर देश की सरकार को इसे समझना होगा कि इस अद्भुत पेशे में निवेश कर देश की जनता को अद्भुत काम से लाभान्वित किया जाए, वास्तव में जो केवल नर्सें ही कर सकती हैं।

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रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर सभी नर्सों में से लगभग 90 प्रतिशत महिलाएँ हैं, फिर भी कुछ नर्सें वरिष्ठ स्वास्थ्य नेतृत्व की स्थितियों में हैं, जिनमें से अधिकांश पुरुष हैं, लेकिन जब सभी देश नर्सों को नेतृत्व की भूमिका निभाने में सक्षम बनाने की तरफ जोर देंगे तो उसके परिणाम और भी बेहतर होंगे। सभी देशों को अगले 10 वर्षों में यह सुनिश्चित करने पर जोर देना होगा कि उनके देश में पर्याप्त नर्सें हों, इससे नर्सें भी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, वितरण को बढ़ाने, शिक्षा, प्रशिक्षण और पेशेवर गुंजाइश का पूरा करने के लिए समय दे सकती हैं।

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