Banbhoolpura Encroachment : प्रशासन से लेकर पीड़ित तक की नजरें सुप्रीम सुनवाई पर, पीड़ितों की ओर से प्रशांत भूषण और सलमान खुर्शीद संभालेंगे कानूनी मोर्चा
Banbhulpura Haldwani Railway Land : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गूंज रहे हल्द्वानी के बनभूलपुरा प्रकरण का भविष्य के फैसले की पहली झलक आज बृहस्पतिवार को देश के सर्वोच्च न्यायालय में दोपहर बाद दिखने की संभावना है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद निराशा के गहरे सागर में डूबे पीड़ितों के साथ ही बनभूलपुरा को उजाड़ने के लिए प्रशासनिक अमले की तैयारियों में जुटे अधिकारी भी सर्वोच्च न्यायालय की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। बनभूलपुरा रेलवे प्रकरण में बस्ती के अस्तित्व को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अभी तक कुल छह याचिकाएं दाखिल की गयी हैं, जिन पर संभवतः एक साथ सुनवाई होनी है।
राज्य सरकार द्वारा इस मामले में बनभूलपुरा के इस प्रकरण में कोई दिलचस्पी नहीं ली गई। जबकि देहरादून में इसी प्रकार की बस्तियों के लिए सरकार का अलग रुख था। ऐसे में माना यह जा रहा है कि राज्य सरकार बनभूलपुरा के लोगों से राजनैतिक प्रतिशोध की भावना के चलते उन्हें सबक सिखाए जाने की नीति के चल रही है।
राज्य सरकार द्वारा हाथ खड़े किए जाने के बाद अब पीड़ितों की उम्मीदें सर्वोच्च न्यायालय पर आकर ठहर गई हैं, जहां इन याचिकाओं पर अब से कुछ ही देर में सुनवाई होने वाली है। पीड़ितों की ओर से न्यायालय में देश के जाने माने अधिवक्ता प्रशांत भूषण तथा पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद पैरवी करेंगे। सूत्रों के अनुसार रेलवे प्रकरण में याचिकाओं पर सुनवाई दोपहर 12 बजे के बाद ही हो पाएगी। इस प्रकरण में याचिकाएं 39वें नंबर पर है।
देश में बहुचर्चित हुए हल्द्वानी रेलवे के इस गंभीर मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय कृष्ण कौल और अभय श्रीनिवास ओका की सुनेगी। पीड़ित पक्ष की पैरवी के लिए जन जजों के सामने दिग्गज वकील सलमान खुर्शीद, प्रशांत भूषण खड़े होंगे। शराफत खान, अब्दुल मतीन सिद्दीकी, इक्तिदार उल्लाह, शमीम बानो, भूपेन्द्र आर्या, जन सहयोग सेवा समिति की ओर से इस मामले में याचिका डाली गयी है।