स्वास्थ्य विभाग की लापरवाहियों की वजह से लोगों में कोरोना के प्रति बढ़ रही है उदासीनता
पत्रकार मोहम्मद जावेद अलिग का विश्लेषण
देश में किये जा रहे तमाम प्रयासों के बीच कोरोना संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोरोना के मामले बढ़ने का सिलसिला लगातार जारी है। बीते 24 घंटे में हर मिनट 44 नए मामले सामने आए हैं जिसके साथ ही कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 26 लाख के करीब पहुंच गया है। रविवार सुबह स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में देश में कोरोना के 63,490 नए मामले सामने आने के बाद देश में कुल संक्रमितों की संख्या 25,89,682 पहुंच गई है। इनमें से 6,77,444 एक्टिव केस हैं साथ ही अभी तक 18,62,258 मरीजों को या तो अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है या फिर वह स्वस्थ हो चुके हैं।
वहीं इस दौरान 944 लोगों की मौत हुई है और कुल मृतकों की संख्या 50 हजार के करीब पहुंच चुकी है. आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 से अब तक 49,980 लोगों की मौत हो चुकी है। वर्तमान स्थिति में देश में 26.16 फीसदी एक्टिव केस हैं। देश में कोरोना का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। हर दिन रिकॉर्ड स्तर के मामले सामने आ रहे हैं।
भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था। इसके 110 दिन के बाद यानी 10 मई को देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 लाख हो गई थी। इसके बाद देश में महामारी की रफ्तार काफी तेजी से बढ़ी, केवल 88 दिन में ही एक लाख से बढ़कर आंकड़ा 25 लाख पार कर गया। महामारी की रफ्तार को कम करने के लिए देश में टेस्टिंग को लगातार बढ़ाया जा रहा है और रोज़ाना रिकॉर्ड तोड़ टेस्ट हो रहे हैं। कुल टेस्टिंग की बात करें तो मुल्क भर में तीन करोड़ से ज्यादा टेस्ट किए जा चुके हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के ज़रिए जारी किए आंकड़ों के मुताबिक 16 अगस्त तक मुल्कभर में 3,00,41,400 सैंपलों के टेस्ट किए जा चुके हैं. जिनमें से 7,31,697 सैंपलों के टेस्ट कल किए गए हैं।
जिस प्रकार देश में कोरोना संक्रमण, मौत के आंकड़े और टेस्टिंग को बढ़ रही है वैसे वैसे लोगों में दिन व दिन कोरोना के प्रति उदासीनता और लापरवाही बढ़ती जा रही है। एक ओर जहां स्वास्थ्य महकमा, पुलिस प्रशासन और कुछ NGOs लोगों को जागरूक करने की कोशिश में जुटे हुए हैं वहीं दूसरी ओर स्वास्थय महकमे की लापरवाहियां भी लगातार सामने आ रही। परिणामस्वरूप लोगों में कोरोना, सामाजिक दूरी व मास्क के प्रयोग के प्रति उदासीनता बड़ी है। खबरों के मुताबिक़ यूपी, बिहार और मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य कई हिस्सों में स्वास्थय विभाग की लापरवाही के अनगिनत केस सामने आये हैं।
पिछले दो चार दिन से सोशल मीडिया पर एक पुलिसकर्मी का वीडियो बहुत ज्यादा वायरल हो रहा है जिसमे एक पुलिसकर्मी स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को लेकर सवाल उठा रहा है, उसने अपने एक वायरल वीडियो में कहा है कि उसकी बिना कोरोना जांच के ही उसकी रिपोर्ट पाॅजिटिव बता दी गयी जबकि उसने किसी प्रकार का कोई सैंपल ही नहीं दिया है। इस वायरल वीडियो से जिलेभर में हड़कम्प मचा हुआ है तो वहीं इस मामले में स्वास्थ्य विभाग भी उसके कोरोना पाॅजिटिव होने की पुष्टि कर रहा है।
मामला यूपी के कन्नौज जिले का है। पुलिस लाइन कन्नौज में तैनात सिपाही श्याम बाबू ने बताया कि वह 29 जुलाई को फतेहपुर गया था, वापसी में फतेहपुर जिला अस्पताल में उससे कोरोना जांच का फार्म भरवाया गया उसके बाद थर्मल स्क्रीनिंग हुई और कहा गया कि जांच डेढ़ बजे होगी। छुट्टी सेंक्शन के लिए अप्लाई करने के इरादे से वह वापस अपने दफ्तर गया इसी बीच 7 अगस्त को उसके पास सीएमओ व अन्य 3 डॉक्टरों के फोन आते हैं कि आप कोरोना पाॅजिटिव हैं।
उनका कहना है उन्होंने सैंपल ही नहीं दिया है जबकि सीएमओ कृष्ण स्वरूप का कहना है कि हमारे द्वारा इस तरह का कोई भी फोन नही किया गया है। सीएमओ का कहना है कि उस दिन 40 सैंपल लिये गये जिसमें इस नाम का कोई दूसरा आदमी भी नही था तो इसने वहाॅं सैंपल दिया होगा और तभी रिपोर्ट पाॅजिटिव आयी होगी।
दूसरा मामला भी उत्तर प्रदेश के लखनऊ से है जहां 21 वर्षीय शिवांश मिश्रा को फोन कॉल के माध्यम से जानकारी दी गई कि वह कोरोना पॉजिटिव है। हमने शिवांश को फोन पर संपर्क कर मामला जानने की कोशिश की, प्राप्त हुई जानकारी के मुताबिक़ उसने बीती 8 अगस्त को सीएचसी चिनहट में कोरोना टेस्ट कराया था और 9 अगस्त की शाम को उसे फोन आता है कि वह रिपोर्ट में कोरोना पॉजिटिव पाया गया है।
शिवांश का कहना है कि 'मैंने 8 अगस्त को टेस्ट कराया, 9 अगस्त को फोन के माध्यम से जानकारी दी गई कि मेरी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है लेकिन मुझे अभी तक रिपोर्ट की कॉपी प्राप्त नहीं हुई है। शिवांश ने साथ ही ये भी बताया कि उसके अन्य कई साथियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है जिनको फोन पर ही उनकी पॉजिटिव आयी रिपोर्ट की जानकारी दी गई है। शिवांश की टेस्टिंग RTPCR मैथड से की गई है।
एक अन्य मामला भी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से है जहां स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। यहां बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी के पति के कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट को लेकर गलत जानकारी परिवार तक पहुंच गई, जिससे सांसद के परिवार में हड़कंप मच गया। बाद में पता चला कि विभागीय गलती के कारण सांसद पति की नेगेटिव रिपोर्ट को स्वास्थ्य विभाग के डेटा में पॉजिटिव दिखाया गया था। सच्चाई सामने आने के बाद सांसद जोशी ने अपनी नाराजगी जाहिर की।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक शनिवार 15 अगस्त को प्रयागराज में रीता बहुगुणा जोशी के पति पूरन चन्द्र जोशी की रैपिड एंटीजेन टेस्ट और RTPCR मैथड से जांच हुई। रैपिड टेस्ट की रिपोर्ट तो नेगेटिव आई लेकिन RTPCR टेस्ट की रिपोर्ट अभी आना वाक़ी थी। इस बीच स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी की गई पॉजिटिव लोगों की सूची में सीरियल नम्बर 98 पर जोशी का नाम था जिससे परिवार काफी परेशान हो गया और रीता बहुगुणा जोशी ने तो पति के दिल्ली में इलाज के लिए एंबुलेंस भी बुक कर ली थी।
बिहार में तो सूरत ए हाल ये है कि प्रदेश के एएनएम कार्यकर्ता बिना सुरक्षा के अपनी जान जोखिम में डालकर सैंपलिंग का काम कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार, जमुई में कोरोना जांच सैंपलिंग में बड़े पैमाने पर घोर लापरवाही बरती जा रही है। यहां बिना सुरक्षा मानकों (बिना पीपीई किट) के सैंपल लिए जा रहे हैं। लैब टेक्नीशियन के स्ट्राइक पर जाने के कारण, स्वास्थ्य विभाग ने एएनएम कार्यकर्ताओं को ही सैंपलिंग के काम पर लगा दिया है। जिसके नतीजे में एक महिला की बगैर सैंपल लिये कोरोना जांच की रिपोर्ट नेगेटिव भेज दी गयी। महिला के मोबाइल पर रिपोर्ट का मैसेज भेजा गया जिसको देखते ही महिला समेत परिवारवाले परेशान हो गए।
जानकारी के अनुसार विठलपुर गांव में बीते 11 अगस्त को स्वास्थ्य विभाग ने शिविर लगाकर लोगों का कोरोना सैंपल लिया था। शिविर में इस महिला का भी पंजीकरण किया गया था। जब घर में काम आ जाने के चलते महिला बिना सैंपल दिये घर लौट गई लेकिन शुक्रवार को उसके मोबाइल पर रिपोर्ट का मैसेज आ गया जिसमें उसे नेगेटिव बताया गया है हालांकि उस दिन सैंपल देने वालों में 8 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये। उनमें महिला का बेटा भी शामिल है। महिला इस बात से परेशान है कि जब उसका सैंपल लिया ही नहीं गया, तो कैसे उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। बता दें कि जमुई में इस तरह का ये नया मामला नहीं है। इससे पहले बीते 7 अगस्त को गिद्धौर प्रखंड में एक शिक्षक की रिपोर्ट बगैर सैंपल लिये नेगेटिव आ गई।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी मामले को लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा है, 'यह नीतीश मार्का वर्ल्ड क्लास कोरोना टेस्टिंग है। बिना पीपीई किट और शारीरिक दूरी के जांच हो रही है। विपक्ष के भारी दबाव के बाद 15 वर्षीय सुशासनी सह विज्ञापनी सरकार अब प्रतिदिन 1 लाख 20 हजार जांच का आंकड़ा ऐसे पूरा कर रही है। 10 हजार जांच में 3000 पॉजिटिव थे और 1 लाख 20 हजार में भी।' तेजस्वी समेत पूरा विपक्ष बिहार में कोरोना जांच पर सवाल उठा रहा है. तेजस्वी का आरोप है कि, सरकार सही से टेस्टिंग नहीं करा रही है. साथ ही, सरकार द्वारा कोरोना के गलत आकड़ें पेश किए जा रहे हैं।
इस प्रकार देश में कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ साथ लोगों में कोरोना के प्रति उदासीनता भी बढ़ी है। इन चार-पांच महीनों में कोरोना पर हमारी समझ के रंग भी गिरगिट के मानिंद बदलते रहे हैं। लॉकडाउन में दारू की इजाजत मिलने से लेकर रामदेव की दवा की चर्चायें हों या थाली-ताली और दिया जलाने के दिन हों, इन बुरे दिनों में भी दिलचस्प माहौल भी बना रहा। इस वैश्विक महामारी के शुरुआती दौर मार्च-अप्रैल में लग रहा था कि भारत में इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं होगा। उन दिनों दुनिया के नज़रिए में हम सेफ ज़ोन मे थे. लेकिन दुर्भाग्य कि अब भारत विश्व के सबसे अधिक संक्रमित देशों में टॉप थ्री में पहुंच रहा है।
इससे बचने के तमाम रास्ते इख्तियार किए जा रहे हैं लेकिन इस खतरनाक वायरस को लेकर हमारी सोच का सांचा बदलता रहा है। कोरोना पर चर्चाएं भी कभी हमें डराती हैं, कभी रुलातीं हैं, तो कभी हंसाती भी है। ये सच है कि शुरु में इसकी आहट भर से दिल दहल जाता था पर अब जब ये तेज़ी से फैल रहा है तब हमारे अंदर इसका डर धीरे-धीरे कुछ कम भी होता जा रहा है। इस मर्ज में मुब्तिला लोगों के ठीक होने की बढ़ती रफ्तार से इत्मिनान हुआ है तो तेजी से बढ़ रही इसमें मरने वालों की तादाद देखकर डर भी लग रहा है।