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विमर्श

Hidden Hunger : 'छिपी भूख' से लड़ रहा न्यू इंडिया, आजादी के 75 साल बाद भी दुनिया में भारत इस मामले में सबसे आगे खड़ा है

Janjwar Desk
5 Oct 2022 9:49 AM GMT
छिपी भूख से लड़ रहा न्यू इंडिया, आजादी के 75 साल बाद भी दुनिया में भारत इस मामले में सबसे आगे खड़ा है
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 'छिपी भूख' से लड़ रहा न्यू इंडिया, आजादी के 75 साल बाद भी दुनिया में भारत इस मामले में सबसे आगे खड़ा है

लैसेंट में प्रकाशित अध्ययन में विशेषज्ञों ने बताई जमीनी हकीकत। जिसका सबसे अधिक बुरा असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है साथ ही नवजात शिशु के शरीर में विकृति की आशंका कई गुना अधिक बढ़ जाती है...

Hidden Hunger : मौजूदा समय में भारत एक ऐसे संकट से जूझ रहा है, जिसे विशेषज्ञों ने छिपी भूख यानी Hidden Hunger करार दिया है।देशभर के अधिकतर परिवारों की थाली में पोषक तत्वों की कमी है। जिसका सबसे अधिक बुरा असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है साथ ही नवजात शिशु के शरीर में विकृति की आशंका कई गुना अधिक बढ़ जाती है।

मेडिकल जर्नल द लैसेंट में प्रकाशित एक अध्ययन में विशेषज्ञों ने साफ तौर पर कहा है कि भारत Hidden Hunger कटेगरी के साथ दुनिया में सबसे आगे रहने की अविश्वसनीय स्थिति में पहुँच रहा है। विशेषज्ञों ने साफ किया है कि यहां 'भूख' शब्द का अर्थ भोजन की जबर्दस्त इच्छा और इसकी कमी से उत्पन्न होने वाले संकट से है। जिसे कुछ मुट्ठी भर पारंपरिक पोषक तत्वों के सहारे आसानी से हल किया जाता है। लेकिन ज्यादातर परिवार अपने भोजन में इन पोषक तत्वों की कमी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इनमें ग्रामीण और शहरी दोनो क्षेत्र शामिल हैं।

क्या और कितना पड़ रहा असर?

इस किये गये अध्ययन में मुंबई के लीलावती अस्पताल के बालरोग सर्जन डॉ. संतोष कर्माकर बताते हैं कि, लोहा, आयोडीन या जस्ता जैसे खनिजों के अलावा विटामिन ए, विटामिन डी और विटामिन बी 12 की कमी लोगों में काफी तेजी से देखने को मिल रही है। उन्होने कहा कि इन तत्वों की कमी से उत्पन्न छिपी भूख भारत में बहुत आम है। और एनीमिया, गर्भावस्था तथा गर्भाशय में भ्रूण के मस्तिष्क में गहरा व नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। जिससे भारत में विकृति के साथ जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या काफी बढ़ रही है।

क्या कहते हैं आंकड़े?

देश में प्रति वर्ष 2.60 करोड़ गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान रक्त की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि पोषक तत्वों की कमी से इन्हें एनीमिया की शिकायत रहती है। वहीं साल 2018 में एनीमिया की वजह से 25 हजार से अदिक मातृ मृत्यु दर्ज की गई थी।

आयरन व विटामिन बी-12 की कमी

आयरन की कमी से लाल रक्त कोशिका (RBC) पर असर पड़ता है। इसकी वजह से मांसपेशी, ह्रदय और मस्तिष्क में आयरन की कमी होती है। थकान, ह्रदय की विफलता इत्यादि इसके प्रमुख असर भी हैं।

विशेषज्ञों की ये है सलाह

भारत को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि सभी किशोरी और प्रसव उम्र की महिलाओं को पर्याप्त आयरन विटामिन बी - 12 व फोलेट मिले। ताकि उनमें सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर किया जा सके। देश के प्रत्येक परिवार को विटामिन फोर्टिफाइड भोजन के लिए शिक्षित करना जरूरी है। इसके लिए एक व्यापक रणनीति बनानी चाहिए। छिपी भीख को खत्म करना पूरे देश के लिए इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बाद भी पोषक तत्वों की कमी आबादी से दूर नहीं हो पा रही है।

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