तानाशाही की ओर बढ़ता अमेरिका | USA heading towards Rightwing Dictatorship
तानाशाही की ओर बढ़ता अमेरिका | USA heading towards Rightwing Dictatorship
महेंद्र पाण्डेय की टिपण्णी
USA heading towards Rightwing Dictatorship | कनाडा के एक प्रतिष्ठित राजनीति विशेषज्ञ, थॉमस होमर-दीक्सों (Thomas Homer-Dixon, Political Scientist) ने हाल में ही एक लेख में कनाडा सरकार को आगाह किया है कि अमेरिका में वर्ष 2030 तक दक्षिणपंथी तानाशाही (Rightwing Dictatorship) आ जायेगी, इसलिए कनाडा को अभी से तैयार रहना चाहिए| वैसे तो यह लेख कनाडा और अमेरिका से सम्बंधित है, पर अमेरिका में जिन खतरों की बारे में बताया गया है – उनसे भी बड़े खतरों और लोकतंत्र पर लगातार प्रहार से हमारा देश जूझ रहा है| जाहिर है, यह लेख हमारे देश के लिए और हमारे लोकतंत्र के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है|
थॉमस होमर-दीक्सों कनाडा के सबसे प्रतिष्ठित राजनैतिक विश्लेषक हैं, और चार दशकों से भी अधिक समय से हिंसक गृहयुद्धों का अध्ययन (Expert on Violent Conflicts) कर रहे हैं| उन्होंने कहा है कि उनका लेख आज किसी को भी बकवास लग सकता है और अधिकतर लोग इसके निष्कर्ष को खारिज करेंगें – पर वर्ष 2014 में अमेरिका में ट्रम्प चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बनेंगें, इस निष्कर्ष को भी अधिकतर लोग खारिज ही करते थे और ऐसे किसी भी आकलन का मजाक उड़ाते थे| ट्रम्प का राष्ट्रपति बनाना भले ही बेतुका और विवेकहीन लगता हो, पर आज आप जब दुनिया को देखेंगें तो पूरी दुनिया में ही ऐसे बेतुके और विवेकहीन उदाहरण भरे पड़े हैं और आज के दौर का यही सत्य है (Today we live in a World where absurd regularly becomes real)|
थॉमस होमर-दीक्सों के आकलन के अनुसार वर्ष 2025 तक अमेरिका में लोकतंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो चुका होगा, भयानक राजनैतिक अस्थिरता होगी और गृहयुद्ध जैसे हालात बन जायेंगें, इसके बाद वर्ष 2030 तक दक्षिणपंथी तानाशाही का दौर आ जाएगा| उनके आकलन के अनुसार वर्ष 2024 के चुनावों में ट्रम्प की वापसी होगी| रिपब्लिकन पार्टी द्वारा शासित राज्यों में आज भी वर्ष 2020 के चुनाव नतीजों को नकारा जा रहा है| पिछले 3-4 महीनों के दौरान अमेरिका में ट्रम्प ने अनेक बड़ी रैलियाँ संबोधित की हैं और हरेक जगह उन्होंने पिछले चुनाव नतीजों को नकारा है और लोकतंत्र पर लगातार प्रहार किया है| पिछले चुनावों के बाद से ट्रम्प लगातार चुनाव नतीजों पर केवल सवाल ही नहीं उठा रहे हैं, बल्कि अपने समर्थकों से हिंसक हमले भी करवा रहे हैं|
6 जनवरी को ट्रम्प फिर से अमेरिका बचाओ रैली करा रहे हैं| इस तारीख को अमेरिका के इतिहास में काला दिन माना गया है, पिछले वर्ष इसी तारीख को अमेरिकी संसद भवन, कैपिटल (US Capitol attack on 6th January 2021), पर ट्रम्प की मौजूदगी में उनके हिंसक समर्थकों ने संसद पर हमला किया था| इस हमले में 5 जानें गईं थीं और 140 से अधिक पुलिस अधिकारी जख्मी हो गए थे| ट्रम्प गर्व से इसी 6 जनवरी की पहली वर्षगाँठ आयोजित करने जा रहे हैं, और फिर से चुनाव नतीजों पर सवाल उठायेंगें| ट्रम्प के केवल दो उद्देश्य हैं – चुनाव में धांधली से सम्बंधित प्रमाण की खोज और इसके नतीजों का प्रतिरोध (Trump have only 2 objectives – vindication and vengeance of the lie at 2020 defeat was result of electoral fraud)|
चुनाव नतीजों के ठीक बाद कुछ समय के लिए तो महसूस हुआ कि रिपब्लिकन पार्टी में ट्रम्प की पकड़ ढीली हो गयी है, पर इसका ठीक उल्टा हो गया| ट्रम्प इस समय पहले से भी अधिक मजबूत स्थिति में हैं – पिछले चुनाव नतीजों के समर्थक रिपब्लिकन अपनी ही पार्टी में हाशिये पर कर दिए गए हैं और नतीजों के प्रखर विरोधी पार्टी में मजबूत पदों पर बिठाए जा रहे हैं| ट्रम्प के साथ मिलकर चहेता फॉक्स न्यूज़ और अनेक कट्टर समर्थक रिपब्लिकन पार्टी को एक पार्टी नहीं बल्कि फ़ासिस्ट व्यक्तिवादी सम्प्रदाय में बदल रहे हैं, और यही लोकतंत्र को नष्ट करने का एक कामयाब हथियार है|
थॉमस होमर-दीक्सों के अनुसार अगले चुनावों में जीत के बाद ट्रम्प हरेक संवैधानिक संस्थाओं, न्यायपालिका और फिर मेनस्ट्रीम मीडिया को अपनी तरफ करने का प्रयास करेंगें| इस बार उन्हें सटीक पता होगा कि किन संस्थानों को अपनी विचारधारा के अनुरूप करना है| इसका विरोध करने वाले अफसरशाह, अधिकारी और टेक्नोक्रैट वालों को उत्पीडन का या फिर नौकरी गवाने का सामना करना पड़ेगा| जाहिर है, इसका विरोध भी होगा, हिंसा भी होगी, गृहयुद्ध भी हो सकता है – एक फासिस्ट के लिए इनको कुचलना कठिन नहीं है|
ट्रम्प धार्मिक कट्टरता और नफरत की राजनीति के मंझे खिलाड़ी हैं| आज के दौर में यही गुण नेताओं को महान बनाते हैं| ट्रम्प पूरे अमेरिका को क्रिश्चियनमय करना चाहते हैं और काले लोगों के खिलाफ वे लगातार जहरभरे बयान देते हैं| अब तो उनकी भाषा भी अभद्र और हिंसक हो चुकी है| इसके बाद से उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है| भले ही यह अमेरिका की बात हो पर इसे आप अपने देश के सन्दर्भ में भी देख सकते हैं, जहां लोकतंत्र को तानाशाही बनते हम लगातार देख रहे हैं, पर मूक दर्शक बने हैं|