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Russia Ukrain Crisis : साल 2014 क्रिमिया पर रूस के कब्जे का भारत ने खुलकर किया था समर्थन, यूक्रेन मामले पर अब क्या होगा भारत का रुख

Janjwar Desk
24 Feb 2022 6:36 PM IST
Russia Ukrain Crisis : साल 2014 क्रिमिया पर रूस के कब्जे का भारत ने खुलकर किया था समर्थन, यूक्रेन मामले पर अब क्या होगा भारत का रुख
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Russia Ukrain Crisis : साल 2014 रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप पर हमला किया था और उसके अपने में विलय कर लिया था, यह घटना रेवॉल्यूशन ऑफ डिग्निटी के बाद की थी जो रूस यूक्रेन संघर्ष का हिस्सा थी....

Russia Ukrain Crisis : रूस की ओर यूक्रेन पर आज हमला कर दिया गया है। इस हमले में अबतक यूक्रेन के 40 लोगों की मौत की खबर है। वहीं यूक्रेन की ओर से भी 50 रूसी मारे जाने का दावा किया जा रहा है। भारत के नागरिक भी बड़ी संख्या में यूक्रेन (Ukraine) में फंसे हैं ऐसे में भारतीय दूतावास कीव में लगातार एडवायजरी जारी कर बता रहा है कि सभी बंकरों पर जाकर खुद को सुरक्षित करें। रूस (Russia) के इस सैन्य अभियान की शुरूआत की अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया तमाम देश निंदा कर रहे हैं।

साल 2014 में जब रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया (Crimea) पर कब्जा किया था तब भारत ने खुलकर अपना समर्थन दिया था। यही नहीं भारत ने क्रिमिया के विलय के बाद रूस पर लगे प्रतिबंधों की भी तीखी आलोचना की थी। भारत दुनिया की परवाह किए बिना अपने टाइम टेस्टेड दोस्त रूस के साथ खड़ा दिखा था। लेकिन तब से अब तक परिस्थितियां काफी बदली हुई हैं। भारत अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के कहीं ज्यादा करीब हुआ है। वहीं चीन के साथ सीमा पर लगातार हो रहे विवादों ने भी भारत के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। दूसरी ओर पाकिस्तान रूस के साथ अपने संबंध मजबूत करने के हर कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अभी रूस के दौरे पर ही हैं।

साल 2014 रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप पर हमला किया था और उसके अपने में विलय कर लिया था। यह घटना रेवॉल्यूशन ऑफ डिग्निटी के बाद की थी जो रूस यूक्रेन संघर्ष का हिस्सा थी। उस वक्त भारत भारत ने रूस का समर्थन किया था जबकि अमेरिका, यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने इसकी निंदा की थी। रूस के इस कदम को अंतर्राष्ट्रीय कानून और यूक्रने की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने वाले समझौतों का उल्लंघन बताया था। रूस को इसके बाद जी-8 समूह से निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद से रूस के खिलाफ कई प्रतिबंध लगाए गए लेकिन रूस अपनी जगह पर टिका हुआ है।

तब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को फोन कर क्रीमिया की स्थिति को लेकर जानकारी दी थी। इसके बाद अगले ही दिन भारत ने बयान जारी कर कहा था कि वह अपने भरोसेमंद साथी रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करेगा। इसके बाद जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उनके रुख में भी कोई बदलाव नहीं आया था।

क्रीमिया के रूस में विलय को मान्यता देने वाला भारत पहला प्रमुख देश था। तब के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने रूस का साथ देते हुए कहा था कि वहां उसके उचित हित हैं। इस मुद्दे का संतोषजनक समाधान ढूंढने के लिए उनपर चर्चा की जानी चाहिए।

लेकिन अब स्थितियां बदली हुई हैं। भारत अमेरिका के ज्यादा करीब नजर आ रहा है। इसके साथ ही अन्य यूरोपीय देशों के साथ भी भारत ने नजदीकियां बढ़ाई हैं। रूस के साथ संबंध पहले जैसे ही मजबूत हैं लेकिन इस बार चीन के साथ लगातार हो रही झड़पों ने भारत के सामने चुनौती खड़ी की है। वहीं अपनी आर्थिक सुरक्षा को देखते हुए रूस की चीन से करीबियां बढ़ गई हैं। ऐसे में पश्चिमी देशों के साथ सुर मिलाकर भारत दो महाशक्तियों के साथ झगड़ा मोल नहीं ले सकता है। ऐसे में भारत को कोई स्टैंड लेना आसान नहीं होगा।

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