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अंधविश्वास

तिहाड़ की इन 26 चक्कियों में आज भी सुनाई देती हैं रोने, सिसकने और घुंघरूओं की आवाजें, कैदी रात भर पढ़ते हैं हनुमान चालीसा!

Janjwar Desk
6 Oct 2022 3:28 AM GMT
तिहाड़ की इन 26 चक्कियों में आज भी सुनाई देती हैं रोने, सिसकने और घुंघरूओं की आवाजें, कैदी रात भर पढ़ते हैं हनुमान चालिसा
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तिहाड़ की इन 26 चक्कियों में आज भी सुनाई देती हैं रोने, सिसकने और घुंघरूओं की आवाजें, कैदी रात भर पढ़ते हैं हनुमान चालिसा 

महिला बीते दस सालों से उसी चक्की में रह रही थी, अकेले, फांसी लगा लेने के बाद कहा जाता है कि उसकी रूह वहीं भटकती है। जब इस बात की अधिकारियों को अधिक शिकायतें मिली तो उक्त चक्की जिसमें महिला ने फांसी लगाई थी, उसे लॉक कर दिया गया...

Tihar Jail : दिल्ली के हरिनगर में बनी तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में सबसे पुरानी और सबसे बड़ी जेल है 'जेल नंबर एक।' इसे सबसे पहले बनाया गया था। तब इसकी अन्य साखाओं रोहिणी और मंडोली जेल अस्तित्व में नहीं थीं। जेल नंबर एक में महिला व पुरूष कैदियों को साथ रखा जाता था। एक 8 फीट की पतली सी दीवार के दोनो तरफ महिला व पुरूष वार्ड बने थे। उस तरफ महिला कैदी और इस तरफ पुरूष कैदियों को रखा जाता था।

बाद के दिनों में तिहाड़ का विस्तार हुआ और एक से लगाकर 9 नंबर तक जेल बनीं। इसमें 'जेल नंबर 6' को महिला जेल घोषित किया गया। जो अलग से बनी है। कहा जाता है कि जेल नंबर एक में महिलाओं के वार्ड में अब भी रूहों का साया है और कभी कभार वहां से कुछ चीखें उठती सी सुनाई पड़ती हैं। जेल नंबर एक जो अब पूरी तरह से पुरूष जेल में बदल चुकी है। यहां रात-बिरात सोते में पुरूष चीख पड़ते हैं। कहते हैं यहां घुंघरूओं की आवाज सुनाई देती है

दरअसल, महिला वार्ड में 26 सेल बने थे। सेल एक आठ बाई 12 का कमरा होता है, जिसमें कैदी को अकेले अथवा तीन की संख्या में रखा जाता है। तिहाड़ में इन सेल्स को चक्की कहा जाता है। इन्हीं चक्कियों में से एक चक्की नंबर 26 में एक विदेशी अफ्रीकी महिला सजा काट रही थी। उसके साथ और भी विदेशी युवतियां थीं, लेकिन अलग-अलग चक्कियों में रखी जा रही थीं। 26 नंबर चक्की को अकेले के लिए आवंटित कराया गया था। यानी उस अफ्रीकी महिला के लिए।

कई सालों तक तिहाड़ की विभिन्न जेलों में सजा काट चुके गोरखपुर निवासी 'सुरेश मूँछ' हमें बताते हैं कि, 'उन दिनों जामा मस्जिद का एक नाई बंद होकर जेल आया था। तब इतनी ज्यादा जांच-पड़ताल, जेलों के भीतर इस कदर गैंगवार नहीं हुआ करती थी जैसी आज है। महिला वार्ड और पुरूष वार्ड के बीच सिर्फ एक दीवार भर का फासला था। दीवार भी जर्जर थी। दीवार में बने एक बड़े से छेद से महिला व पुरूष कैदी इधर से उधर निकल जाया करते थे। तमाम पेड़-पौधे और हरियाली हुआ करती थी।

बकौल सुरेश कुछ दिन के बाद अफ्रीकी महिला और नाई में दोस्ती हो जाती है। अब नाई मौका देखकर दीवार फांदकर महिला वार्ड की उस 26 नंबर चक्की में जाने लगा, जिसमें वो अफ्रीकी महिला रहता थी। अब लोग कहते हैं कि वह नाईजीरियन महिला की मालिश करने जाता था, लेकिन क्या करता था भगवान जानें, सुरेश ने हमसे कहा। लेकिन एक दिन एक डिप्टी सुपरिटेंडेंट ने नाई को दीवार फांदते देख लिया।

इस घटना में बताया जाता है कि डीएस ने दोनो को चक्की नंबर 26 में रंगे हाथों पकड़ लिया था। जिसके बाद वह महिला डीएस से भिड़ गई थी। महिला ने डीएस से कहा, 'हे...माई फ्रेंड..तुमको क्या प्रॉब्लम?' हालांकि डीएस ने उस वक्त नाई को बिना किसी पनिशमेंट के छोड़ तो दिया, लेकिन सख्त वार्निंग के बाद। अब नाई ने अफ्रीकन महिला के पास जाना छोड़ दिया। इस घटना के 6 महीने बाद उस नाईजीरियन महिला ने सेल नंबर 26 में फांसी लगाकर जान दे दी थी।

दिल्ली के हरिनगर में स्थित विशालकाय 1 से 9 नंबर तक तिहाड़ जेल

सुरेश मूंछ के मुताबिक वो महिला बीते दस सालों से उसी चक्की में रह रही थी। अकेले। फांसी लगा लेने के बाद कहा जाता है कि उसकी रूह वहीं भटकती है। जब इस बात की अधिकारियों को अधिक शिकायतें मिली तो उक्त चक्की जिसमें महिला ने फांसी लगाई थी, उसे लॉक कर दिया गया। फिर जब विस्तार हुआ तो सभी महिलाओं को नई बनी तिहाड़ जेल नंबर 6 में शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन वो नाईजीरियन महिला अब भी वहां अपना निवास बनाए हुए है।

सुरेश हमें बताते हैं कि महिलाओं के जाने के बाद पूरी जेल नंबर एक पुरूष जेल बना दी गई। वहां की बनी 25 चक्कियों में पुरूष कैदी रहते हैं, जबकि चक्की नंबर 26 अब भी बंद है। बताया जाता है कि चक्की नंबर 26 के अगल-बगल रह रहे पुरूष कैदी पूरी-पूरी रात जागकर काटते हैं। वह दिन में सोते हैं और रात को पहरा देते हैं। कोई रात में की-कई बार उठकर हनुमान चालिसा पढ़ते हैं। इसका कारण भी हमें बड़ा अजीबो-गरीब बताया गया।

जेल नंबर एक में सजा काट चुके एक अन्य व्यक्ति तुन्ना उर्फ सोनू हमसे बताते हैं कि वहां रात-बिरात रोने की आवाजें आती हैं। घुंघरू बजते हैं। कभी-कभी चीख भी सुनाई पड़ती है। चक्कियों में रहने वाले कैदी रात भर अपनी सेल में दीपक जलाकर सोते हैं। दिया बुझने ना पाए इस कारण कैदी रात भर जागते हैं। अब कहीं गिनती कटवाकर भी नहीं जा सकते क्योंकि जेल में छमता से अधिक कैदी-बंदी भरे पड़े हैं।

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