Aaj Ki Taza Khabar, 13 October 2021: पढ़िए आज की सभी ताजा खबरें और मुख्य समाचार
(आज की ताजा खबरें)
Aaj Ki Taza Khabar, 13 October 2021: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का शहर गोरखपुर का दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा में है। नियुक्तियों को लेकर विवादों में रहा विश्वविद्यालय अब वितीय संकट (Financial Crisis) को लेकर सुर्खियों में है। बजट के अभाव में आगे शिक्षक व कर्मचारियों के वेतन भुगतान तक का संकट अब आ गया है। ऐसे में पहली बार धरोहर धनराशि के रूप में जमा किए गए एफडीआर को तोड़ने की तैयारी है। जिससे वेतन भुगतान समेत अन्य कार्यों को किया जाएगा।
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हरियाणा के गुरुग्राम स्थित अर्बन कंपनी (Urban Company) की महिला कर्मचारियों ने कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। खबरों के मुताबिर अर्बन कंपनी में काम करने वाली करीब 100 से भी ज्यादा महिला कर्मचारी सड़क पर उतर कर कंपनी के खिलाफ 'हाय - हाय' के नारे लगा रहीं हैं। महिला कर्मचारियों ने बीते 8 अक्टूबर को भी कंपनी के बाहर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कंपनी पर गलत व्यवहार करने का आरोप लगा है। महिला कर्मचारियों का कहना है कि अर्बन कंपनी उन्हें बहुत कम वेतन देती है, ज्यादा कमीशन वसूलती है और कंपनी में महिलाओं के लिए सुरक्षा के इंतजामों की कमी है। वहीं अर्बन कंपनी ने इन आरोपों को लेकर अपनी सफाई दी है।
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भाजपा सांसद मनोज तिवारी को चोट लगने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दरअसल, दिल्ली में सार्वजनिक जगहों पर छठ पूजा बैन के खिलाफ मनोज तिवारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर प्रदर्शन के कर रहें थे। इसी दौरान सुरक्षा बैरिकेडिंग से मनोज तिवारी चोटिल हो गए। आनन फानन में सासंद को सफदरजंग अस्पोताल के इमर्जेंसी विंग में भर्ती कराया गया। जहां उनका उपचार चल रहा है।
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पुलिस हिरासत (Police Custody) में मौतें किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए शर्मनाक कही जाएगी। जो लोग पुलिस हिरासत में लिए जाते हैं, उनके अपराधी होने का संदेह भले हो, लेकिन उनका अपराध (Crime) साबित नहीं हुआ होता है। इसलिए उनके साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार की इजाजत संविधान नहीं देता। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानन्द राय (Nityanand Rai) ने लोकसभा (LokSabha) में एक सवाल के जवाब में बताया कि देश में पिछले तीन वर्षों में पुलिस हिरासत में 348 लोगों की मौत हुई और 1,189 लोगों को यातनाएं दी गईं।
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देश अभूतपूर्व बिजली के संकट (Electricity Crisis) से जूझ रहा है। जिसके अभी कई महीनों तक बरकरार रहने के आसार हैं। दूसरी तरफ धरातल पर हकीकत है कि दुनिया के विकसित व विकासशील देशों (Devloped And Devloping Countries) के गणना में भारत में बिजली की खपत काफी कम है। बिजली उत्पादन (Electricity Production) का अधिकांश हिस्सा (60 फीसदी से अधिक) कोयला और भूरा कोयला (लिग्नाइट) से पैदा होता है, जबकि जल विद्युत परियोजनाओं से लगभग 22 फीसदी बिजली का उत्पादन होता है। ऐसे में बिजली के लिए कोयला व जल आधारित 82 प्रतिशत ऊर्जा संयंत्रों पर हमारी निर्भरता बनी हुई है। जिसका नतीजा है कि कोयला का संकट (Coal Crisis) गहराते ही बिजली को लेकर देश में हाहाकार मच गया है।
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