चीन व पाकिस्तान युद्ध में वीरता पर सरकार ने दी जमीन, भूमाफियाओं ने किया कब्जा, दर-दर गुहार लगा रहा सैनिक
जनज्वार ब्यूरो, पटना। सरकार ने चीन के साथ युद्ध मे वीरता दिखाने पर एक फौजी को जमीन दी, पर उस भूमि पर भूमाफियाओं की गिद्धदृष्टि पड़ गई और उन्होंने जमीन पर कब्जा कर लिया। अब वह फौजी पिछले 36 वर्षों से सरकार द्वारा दी गई जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए हर मुमकिन चौखट पर की गुहार लगाता फिर रहा है। दशकों गुजर जाने के बाद भी वीरता पुरस्कार प्राप्त इस फौजी को सरकार द्वारा दी गई जमीन पर जिला प्रशासन कब्जा नहीं दिला सका है।
साल 1962 की चीन और 1971 की पाकिस्तान की लड़ाई लड़ चुके ये पूर्व सैनिक शत्रुघन गिरि हैं, जो मूल रूप से समस्तीपुर जिले के सोंगर गांव के रहने वाले हैं। दोनों युद्धों में शौर्य दिखाने पर उन्हें दो-दो मिलिट्री मेडल से सम्मानित किया गया। तत्कालीन केंद्र सरकार की तरफ से साल 1984 में पूर्णिया में उन्हें जमीन भी दी गई, लेकिन इस जमीन पर भूमाफियाओं और असामाजिक तत्वों ने कब्जा जमा लिया है।
अब पूर्व सैनिक इस जमीन पर कब्जा पाने के लिए सालों से शासन-प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं। पीड़ित फौजी शुक्रवार को एक बार फिर पूर्णिया के डीएम और एसपी से मिले। दोनों अधिकारियों ने एक बार फिर मामले की जांच कराकर जमीन पर कब्जा दिलाने का भरोसा दिलाया।
युद्ध के मैदान में दुश्मन देशों के दांत खट्टे करने वाले सैनिक शत्रुघन गिरि घर में ही भूमाफियाओं से हार रहे हैं। इससे वे बहुत व्यथित दिख रहे हैं। युद्ध के दिनों को याद कर वे भावुक हो जाते हैं। साथ ही अपने साथ हो रही इस ज्यादती पर कुछ न कर पाने का दुख भी जाहिर करते हैं।
एक तो बार-बार उन्हें गृह जिले समस्तीपुर से पूर्णिया आकर जमीन की लड़ाई लड़नी पड़ रही है, ऊपर से उम्र के अंतिम पड़ाव में अब चलना-फिरना मुश्किल हो रहा है।
सैनिक के वकील दिलीप कुमार दीपक ने मीडिया से कहा 'मेरे मुवक्किल को जमीन पर कब्जा सरकार अब तक नहीं दिला पायी है। यह प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है। हालांकि मेरे मुवक्किल जमीन की रसीद हर साल कटवाते आ रहे हैं। यानी सरकारी खाते में राजस्व का भुगतान करते आ रहे हैं।'
दिलीप कुमार दीपक बताते हैं कि पूर्णिया जिले में यह अकेला मामला नहीं है, बल्कि ऐसे कई मामले हैं, जिनमें सरकार द्वारा सैनिकों को आवंटित की गई जमीन पर असामाजिक तत्वों ने कब्जा जमा लिया है।
उन्होंने बताया कि कुछ सैनिक और उनके परिजनों ने तो आजिज होकर भूमाफियाओं को ही जमीन बेचना मुनासिब समझा। कुछ लोग कोर्ट की शरण में गए, फिर भी उन्हें आधी-अधूरी जमीन मिल सकी। भूमाफिया ऐसे पूर्व सैनिकों पर दबाव बनाकर उनकी जमीन औने-पौने दामों में खरीदने की फिराक में रहते हैं। इसलिए जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करने का ये खेल जारी है।