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Gujarat Dang Darbar: 13 मार्च से होगा डांग दरबार का आयोजन, जानिए आदिवासियों के लिए क्यों खास है ये कार्यक्रम?

Janjwar Desk
6 March 2022 8:17 PM IST
Gujarat Dang Darbar: 13 मार्च से होगा डांग दरबार का आयोजन, जानिए आदिवासियों के लिए क्यों खास है ये कार्यक्रम
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Gujarat Dang Darbar: 13 मार्च से होगा डांग दरबार का आयोजन, जानिए आदिवासियों के लिए क्यों खास है ये कार्यक्रम

Gujarat Dang Darbar: एक साल के अंतराल के बाद गुजरात के डांग जिला स्थित अहवा में 13 मार्च से चार दिनों तक डांग दरबार का आयोजन होने जा रहा है।

मनीष भट्ट मनु की रिपोर्ट

Gujarat Dang Darbar: एक साल के अंतराल के बाद गुजरात के डांग जिला स्थित अहवा में 13 मार्च से चार दिनों तक डांग दरबार का आयोजन होने जा रहा है। दक्षिण गुजरात के आदिवासी इस वार्षिक आयोजन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। उल्लेखनीय है कि गढ़वी, पिंपरी, डाहर, चिंचली, किरली और वसुर्ना के पूर्ववर्ती शाही परिवारों को वार्षिकी देने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक मेले के रूप में डांग दरबार शुरू किया गया था। स्वयं गुजरात के राज्यपाल डांग आकर इन राजाओं का सम्मान करते हैं और उनके कर कमलों द्वारा सालियाना के रूप में चेक अर्पण किया जाता है।

क्या है इतिहास: आपको बता दें कि डांग के राजाओं ने अपनी करोड़ों की संपत्ति समान अनमोल जंगल सरकार को सौंप दिए थे। बावजूद इसके उन्होंने वन क्षेत्र की सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरती। इसी के कारण उन्हें सम्मान स्वरूप सालियाना दिया जाता है। इसकी राशि कोई अधिक नहीं होती लेकिन इसमें उनके प्रति सरकार और स्थानीय लोगों का प्रेम झलकता है। वास्तविक रूप से देखें तो इन राजाओं की वर्तमान स्थिति किसी गरीब प्रजा से भी बदतर बन चुकी है।

वंशजों के साथ निकाला जाता है जुलूस: हालांकि वार्षिकी राशि छोटी है, मगर इस आयोजन में भाग लेना पूर्ववर्ती शाही परिवारों के वंशजों के लिए एक गौरव के रूप में माना जाता है। वंशजों के अलावा, उनके नाइक और भाऊबंध को भी रिकॉर्ड पर वार्षिकी का भुगतान किया जाता है। पारंपरिक संगीत और नृत्य के साथ रथ पर सवार वंशजों के साथ जुलूस निकाला जाता है। मेले के चौथे दिन पूर्व शाही परिवारों के वंशजों को वार्षिकी प्रदान की जाती है।

लोगों को रहता है बेसब्री से इंतज़ार: दिवाली के बाद, डांग में आदिवासी आबादी खेती में व्यस्त हो जाती है और होली से लगभग 10 दिन पहले, वे उत्सव शुरू करते हैं। होली तक की छुट्टियों के दौरान, क्षेत्र के आदिवासी लगभग हर दिन और रात समूहों में खाते-पीते और नृत्य करते हैं।

लगता है मेला: डांग के पूर्ववर्ती शाही परिवारों परिवार का सम्मान करने के उपरांत आम जनमानस में भी क्षेत्र की लोक संस्कृति को उजागर करने वाले डांग दरबार का आतुरता से इंतजार रहता है। इस मौके पर बाकायदा एक मेला लगता है जिसमें देश के विभिन्न आदिवासी नृत्य और संस्कृति की झांकियां प्रस्तुत की जाती है।

क्या बोला जिला प्रशासन: कलेक्टर भाविन पंड्या ने आयोजन की जानकारी देते हुए कहा, यह डांग के लोगों के लिए एक प्रमुख आयोजन है और इसका सबको बेसब्री से इंतजार है। मेला पिछले साल कोविड -19 प्रतिबंधों के कारण नहीं हुआ था। इस बार जिला प्रशासन कोविड प्रोटोकॉल को बनाए रखते हुए इसे सर्वोत्तम संभव तरीके से आयोजित करने के लिए काम कर रहा है।

(लेखक भोपाल में निवासरत अधिवक्ता हैं। लंबे अरसे तक सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषयों पर लिखते रहे है। वर्तमान में आदिवासी समाज, सभ्यता और संस्कृति के संदर्भ में कार्य कर रहे हैं।)

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