8 विदेशी जमातियों के खिलाफ हाईकोर्ट ने रद्द की FIR, कहा- कोई सबूत नहीं कि इनलोगों ने कोरोना फैलाया
जनज्वार। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने म्यांमार के आठ तब्लीगी जमातियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर और चार्जशीट को रद्द कर कर दिया है। यह दूसरी बार हुआ है। इससे पहले अगस्त माह में भी 29 विदेशी तब्लीगी जमातियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को कोर्ट ने रद्द कर दिया था। कोरोना संक्रमण फैलाने के आरोपों को लेकर दर्ज मामलों को खत्म करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई सबूत केस में नहीं है, जिससे ये साबित होता हो कि इन लोगों ने महामारी फैलाई है।
जस्टिस वीएम वीर देशपांडे और जस्टिस अमित बोरकर की पीठ ने कहा कि इस मामले में केस आगे चलाना इन लोगों के साथ अन्याय होगा। पीठ ने कहा कि इन लोगों की कोरोना जांच रिपोर्ट भी नेगेटिव थी, इसलिए कोरोना फैलाए जाने के आरोप का कोई प्रमाण नहीं मिलता। कोर्ट ने यह भी कहा कि इनके पास से ऐसी कोई सामग्री भी नहीं मिली है, जिससे कहा जा सके कि ये धार्मिक विचारधारा का प्रचार कर रहे थे।
इस साल मार्च में नागपुर के तहसील पुलिस स्टेशन में इन जमातियों के खिलाफ वीजा नियमों के उल्लंघन, महामारी रोग अधिनियम, 1987, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत मामला दर्ज किया था।
इससे पहले अगस्त में बॉम्बे हाईकोर्ट ने 29 विदेश के तबलीगी जमातियों पर दर्ज एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने सुनवाई के दौरान तल्ख लहजे में कहा था कि विदेश से आये जमातियों को बेवजह इस पूरे मामले में बलि का बकरा बना दिया गया। उनके खिलाफ एफआईआर का काई मतलब नहीं है, सभी एफआईआर रद्द की जाएं।
उस वक्त हाईकोर्ट ने कोरोना मामले में मीडिया की भूमिका पर गुस्से का इजहार करते हुए कहा था कि तबलीगी जमात के लोगों के खिलाफ मीडिया ने एक प्रोपेगेंडा चलाकर उन्हें कोरोना फैलाने के जिम्मेदार की तरह पेश किया गया।
बता दें कि तब्लीगी जमात के बड़े केंद्र दिल्ली स्थित निजामुद्दीन में इसी साल के मार्च में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम का आयोजन कराया गया था। इस कार्यक्रम में शामिल कुछ लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। जिसके बाद देशभर में उन लोगों पर कई केस किए गए जो यहां शामिल थे। इसमे बहुत से विदेशी भी थे। हालांकि इससे जुड़े ज्यादातर मामलों में कोर्ट या तो जमानतें दे चुका है या एफआईआर रद्द कर चुका है।