हल्द्वानी में बनभूलपुरा को उजाड़े जाने के विरोध में उतरे कई मजदूर संगठन, 50 हजार लोग हो जायेंगे बेघर
Haldwani news : उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले के आलोक में अब जबकि हल्द्वानी के करीब पचास हजार लोगों को उनके घर से उजाड़े जाने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है तो कुछ लोग अभी भी उस गौरेया की तरह पीड़ितों के साथ खड़े होकर उनकी लड़ाई का दम भर रहे जो, जंगल की आग बुझाने में अपनी क्षमता भर योगदान कर रही थी।
गौरेया का किस्सा कुछ यूं बताते हैं कि जंगल में लगी आग के दौरान एक गौरेया नदी से अपनी चोंच में पानी भरकर लाकर जंगल की धधकती आग में डालकर फिर से चोंच में पानी भरने चली जाती थी। जंगल को जलते देख एक सियार ने जब जब गौरेया को उसकी चोंच के दो बूंद पानी से जंगल की आग कभी भी न बुझने का ताना दिया तो गौरेया का जवाब था कि "मेरी चोंच के इस पानी और मेरे प्रयास से जंगल की आग बुझे न बुझे, लेकिन जब जंगल की इस आग का इतिहास लिखा जा रहा होगा तो मेरा नाम जंगल की आग बुझाने वालों में और तुम्हारा नाम आग को देखने वाले तमाशबीनों में दर्ज होगा।"
जंगल की आग जैसी कहानी से मिलती जुलती ही कुछ परिस्थितियां इन दिनों हल्द्वानी के वनभूलपुरा के उस क्षेत्र की हैं, जहां एक जनहित याचिका की सुनवाई पर आए नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के बाद इस इलाके की करीब पचास हजार आबादी का अतिक्रमण हटाए जाने के नाम पर उजड़ना तय हो चुका है।
इन लोगों को यहां से उजाड़े जाने के लिए अब से कुछ ही घंटों के बाद एक मुनादी की औपचारिकता निभाए जानी है, लेकिन कुछ लोग इस निश्चित पराजय वाली लड़ाई में ऐसे वक्त में भी गौरेया की तरह पीड़ितों के पक्ष में खड़े होकर, उनकी लड़ाई लड़ने का दम भर रहे हैं। जिसके चलते मंगलवार को हल्द्वानी में उत्तराखण्ड के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने बनभूलपुरा बस्ती को उजाड़े जाने का विरोध किया।
इस बैठक में क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, समाजवादी लोक मंच, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी, इंकलाबी मजदूर केन्द्र, समाजवादी पार्टी, सर्व श्रमिक निर्माण कर्मकार संगठन,भाकपा (माले), देवभूमि उत्तराखण्ड सफाई कर्मचारी संगठन, फुटकर व्यापारी जन कल्याण समिति, प्रगतिशील युवा संगठन, सहयोजक समिति, जनसेवा समिति, क्रांतिकारी किसान मंच, आदि के प्रतिनिधियों के अलावा वकील, स्वतंत्र पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता भी बैठक में शामिल हुए। जहां सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने एक स्वर में बस्ती को उजाड़े जाने का विरोध किया।
इस बैठक में एक स्वर में कहा गया कि "बस्ती में एक भी घर न तोड़ा जाए। बनभूलपुरा बस्ती को नियमित किया जाए। बस्ती वासियों को पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जरिये आतंकित न किया जाए। सरकार इस समस्या को हल करने का प्रयास करे।" बैठक में आम सहमति से कहा गया कि इस फैसले से प्रभावित होने वाले नजूल भूमि पर बसे लोग जो भविष्य में इस फैसले के संभावित प्रभावितों तक बनभूलपुरा के लोगों की बात लेकर जायेंगे। उनसे सहयोग की अपील की जायेगी। बैठक में सभी संगठनों ने प्रदेश व देश के सामाजिक संगठनों से बनभूलपुरा वासियों के न्याय के हक में सहयोग करने का आह्वान किया।
इस बैठक में सभी ने कड़ाके की ठण्ड में लोगों को उजाड़े जाने से गरीब-मेहनतकश लोगों के सामने पेश होने वाले जीवन के संकट पर, बच्चों की पढ़ाई और आगामी परीक्षाओं व बच्चों-बूढ़ों, महिलाओं के सामने बस्ती उजाड़े जाने के कदम के दुष्प्रभावों पर गंभीरता से चर्चा की।
लोगों के मानवाधिकार, शिक्षा के अधिकार, महिला अधिकारों के हनन को बर्दाश्त न करने का सभी संगठनों ने संकल्प लेते हुए जो फैसले लिए, उसमें सभी संगठनो द्वारा बनभूलपुरा के सर्मथन में अपनी-अपनी जगह पर बैठक और प्रदर्शन करने, 28 दिसंबर को बनभूलपुरा में मानव श्रृंखला बनाने व बाजार बंद में भागीदारी करने, बनभूलपुरा वासियों को लेकर देश-प्रदेश के सामाजिक संगठनों को शामिल करते हुए बड़ा कार्यक्रम करने की कोशिश, 28 दिसंबर को जिलाधिकारी को यहां घरों को तोड़ने से पहले पुनर्वास करने के लिए ज्ञापन दिया जाने, कुमाऊं कमिश्नरी के पास भी अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन दिया जाने, छात्रों-बच्चों के शिक्षा के अधिकार की मांग उठाते हुये शहर में जुलूस निकालने, सभी संगठनों का एक डेलिगेशन बनाकर जनप्रतिनिधियों (सांसद, विधायक, सरकार आदि) से मुलाकात करने, मुख्य न्यायाधीश के नाम बच्चों के द्वारा शिक्षा के अधिकार के सवाल पर खुला पत्र भेजने जैसी बाते शामिल हैं।
सारे निर्णय बस्तीवासियों के साथ बैठक कर सर्वसहमति से ही लागू करने की बात भी तय की गई। बैठक में बनभूलपुरा बस्ती उजाड़े जाने के विरोध में 26 दिसम्बर को मुकदमे दर्ज किये जाने का विरोध करते हुए 28 दिसम्बर को मानव श्रृंखला बनाने के समर्थन के प्रस्ताव का समर्थन किया गया।
बैठक में क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष पीपी आर्या, टीकाराम पांडे, नसीम, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की केंद्रीय अध्यक्ष बिंदु गुप्ता, महासचिव रजनी जोशी, समाजवादी लोक मंच के अध्यक्ष मुनीष कुमार, परिवर्तनकामी छात्र संगठन के केंद्रीय महासचिव महेश, चंदन, बस्ती बचाओ संघर्ष समिति बनभूलपुरा से रियासत, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पी. सी. तिवारी, दीवान सिंह खनी, इंकलाबी मजदूर केंद्र के केंद्रीय महासचिव रोहित, कोष सचिव सुरेंद्र, समाजवादी पार्टी से शोएब अहमद, भाकपा माले से केके बोरा, देवभूमि उत्तराखंड सफाई कर्मचारी संघ से राहत मसीह, फुटकर व्यापारी जन कल्याण समिति से हसीनुद्दीन, प्रगतिशील युवा संगठन के अध्यक्ष रमेश कुमार, सर्व श्रमिक निर्माण कर्मकार संगठन के अध्यक्ष उमेद राम, जन सेवा एकता कमेटी के अध्यक्ष अलीम खान, क्रांतिकारी किसान मंच से आनंद पांडे, भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष नफीस अहमद खान, इसके अलावा अनेक प्रतिनिधियों, वकील, स्वतंत्र पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता व वनभूलपुरावासी भी बैठक में शामिल हुए।