मोदी सरकार के पीछे हाथ धोकर पड़े राकेश टिकैत का नया पैंतरा, सरकार की तरह किसान आंदोलन भी चल सकता है 5 साल
राकेश टिकैत हुए हमलावर, बोले- ईमानदारी से परिणाम आए तो BJP को होगा काफी नुकसान
नई दिल्ली। आज से ठीक 20 दिन बाद किसान आंदोलन के एक साल पूरे हो जाएंगे। किसान संगठनों ने 26 नवंबर के बाद आंदोलन को फिर से तेज करने का सरकार को अल्टीमेटम दे रखा है। इस बीच भारतीय किसान यूनियन ( Bhartiya Kisan Union ) के बड़बोले नेता राकेश टिकैत ( Rakesh Tikait ) ने किसानों और अन्य नेताओं के साथ गाजीपुर प्रदर्शन स्थल पर ही मारे गए किसानों और जवानों को याद करते हुए दिवाली मनाई। उन्होंने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ( Central Government ) के साथ किसानों की आखिरी बार 22 जनवरी को बात हुई थी। उसके बाद किसान संगठनों की सरकार से कोई बात नहीं हुई।
स्टैंडबाय मोड में हैं किसान
अगर केंद्र सरकार 26 नवंबर तक समस्या का कोई रास्ता नहीं निकाल पाई तो किसान अपने पुराने तेवर फिर आ सकते हैं। किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ दो घंटे के स्टैंडबाय मोड पर हैं। जब उनसे पूछा गया कि आखिरकार किसान आंदोलन ( Kisan Andolan ) कितने दिनों तक चलेगा तो टिकैत ने कहा कि अगर सरकारें 5 साल चल सकती हैं, तो विरोध भी 5 साल तक चल सकता है।
भीड़ कम होना कोई मुद्दा नहीं
राकेश टिकैत ने कहा कि प्रदर्शन स्थल पर लोगों की कम भीड़ कोई मुद्दा नहीं है। लोगों के विचार और राय उन्हें बड़ा बनाते हैं न कि केवल शारीरिक उपस्थिति। इसलिए विरोध स्थल पर भीड़ कम होना कोई मुद्दा नहीं है।
किताब लिखने में व्यस्त हैं योगेंद्र यादव
संसद से पारित तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने वाली संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े एक अन्य किसान नेता योगेंद्र यादव के बारे में अटकलों पर विराम लगाते हुए टिकैत ने कहा कि यादव ने एक किताब लिखने के लिए समय लिया है और उनके बीच कोई आंतरिक दरार नहीं है। आंदोलन को जारी रखने के मुद्दे पर सभी किसानों की राय एक है।
Also Read : Climate change : लोग अभी से क्यों सोचने लगे बच्चे पैदा करें या नहीं, ये है हकीकत
सड़क पार करने की कोशिश में हुई महिलाओं की मौत
बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि टिकरी सीमा के पास तीन महिलाओं की दु:खद मौत का किसानों के विरोध-प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं था। उस स्थान पर कोई विरोध स्थल नहीं था। उन्होंने बताया कि सड़क पार करने की कोशिश में महिलाओं की मौत हुई थी। इसी तरह दिल्ली-हरियाणा सीमा पर सिंघू बॉर्डर पर निहंग सिख समुदाय के कुछ सदस्यों द्वारा एक दलित मजदूर की निर्मम और नृशंस तरीके से हत्या के सवालों के जवाब में टिकैत ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इस वजह से आंदोलन का महत्व कम हुआ है। अगर कोई हत्या कोर्ट रूम के अंदर की जाती है, तो क्या वह बंद हो जाए।
Also Read : Delhi Weather Update : दिल्ली एनसीआर की सेहत नासाज, AQI बहुत खराब