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The Kashmir Files की सफलता पर नेताओं के साथ स्टेज शेयर करना अलग बात है, पर इसकी कमाई से "चैरिटी की उम्मीद है बेमानी"

Janjwar Desk
24 March 2022 7:03 AM GMT
द कश्मीर फाइल्स पर भड़के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला
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The Kashmir Files की सफलता पर नेताओं के साथ स्टेज शेयर करना अलग बात है, पर इसकी कमाई से चैरिटी की उम्मीद बेमानी

The Kashmir Files : द कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर जारी इन सब घटनाक्रम के बीच मध्य प्रदेश के एक आइएएस नियाज खान ने फिल्म को लेकर कई सवाल उठाए साथ ही उन्होंने ट्वीट किया कि 'कश्मीर फाइल्स' के निर्माता का मैं सम्मान करूंगा अगर वह सारी कमाई ब्राह्मण बच्चों की शिक्षा और कश्मीर में उनके लिए घरों के निर्माण के लिए दें. यह महान दान होगा।

The Kashmir Files : हम तीन घंटे की कोई फिल्म देखने मूवी थियेटर में इस उम्मीद में जा​ते हैं कि हमें थोड़ा इंटरनेटमेंट (Entertainment) मिले। जब सिनेमा थियेटर के अंदर थोना गाना-बाजाना, थोड़ी डांसिंग, थोड़ी कॉमेडी और थोड़ा एक्शन जब इन तड़कों से सजी फिल्म हमारे सामने स्क्रीन पर पड़ोसी जाती है तो हम सिनेहॉल से बाहर निकलते-निकलते वाह-वाह कर उठते हैं। हमारा पैसा वसूल हो जाता है।

पर इन सबके विपरीत हमारे बॉलीवुड (Bollywood) में कुछ फिल्में ऐसी भी बनीं हैं जिसमें सिनेमाई तड़का तो दर्शकों नहीं मिलता लेकिन ये फिल्म जिन सामाजिक मुदृदों केन्द्र में रखकर बनायी गयी हैं। उसके प्रति हमें अंदर तक झकझोड़ कर रख देती है। हाल में विवेक रंजन अग्निहोत्री (Vivek Ranjan Agnihotri) की फिल्म दी कश्मीर फाइल्स भी ऐसी ही फिल्मों में श्रेणी में है। जब से कश्मीर फाइल्स रिलीज हुई है तब से हर दिन ​किसी ना किसी कारण को लेकर चर्चा में बनी है। विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन कर रही है। 13वें दिन में फिल्म ने करीब 200 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर ली है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फिल्म अच्छा प्रदर्शन कर रही है, लेकिन फिल्म को लेकर कई विवाद भी सामने आ रहे हैं।

कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) पर बनी इस फिल्म को हमारे देश का एक तबका शानदार सिनेमा का उदाहरण बता रहा है। जब से फिल्म थियेटरों में लगी है अक्सर शो खत्म होने के बाद लोग अपनी आंखों में आसू लिए थियेटर से बाहर निकल रहे हैं। थियेटरों में वंदे मातरम, भारत माता की जय जैसे नारे भी लगाए जा रहे हैं। ​फिल्म की फैन फॉलोइंग को सरकार का भी साथ मिला है। कई राज्यों में फिल्म को टैक्स फ्री घोषित कर दिया गया है। फिल्म के निर्माता निर्देशक देश के दिग्गज नेताओं के साथ स्टेज शेयर करते और तस्वीरों में नजर आने लगे हैं।

पर इसी समाज का एक दूसरा तबका इन सब बातों से इत्तिफाक नहीं रखता है। इस तबके में नाराजगी है। उनका कहना है कि फिल्म में कश्मीरी पंडितों का जो दर्द दिखाया गया है वह भले ही सही हो। पर इस फिल्म में जिस तरीके से एक आम कश्मीरी मुसलमान को चित्रित किया गया है वह निश्चित रूप से आपत्तिजनक है। उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के दो सांसदों ने फिल्म पर बैन तक लगाने की सरकार से मांग कर डाली है।

द कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर जारी इन सब घटनाक्रम के बीच मध्य प्रदेश के एक आइएएस नियाज खान ने फिल्म को लेकर कई सवाल उठाए साथ ही उन्होंने ट्वीट किया कि 'कश्मीर फाइल्स' के निर्माता का मैं सम्मान करूंगा अगर वह सारी कमाई ब्राह्मण बच्चों की शिक्षा और कश्मीर में उनके लिए घरों के निर्माण के लिए दें. यह महान दान होगा।'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पलटवार किया कि उन्हें इस बात पर चर्चा के लिए मिलना चाहिए कि कश्मीर फाइल्स की कमाई और नियाज खान ने जो किताबें लिखीं हैं उनकी रॉयल्टी और उनकी आईएएस की स्थिति से कैसे लोगों की मदद की जानी चाहिए।

इस घटनाक्रम के बीच इस चर्चा ने लोगों के जो पकड़ ली है कि क्या सच में विवेक रंजन अग्निहोत्री को अपनी फिल्म की कमाई जो अब 200 करोड़ के पार कर चुकी है वह कश्मीरी पंडितों की भलाई पर खर्च नहीं करनी चाहिए। हालांकि अब तक हमारे देश में जो ​इतिहास रहा है वह तो यही है भले की किसी सामाजिक मुद्दे पर कोई फिल्म बन जाए पर उसकी कमाई से जिन लोगों पर यह फिल्म बनी है उन खर्च हो ऐसा अब तक तो देखने को नहीं मिला है। इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए आइए भारत में सामाजिक मुद्दों पर बनी ​फिल्मों पर नजर ​डालते हैं।

रंग दे बसंती (Rang De Basanti) : साल 2006 में अभिनेता आमिर खान अभिनीत एक फिल्म आई थी रंग थे बसंती। इस फिल्म में भारतीय वायुसेना में विमानों की खरीद में होने भ्रष्टाचार पर एक खूबसूरत तरीके से बहस छेड़ी गयी थी। फिल्म जनता को खूब पसंद आयी थी। फिल्म में दुनियाभर में लगभग सौ करोड़ ;97 करोड़ 90 लाख की कमाई की थी। पर इस कमाई का कोई भी हिस्सा देश में भ्रष्टाचार के उन्मुलन या भ्रष्टाचार के प्रति लोगों को जागरूक करने पर खर्च नहीं किया गया। ऐसे में एक महत्वपूर्ण सामाजिक बुराई पर बनी फिल्म भले ही लोगों को भवनाओं को उकेरने में सफल रही थी पर यह भी शुद्ध रूप से एक व्यावसायिक फिल्म ही बनकर रह गयी है। फिल्म ने निर्माताओं की जेब तो भर दी पर समाज के हित में इस फिल्म की कमाई का कोई भी हिस्सा प्रयुक्त नहीं हो सका।

चक दे इंडिया (Chak De India) : भारत में महिला हॉकी के खेल पर 2007 में एक फिल्म बनी चक दे इंडिया। फिल्म में हॉकी कोच के मुख्य भूमिका में थे अभिनेता शाहरुख खान। फिल्म ने रिलीज होने के साथ ही देश में सफलता के झंडे गाड़ने शुरू कर दिए। चक दे ​इंडिया शब्द किसी भी मैच में भारत की जीत का टैगलाइन बन गया। फिल्म ने जबरदस्त सफलता दर्ज करने हुए लगभग 70 करोड़ रुपए की कमाई की। इस कमाई का एक छोटा सा हिस्सा भी भारत में महिला हॉकी की बेहतरी पर फिल्म निर्माताओं की ओर से किया गया ऐसी कोई सूचना पब्लिक डोमेन में तो नहीं ही आ सकी। आज भी देश में महिला हॉकी में बहुत बदलाव हुए हैं पर खि​लाड़ियों की स्थिति बहुत संतोषजनक है यह नहीं कहा सकता। ऐसे में चक दे इंडिया भी विशुद्ध रूप से एक व्यवसायिक फिल्म ही साबित जिससे देश की महिला हॉकी प्लेयर्स का कोई भला नहीं हो पाया।

तारे जमीन पर (Tare Zameen Par) : साल 2007 में एक और महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे पर फिल्म आयी थी जिसका नाम था तारे जमीन पर। फिल्म में ​डायलेक्सिक किड्स (Dyslexic Kids) के बारे में बताया गया था। फिल्म भी ​बेहतरीन बनी थी। निर्देशक अमोल गुप्ते की इस फिल्म ने बॉक्स आॅफिस (Box Office) पर तकरीबन 137 करोड़ रुपए की कमाई की थी। इस कमाई का शायद ही कोई हिस्सा डायलेक्सिया के शिकार बच्चों की भलाई पर खर्च किया गया। हालांकि इतना जरूर है कि देश में पहली बार डायलेक्सिया जैसी समस्या पर चर्चा शुरू हुई। इस फिल्म ने देश में लोगों को इस बारे में बड़े पैमाने पर जागरूक किया। पर यह फिल्म भी एक व्यवसायिक फिल्म ही बनकर रह गयी।

फिल्मों से होने वाली कमाई को किसी समाज की भलाई पर खर्च करने के मुद्दे पर लंबे समय से सामाजिक मामलों को कवर कर रहे पत्रकार विजय कृष्ण अग्रवाल का मानना है कि भारत में अब तक फिल्में लोगों के मनोरंजन के लिए ही बनायी जाती रहीं। उनका एक ही मकसद होता है फिल्म की लागत को निकालकर उससे लाभ कमाना। कभी-कभार कोई निर्माता अपनी प्रॉफिट का कोई हिस्सा चैरिटी कर थे यह अलग बात है। पर यह भी बहुत छोटे पैमाने पर होता है। पर सच्चाई तो यही है कि कभी किसी बड़ी फिल्म की कमाई को समाज के एक बड़े हिस्से की भलाई पर खर्च किया गया हो ऐसा अभी तक नहीं हुआ है।

द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir) से हुई आमदनी को कंश्मीरी पंडितों पर खर्च करने के मुद्दे पर अग्रवाल करते हैं कि यह फिल्म के साथ जुड़े विवादो में जुड़ा एक नया विवाद ही है। यह एक बढ़िया फिल्म है पर इसकी आमदनी कश्मीरी पंडितों पर खर्च कर दी जाएगी। ऐसा सोचा फिलहाल बेमानी है। यह पूरी तरह से फिल्मकार और फिल्म निर्माता के अपने विवेक पर निर्भर करता है। वह किसी के कहने या नहीं कहने से ऐसा नहीं करने वाला। किसी दबाव में कोई चैरिटी नहीं होती है

फिलहाल, इन सब विवादों के बीच विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स ने इस साल बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन करते हुए इतिहास रच दिया है। न्यूनतम उम्मीदों और अपेक्षाओं के साथ रिलीज हुई फिल्म ने 200 करोड़ का अहम आंकड़ा पार कर लिया है। दनादन कमाई अब भी जारी है। 2020 और 2021 में कोरोना वायरस महामारी के संकट के बाद सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म कश्मीर फाइल्स बन गयी है, जबकि दूसरे स्थान पर अक्षय कुमार की सूर्यवंशी है।

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