Privatization : निजीकरण के मसले पर RSS की भी नहीं सुन रही मोदी सरकार, संघ ने क्यों की देशव्यापी आंदोलन की घोषणा ?
(निजीकरण के विरुद्ध आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने देशव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया है)
Privatization : तो क्या केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार प्राइवेटाइजेशन (Privatization) के मामले में आरएसएस (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के विचारों को भी तरजीह नहीं दे रही? यह सवाल इसलिए उठने लगा है क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने मोदी सरकार की आर्थिक और विनिवेश नीतियों के खिलाफ 28 अक्टूबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा कर दी है। यह एलान करते हुए संघ ने कहा है कि संगठन 'वोट पर चोट' करेगा।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में विनिवेश को लेकर विपक्ष की ओर से आलोचनाओं का सामना कर रही मोदी सरकार को अब अपनों का भी विरोध झेलना पड़ रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (Bharatiya Majdoor Sangh) ने केंद्र सरकार के इस कदम का विरोध करने के लिए 28 अक्टूबर को देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया है।
बीएमएस के राष्ट्रीय सचिव गिरीशचंद्र आर्य (Girish Chandra Arya) ने कहा कि सरकार की आर्थिक नीतियां जनहित के अनुकूल नहीं है। राष्ट्रीय परिसंपत्तियों को बेचने का दीर्घकालिक नुकसान हाेगा।
एएनआई से बात करते हुए भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के ऑल इंडिया सेक्रेटरी गिरीशचंद्र आर्य ने कहा, ''बीएमएस की समन्वय समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के विनिवेश के सरकार (Modi Government) के फैसले का विरोध करने का फैसला किया है। आंदोलन के लिए पहचान रखने वाले सभी ट्रेड यूनियनों (Trade Unions) को सरकार की इस नीति का विरोध करना चाहिए, लेकिन उन्होंने चुप रहना चुना। ऐसी स्थिति में हमने राष्ट्रव्यापी धरने का फैसला किया है।''
उन्होेंने कहा कि सरकार से सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने (Selling of Public Units), सरकारी उपक्रमों में विदेशी पूंजी की सीमा बढ़ाने, बैंकों का निजीकरण करने आदि से संबंधित मुद्दों पर कई बार प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत की गयी है लेकिन सरकारी की आर्थिक नीतियों में कोई बदलाव नहीं आया है। सरकार अपने रुख पर अड़ी हुई है।
उन्होंने आगे कहा, ''इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि सत्ता में कौन है। सार्वजनिक क्षेत्र के लिए हमारा रुख समान रहना चाहिए। यह महसूस करना चाहिए कि सार्वजनिक क्षेत्र बहुत अच्छा लाभांश (Profit) देता है। केंद्र सरकार इसे क्यों बेचना चाहती है?'' आर्य ने कहा कि उन्होंने एनएचपीएल, बीएसएनएल (BSNL) और बीएचईएल (BHEL) सहित स्टील, पावर, टेलिकॉम, बैंक, इंश्योरेंस सेक्टर के लोगों को आमंत्रित किया है।
उन्होंने कहा कि बीएमएस (BMS) सरकार की नीतियों में बदलाव के लिए अगले वित्त वर्ष के लिए पेश होने वाले आम बजट तक प्रतीक्षा करेगा। उन्होंने कहा की अगर सरकार की आर्थिक एवं विनिवेश संबंधी नीतियों में जनहित में कोई बदलाव नहीं होता है तो बीएमएस जन आंदोलन करते हुए ' वोट पर चोट' करेगा।
उन्होंने कहा, ''सरकार विनिवेश के मोर्चे पर विफल (Modi Government fail) रही। सरकार निजीकरण के मोर्चे पर भी विफल रही। सरकार ऐसे अर्थशास्त्रियों की मदद से काम कर रही है जो इन कदमों को बढ़ावा देते हैं। वह देश के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) खुद कहती हैं सरकार बिक्री नहीं कर रही है। मैं मनाता हूं कि इस कदम से सरकार पट्टे पर डाल रही है।''
बता दें कि इस साल 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए कहा था कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के रणनीतिक विनिवेश की नीति को मंजूरी दी है, जो सभी गैर-रणनीतिक और रणनीतिक क्षेत्रों में विनिवेश के लिए एक स्पष्ट रोडमैप प्रदान करेगी।
इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्रों के कई उपक्रमों के विनिवेश की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विनिवेश के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने अलग मंत्रालय और विभागों का गठन किया है ताकि विनिवेश योग्य संस्थानों की जानकारी जुटाई जा सके और उनके विनिवेश की प्रक्रिया पूरी की जा सके।