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100 किमी पैदल चली 12 साल की आदिवासी बच्ची, घर पहुंचने से चंद किमी पहले भूख-प्यास से हो गयी मौत

Prema Negi
21 April 2020 8:01 AM GMT
100 किमी पैदल चली 12 साल की आदिवासी बच्ची, घर पहुंचने से चंद किमी पहले भूख-प्यास से हो गयी मौत
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2 महीने पहले रोजगार की तलाश में 12 साल की बच्ची जमलो मड़कामी तेलंगाना गई थी, मगर घर जिंदा वापस नहीं लौट पायी, घर वापस आयी तो सिर्फ उसकी लाश, भूख—प्यास से बेहाल बच्ची ने घर से कुछ किलोमीटर दूरी पर दम तोड़ दिया...

संजय ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार, रांची। कोरोना के चलते देश भर में लगे लाॅकडाउन ने एक 12 साल की बच्ची की जान ले ली। बच्ची अपने घर पहुंचने 100 किलोमीटर पैदल चलती रही, लेकिन जब घर की दूरी मात्र 14 किलोमीटर ही बची थी गर्मी की वजह से बच्ची ने दम तोड़ दिया। यह मामला छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले का है।

जानकारी के मुताबिक बीजापुर के आदेड गांव में रहने वाली 12 वर्षीय जमलो मड़कामी कुछ महीने पहले रोजगार की तलाश में तेलंगाना के पेरुर गांव गई हुई थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते रोजगार छीन गया था। कुछ दिन इंतजार के बाद बच्ची अन्य 11 लोगों के साथ जमलो मड़कामी अपने घर के लिए पैदल ही निकल गई।

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लॉकडाउन के चलते राज्यों की सीमा बंद थी, इसलिए बच्ची पैदल ही जंगल के रास्ते 114 किलोमीटर के सफर पर निकल गई, लेकिन 3 दिनों तक लागातार पैदल चलने के बाद गर्मी और भूख प्यास की वजह से बच्ची ने 18 अप्रैल को रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़-तेलंगाना की बॉर्डर पर बसे बीजापुर जिले से हजारों लोग मिर्ची तोड़ने जैसे रोजगार की तलाश में तेलंगाना जाते हैं। इन्हीं लोगों में जमलो मडकामी भी शामिल थी। लाॅकडाउन के चलते रोजगार खत्म हो चुका था और दूसरे चरण का लॉकडाउन लगने के बाद 15 अप्रैल को तेलंगाना से ये मासूम अपने साथियों के साथ बीजापुर के लिए पैदल ही रवाना हो गई।

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लॉकडाउन के दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साधन पूरी तरह बंद थे। साथ ही राज्यों की सीमा भी सील थीं, इसलिए बच्ची ने 3 दिन लगातार चलकर जंगल के रास्ते करीब 100 किलोमीटर का सफर तय किया। इस दौरान बीहड़ों में तेज गर्मी और भूख-प्यास की वजह से बीजापुर के मोदकपाल गांव पहुंच बच्ची ने 18 अप्रैल को दम तोड़ दिया।

स मामले में ​बीजापुर के जिला चिकित्साधिकारी डॉ. बीआर पुजारी कहते हैं, 'बच्ची की जहां मौत हुई, उससे 14 किलोमीटर की दूरी पर ही उसका घर था। प्रवासी नाबालिग मजदूर के मौत की खबर लगते ही एहतियात के तौर पर प्रशासन ने बच्ची के शव के साथ तेलंगाना से आ रहे मजदूरों को भी क्वरंटाइंन कर दिया है, हालांकि पोस्टमार्टम में बच्ची की कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है।

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पनी इकलौती बेटी की मौत की खबर लगते ही पिता आंदोराम मडकम और मां सुकमती मडकम जिला चिकित्सालय बीजापुर पहुंचे। इस मामले में मृतक बच्ची के पिता आंदोराम मडकम कहते हैं मौत के दो दिनों बाद 20 तारीख को बच्ची का शव उन्हें सौंपा गया है। बच्ची के परिजनों ने बताया कि उनकी बेटी अन्य लोगों के साथ 2 महीने पहले रोजगार की तलाश में तेलंगाना गई थी और उनकी बच्ची फिर जिंदा वापस नहीं लौट पायी। उनके हाथ लगी तो सिर्फ उसकी लाश, भूख-प्यास से बेहाल बच्ची ने घर से कुछ किलोमीटर दूरी पर दम तोड़ दिया।

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