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हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ही हराएगी कांग्रेस को
गुटबाज़ी, पार्टी पर कब्ज़े और बिखराव से कांग्रेस की हालत हुई है खराब, केंद्रीय नेतृत्व को ठहराया जा रहा है इसके लिए जिम्मेदार...
हरियाणा से स्वतंत्र कुमार की रिपोर्ट
जनज्वार, हरियाणा। हरियाणा में पहले से ही कांग्रेस की हालत पतली थी, लेकिन आपसी गुटबाज़ी, बिखराव से हरियाणा कांग्रेस को खुद हरियाणा कांग्रेस हराएगी। 2004 से 2014 तक 10 साल प्रदेश में कांग्रेस के राज के बाद 2014 में पहली बार बीजेपी ने बिना किसी दूसरी पार्टी के सहारे के प्रदेश में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में सरकार बनाई।
5 साल बाद बीजेपी ने प्रदेश में पहले से ज्यादा मजबूत पकड़ बना ली है, जबकि कांग्रेस पार्टी बिखराव की ओर अग्रसर है। हरियाणा की राजनीति पर पकड़ रखने वाले संदीप डागर बताते हैं कि हरियाणा कांग्रेस की इस हालत के लिए दिल्ली ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने बताया जब 2014 में हरियाणा में भूपेंदर सिंह हुड्डा सत्ता में थे, उसी दौरान फरवरी 2014 में अशोक तंवर को हरियाणा के कांग्रेस की अध्यक्ष की कुर्सी सौंप दी गई। तंवर को राहुल गाँधी का करीबी माना जाता था और कांग्रेस में राहुल गाँधी की पकड़ धीरे धीरे मजबूत हो रही थी। कुछ समय बाद हुड्डा सत्ता से बाहर हो गये।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा की नज़र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर थी, लेकिन उनकी बात नहीं बन पाई। चूँकि हुड्डा कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं और एक दशक तक हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे थे, ऐसा माना जाता है कि उन्होंने तंवर को प्रदेश कांग्रेस में स्थापित न होने देने की कसम खा ली थी। इसका परिणाम आगे देखने को भी मिला।
हरियाणा कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर के नजदीकी नेता ने आरोप लगाया कि हरियाणा में कांग्रेस के 17 MLA थे, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए एक भी विधायक को अशोक तंवर के साथ नहीं जुड़ने दिया। इतना ही नहीं पूरे प्रदेश में कांग्रेस की जिला स्तरीय कमेटी तक नहीं बनने दी। इस नेता ने कहा कि आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस पार्टी का संगठन ही नहीं होगा तो चुनाव जीतने की बात तो दूर चुनाव लड़ कैसे पायेगी।
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इस तरह कांग्रेस में तंवर और हुड्डा गुट के बीच खींचतान चलती रही। इसका वीभत्स परिणाम वर्ष 2016 में देखने को मिला जब राहुल गाँधी की रैली में अशोक तंवर पर हमला हो गया, जिसमें उनका हाथ टूट गया। तंवर गुट से जुड़े इस नेता का आरोप है कि ये हमला हूडा की तरफ से कराया गया था, इस मामले में कोर्ट में केस भी चल रहा है।
इस दौरान गुडगाँव और फरीदाबाद के नगर निगम का चुनाव आया तो अशोक तंवर ने इस बात के लिए जोर लगाया की कांग्रेस पार्टी अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़े, लेकिन एक बार फिर उनकी नहीं चली, ऐसा खुद अशोक तंवर ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने से पहले कहा। फिर एक बार 2018 में प्रदेश में 5 जिलों में नगर निगम के चुनाव आये, अशोक तंवर ने बताया कि उन्होंने एक बार फिर से पार्टी से अपने सिंबल पर चुनाव लड़ने के लिए पार्टी में जोर लगाया, लेकिन उनकी एक बार फिर नहीं चली और कांग्रेस नगर निगम के पांचों शहरों के चुनाव हार गई और अपने सिंबल पर लड़ी बीजेपी ने सभी शहरों की नगर निगम के मेयर के पद पर कब्ज़ा कर लिया।
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इसके बाद हरियाणा में जींद के एमएलए की मौत होने की वजह से वहां उपचुनाव की घोषणा हो गई, कांग्रेस ने अपने कद्द्वार नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला को मैदान में उतारा। राजनीतिक विश्लेषक सतीश राणा बताया की इस चुनाव में भी कांग्रेस में गुटबाज़ी हावी थी और कांग्रेस चुनाव हार गई। अशोक तंवर ने पिछले दिनों पार्टी छोड़ते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप लगाया कि रणदीप सिंह सुरजेवाला को हारने में हरियाणा कांग्रेस के ही कद्दावर नेता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यदि रणदीप इस चुनाव को जीत जाते तो वे भी सीएम पद के दावेदार बन जाते और इस नेता के रास्ते में आ सकते थे।
ऐसा माना जाता है कि हरियाणा कांग्रेस में सिर्फ एक-दो गुट नहीं हैं बल्कि कई गुट हैं। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि हरियाणा कांग्रेस में एक हुड्डा गुट है, एक रणदीप सिंह सुरजेवाला का गुट है, एक गुट दक्षिण हरियाणा से आने वाले कप्तान अजय यादव का है तो एक गुट हरियाणा के पूर्व सीएम रहे दिवंगत भजन लाल के बेटे कुलदीप विश्नोई का है।
एक गुट हरियाणा के ही पूर्व सीएम रहे बंसीलाल की पुत्रवधु और भिवानी से आने वाली किरण चौधरी का भी है। इसी तरह एक गुट से कुमारी शैलजा का भी बताया जाता है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं किसी पार्टी में इतने गुट हो तो पार्टी एकजुट कैसे रह सकती है। यह गुटबाज़ी लोकसभा चुनाव में भी चलती रही और कांग्रेस प्रदेश की सभी 10 सीटों पर चुनाव हार गई।
विधानसभा चुनाव आते ही हुड्डा ने दिखाए हाईकमान को तेवर
हरियाणा में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा बार फिर सक्रिय हो गए और उन्होंने एक बड़ी रैली कर एक बड़ा फैसला करने का निर्णय लिया। उधर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली बड़ी हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गाँधी से कांग्रेस के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इस मौके का फ़ायदा उठाते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पार्टी हाईकमान को स्पष्ट कर दिया की यदि उन्हें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी नहीं दी गई तो वे कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह देंगे। कांग्रेस की कमान राहुल गाँधी से हटकर अब सोनिया गाँधी के हाथ में आ चुकी थी। ऐसा माना जाता है कि राहुल गाँधी के कांग्रेस का अध्यक्ष का पद छोड़ते ही सोनिया गाँधी के करीबी रहे नेता फिर सक्रिय हो गए। भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दवाब काम कर गया।
राहुल गाँधी के करीबी रहे अशोक तंवर को हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया, लेकिन भूपेंदर सिंह हुड्डा को अध्यक्ष का पद नहीं दिया गया, लेकिन सोनिया गाँधी की करीबी और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को सितम्बर,2019 हरियाणा कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंप दी गई। अब चुनाव को एक महीना रह गया था। अशोक तंवर ने अध्यक्ष पद से हटाए जाने पर खुल कर नाराज़गी व्यक्त की।
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चुनाव की घोषणा होते ही पार्टियां कैंडिडेट्स के सलेक्शन में व्यस्त हो गई। उधर हुड्डा ने कई बड़े नेताओं की कांग्रेस में ज्वाइनिंग करवा दी। जब टिकट वितरण का समय आया तो हरियाणा इकाई के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने 10 जनपथ पर अपने समर्थकों के साथ धरना दे दिया। अशोक तंवर ने बड़ा आरोप लगते हुए कहा कि कांग्रेस की टिकट पांच-पांच करोड़ में बेची जा रही हैं, उन्होंने कांग्रेस हाई कमान से अपील की कि कांग्रेस में चल रही गड़बड़ी को रोका जाये और जिन लोगों में उनके साथ पांच साल मेहनत की है उन्हें भी टिकट दिए जाएँ।
काफी माथापच्ची के बाद कांग्रेस के प्रत्याशियों की घोषण कर दी गई। अशोक तंवर ने आरोप लगाया की उनके एक भी समर्थक को टिकट नहीं दी और उन्होंने नाराज़गी व्यक्त करते हुए कांग्रेस की सभी कमेटियों से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी को पत्र लिखकर कांग्रेस की प्राथमिक सदस्य्ता से भी इस्तीफा दे दिया। अब अशोक तंवर खुलकर कांग्रेस से बगावत कर रहे हैं और पूरे प्रदेश में घूम घूम कर कांग्रेस को हराने के लिए प्रचार कर रहे हैं।
अशोक तंवर को लेकर भिड़े शैलजा और सुरजेवाला
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला कैथल से चुनाव लड़ रहे हैं, और जींद उपचुनाव के दौरान रणदीप सुरजेवाला के लिए अशोक तंवर ने चुनाव में जमकर पसीना बहाया था। यही वजह से रणदीप सुरजेवाला आज भी कह रहे हैं की यदि कोई नाराज़ होकर गया है तो उसकी नाराज़गी दूर करके उसे पार्टी में वापस लाया जाये। उन्होंने तो यहाँ तक कह डाला कि अशोक तंवर को वापस लाने की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा और पूर्व सीएम व पार्टी के कद्द्वार नेता भूपेंदर सिंह हूडा की है।
वहीं सिरसा में चुनाव प्रचार करते हुए कुमारी शैलजा ने इंडिया नेशनल लोकदल के पूर्व सांसद चरणजीत सिंह रोड़ी की कांग्रेस में ज्वाइनिंग कराई। गौरतलब है कि अशोक तंवर सिरसा लोकसभा सीट से ही सांसद रहे हैं। सिरसा में जब कुमारी शैलजा से अशोक तंवर को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा की अशोक तंवर का चैप्टर अब क्लोज हो चुका हैं। ऐसे में प्रदेश के कांग्रेस से जुड़े लोग बस यही कह रहे हैं कि इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को कोई हराएगा तो वह कांग्रेस ही है।