corona Effect : शाहीनबाग में दिल्ली पुलिस की बड़ी कार्रवाई, 100 दिन का धरना जबरन कराया गया ख़त्म
शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून CAA के खिलाफ पिछले 100 दिनों से चल रहे प्रदर्शन पर पुलिस ने की बड़ी कार्रवाई, प्रदर्शन स्थल को पूरी तरह से करवा लिया है खाली...
जनज्वार, दिल्ली। दिल्ली के शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून CAA के खिलाफ पिछले 100 दिनों से चल रहे प्रदर्शन पर पुलिस ने कार्रवाई की है। पुलिस ने आज मंगलवार 24 मार्च की सुबह प्रदर्शन स्थल को पूरी तरह से खाली करवा लिया है। इसके अलावा वहां प्रदर्शन के दौरान लगाए गए टेंट को भी हटा दिया गया है। हालांकि लोगों ने कहा कि हमने रात को ही कर्फ्यू की आशंका से प्रदर्शन स्थल खाली कर दिया था।
साउथ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी के मुताबिक शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन वाली जगह से लोगों को हटा दिया गया है। आने-जाने के लिए रास्ते को खाली कराया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'इस कार्रवाई के लिए बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स बुलाई गई थी। हमने प्रदर्शन कर रहे लोगों से अपील की थी कि कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन की वजह से यहां से हट जाएं। लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उन्हें हटा दिया है।' पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया है।
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कोर्ट ने वार्ताकारों से कहा था कि वे प्रदर्शन स्थल पर जाकर प्रदर्शनकारियों से प्रदर्शन खत्म करने के लिए तैयार करें, लेकिन वार्ताकार इसमें सफल नहीं हो सके थे। इससे पहले शाहीन बाग में लोगों से 31 मार्च तक प्रदर्शन स्थल से दूरी रहने और घर बैठकर सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी मुहिम को जारी रखने की अपील की गई थी। लोगों को सलाह दी गई थी कि वह मंच, प्रदर्शनस्थल के आसपास एकत्रित न हों और कोरोना से बचाव के लिए हरसंभव कदम उठाएं।
वहीं, रविवार 22 मार्च को शाहीनबाग में किसी अज्ञात शख्स ने हमला कर दिया था। शख्स शाहीनबाग में पेट्रोल बम फेंककर फरार हो गया था। मामले की सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच के बाद केस दर्ज कर लिया था।
शाहीनबाग खाली करवाने की अपनी कार्रवाई को पुलिस ने कोरोना वायरस से बचाव का जामा पहनाते हुए अंजाम दिया है। पुलिस ने खुद का बचाव करते हुए दावा किया कि प्रदर्शनकारियों से पहले अपील की गयी थी, लेकिन जब वह नहीं माने तो यह कदम उठाना पड़ा। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए आज दिल्ली में लॉक डाउन का दूसरा दिन है। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के टेंट और तंबू उखाड़ दिये हैं।
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पुलिस ने दिल्ली में नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में चल रहे आठों धरना स्थल को खाली करा दिया है। इसमें हौज रानी, जामियानगर, सीलमपुर, जाफराबाद, तुर्कमान गेट व मालवीयनगर भी शामिल है। रविवार 22 मार्च से ही प्रदर्शनकारियों व पुलिस के बीच तनाव चल रहा था।
प्रदर्शनकारियों के मुताबिक यह व्यवस्था कोरोना वायरस के खतरे के टल जाने तक जारी रहेगी। दूसरी ओर पुलिस बार बार धरना स्थल को खाली कराने की कोशिश कर रही थी। इसी को लेकर प्रदर्शनकारियों ने यह व्यवस्था की थी। सोमवार 23 मार्च को भी यहां कुछ जगह पर चप्पल आदि रख दिये थे। प्रदर्शनकारियों ने सांकेतिक धरना शुरू कर दिया था।
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पुलिस की इस कार्रवाई का प्रदर्शनकारियों ने खासा विरोध किया है। उनका कहना है हम न सिर्फ सांकेतिक धरना दे रहे थे, बल्कि वायरस न फैल इसे लेकर भी इंतजाम कर रखे थे। यहां हर कोई एक दूसरे से निश्चित दूरी पर बैठा था। भीड़ तो कतई नहीं थी। न भाषण दिया जा रहा था, न अन्य कोई गतिविधि चल रही थी। इसके बाद भी उनके खिलाफ यह कदम उठाया गया है। जिसका वह विरोध करते हैं।
इससे पहले रविवार को धरने के पास ही पेट्रोल बम हमले के अलावा यहां आग भी लगी थी, हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ था। इतना ही नहीं धरनास्थल के पास से कुछ कारतूस भी मिले थे। सीसीटीवी कैमरो के फुटोज से पता चला था कि बाइक सवार ने बम से हमला किया है। था।
गौरतलब है कि शाहीन बाग का धरना केंद्र सरकार के गले की फांस बन गया था। राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धरने को सुर्खिया मिल रही थी। यह धरना नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ 15 दिसंबर से शुरू हुआ था। इसके विरोध में बड़ी संख्या में महिलायें धरने पर बैठ गयी थीं।
यहां तक कि अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप की यात्रा के दौरान भी धरना इसी तरह से चलता रहा था। धरने को देश के सामाजिक, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त था। धरने को खत्म करने का मामला कोर्ट में भी गया था। कोर्ट ने मध्यस्थ नियुक्त कर धरना समाप्त कराने की कोशिश की थी, लेकिन यह कोशिश भी कामयाब नहीं हुई। अंतहीन होते दिख रहे धरने को आखिरकार आज कोरोना के भय से ही सही इसे खत्म कराने की केंद्र सरकार की कोशिश सफल होती नजर आ रही है।