मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और पत्रकारों की गिरफ्तारी-छापेमारी के खिलाफ दिल्ली में आज प्रदर्शन
सभी गिरफ्तारों को आज अदालत में किया जाएगा पेश, पेश होने के बाद ही पता चल पाएगा कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कैसी है इनकी भूमिका...
जनज्वार, दिल्ली। दिल्ली, फरीदाबाद, मुंबई, पुणे, गोवा और हैदराबाद में पुलिस द्वारा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों के घर छापेमारी और गिरफ्तारियों के खिलाफ आज देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं।
इस कड़ी में दिल्ली के आज महाराष्ट्र सदन पर दिन के 2 बजे से भी प्रदर्शन हैं, जहां प्रदर्शनकारियों के बड़ी संख्या में जुटने की उम्मीद है। कनॉट प्लेस के केजी मार्ग के रास्ते हुए प्रदर्शनकारी महाराष्ट्र सदन पहुचेंगे।
संबंधित खबर : आदिवासियों का मुकदमा लड़ने के अपराध में गिरफ्तार हुईं सुधा भारद्वाज?
चर्चित इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा है कि अगर गांधी आज जिंदा होते तो वह सुधा भारद्वाज के साथ कोर्ट में खड़े हो उनकी पैरवी कर रहे होते। देश के छह राज्यों में 12 लोगों जिनमें पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, लेखक, आईआईटी प्रोफेसर और कवि—लेखक शामिल हैं, उनके घरों पर पुलिस ने कल 28 अगस्त की सुबह 6 बजे से एक साथ छापे मारे और गिरफ्तारियां कीं।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया, ‘फासीवादी फन अब खुल कर सामने आ गए हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यह आपातकाल की स्पष्ट घोषणा है। वे अधिकारों के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ बोलने वाले किसी भी शख्स के पीछे पड़ रहे हैं। वे किसी भी असहमति के खिलाफ हैं।
मीडिया में आई जानकारी के अनुसार प्रशांत भूषण मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के माओवादियों से लिंक होने पर गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर करेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन गिरफ्तारियों पर कहा कि मोदी सरकार बोलने वालों को चुप कराने में लगी है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया 'भारत में सिर्फ एक एनजीओ के लिए जगह है और इसका नाम है आरएसएस। बाकी सभी एनजीओ बंद कर दो। सभी एक्टिविस्टों को जेल में भेज दो और जो लोग शिकायत करें उन्हें गोली मार दो। ये है न्यू इंडिया।'
पुलिस की इस कार्रवाई पर प्रसिद्ध लेखिका अरूंधती रॉय ने कहा, ‘ये गिरफ्तारियां उस सरकार के बारे में खतरनाक संकेत देती हैं जिसे अपना जनादेश खोने का डर है, और दहशत में आ रही है। बेतुके आरोपों को लेकर वकील, कवि, लेखक, दलित अधिकार कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया जा रहा है ...हमें साफ - साफ बताइए कि भारत किधर जा रहा है।’
महाराष्ट्र की पुणे पुलिस द्वारा पिछले वर्ष दिसंबर में हुए भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जिन 12 लोगों के यहां छापे मारे गए, उनमें से पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार लोगों में गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वरवर राव और वर्णन गोंजालविस गिरफ्तार शामिल हैं।
इन गिरफ्तारियों के खिलाफ देशभर में रोष का माहौल है। आज देश भर में छात्र, नौजवान, मजदूर, किसान, बुद्धिजीवी, पत्रकार, शिक्षक, डॉक्टर और मानवाधिकार कार्यकर्ता सरकार की इस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
कल 28 अगस्त की सुबह 6 बजे सबसे पहले छापे की खबर झारखंड की राजधानी रांची से आई। महाराष्ट्र पुलिस ने आदिवासी भूमि अधिकारों के लिए चलाए जा रहे आंदोलन ‘पत्थलगड़ी’ में सक्रिय स्टैन स्वामी के आवास पर छापा मारा।
इसे भी पढ़ें : 10 बड़े मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के घरों में एक साथ पुलिस के छापे
महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने इसी के साथ भीमा कोरेगांव मामले में अरुण फरेरा के पुणे स्थित आवास पर छापेमारी की, जबकि सुसान अब्राहम और वर्णन गोंजाल्विस के मुंबई आवास पर पुलिस ने रेड मारी।
मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा के दिल्ली आवास, वकील और ट्रेड यूनियन नेता सुधा भारद्वाज के हरियाणा स्थित फरीदाबाद के आवास, आईआईटी प्रोफेसर और लेखक आनंद तेलतुंबड़े के गोवा स्थित आवास पर छापेमारी हुई। चर्चित जनकवि और माओवादी संबंधों के मामलों में ख्यात आंध्र प्रदेश के वरवर राव, सामाजिक—राजनीतिक कार्यकर्ता नसीम, नमस्ते तेलंगाना के पत्रकार क्रांति टेकुला के हैदराबाद स्थित आवास, वरवर राव की बेटी अनाला के घर और हिंदू के पत्रकार केवी कुमारनाथ के यहां भी पुलिस ने भी छापे मारे।
संबंधित खबर : सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन और दलित लेखक सुधीर ढावले गिरफ्तार
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये सभी गिरफ्तारियां अवैध हैं और सरकार अपने विरोधियों को चुप कराने और डराने की कोशिश में जुटी है।
इससे पहले गौतम नवलखा के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट कल तक की गिरफ्तारी पर लगा चुकी है। गौतम नवलखा देश के सबसे प्रमुख और ख्यात मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट 'पीयूडीआर' के संस्थापक सदस्य और ईपीडब्ल्यू पत्रिका के सलाहकार संपादक हैं।
पुलिस द्वारा सुधा भारद्वाज के ट्रांजिट रिमांड की मांग पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने तीन दिन के लिए रोक लगाई। सुधा ने 1978 में आई आई टी कानपुर से गोल्ड मेडल के साथ उपाधि पाई थी। उनकी प्राथमिक शिक्षा इंग्लैंड में हुई। उन्हें अमेरिका की नागरिकता मिल गयी थी, लेकिन वे उस आलीशान ज़िंदगी को छोड़ बेहद साधारण जीवन जिया और आम मजदूर जैसा जीवन जीती हैं। अभी वह दिल्ली लॉ कॉलेज में प्रोफेसर हैं। सुधा की माँ जेएनयू में अर्थशास्त्र की डीन थीं और स्तरीय शास्त्रीय गायक।
संबंधित खबर : अब माओवादी खतरे से राजनीतिक संजीवनी की आस में मोदी जी
बहरहाल पुणे पुलिस भीमा कोरेगांव हिंसा में शहरी नक्सली कनेक्शन, प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश में उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है। चंडीगढ़ की हाईकोर्ट अब उस पर सुनवाई करेगी।