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नाबालिग कविता को क्या पता था 11 महीने में इतनी बदल जाएगी उसकी जिंदगी

Janjwar Team
31 Oct 2017 11:30 AM GMT
नाबालिग कविता को क्या पता था 11 महीने में इतनी बदल जाएगी उसकी जिंदगी
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कविता को इस बात का पता नहीं था कि वो घर से बाहर जा तो रही है, लेकिन उसके लिए वापस आना नामुमकिन हो जाएगा...

जनज्वार संवाददाता, दिल्ली। दिल्ली के सुल्तानपुरी में रहने वाली 16 साल की कविता (बदला हुआ नाम) को पड़ोस में रहने वाली एक 10 साल की लड़की घर से बाहर चलने के लिए बुलाने आयी। लेकिन कविता को इस बात का पता नहीं था कि वो घर से बाहर जा तो रही है, लेकिन उसके लिए वापस आना नामुमकिन हो जाएगा।

यह घटना 6 दिसंबर, 2016 की है। कविता के पड़ोस में रहने वाले आकाश (बदला हुआ नाम) की 10 साल की बहन उसे पास में चलने के लिए बुलाने आती है। कविता उसके साथ चली जाती है। कुछ दूर जाने पर आकाश की बड़ी बहन और उसका पति कविता से मिलते हैं। ये दोनों कविता को बस में बैठाकर उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में लेकर आ जाते हैं।

कविता को कुछ समझ आता इससे पहले पड़ोस में रहने वाले आकाश की बड़ी बहन उसे शादी का जोड़ा पहनने के लिए देती है। कविता का दुल्हन की तरह श्रृंगार करती है। 16 साल की नाबालिग लड़की कविता को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है। आकाश की बड़ी बहन कविता की मांग में सिंदूर भी भर देती है और उसे बताती है कि आज से कविता उसके भाई आकाश की पत्नी है।

कविता का रो—रोकर बुरा हाल हो जाता है, वह वापस अपने घर जाने की जिद करती है। उसे घर जाना है। लेकिन कविता को हाथरस के एक गांव के घर मे रख दिया जाता है। कविता गिड़गिड़ाती है कि उसे अपने घर सुल्तानपुरी जाना है, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नही होती बल्कि आकाश की बहन उसे कहती है कि अब वो उसकी ननद है।

उधर कविता के घर वाले परेशान होते हैं और वो उसकी अपहरण की एफआईआर सुल्तानपुरी थाने में दर्ज करवाते हैं। चूंकि आकाश कविता के पड़ोस में रहता है तो वो वह कुछ दिन और वहीं रहता है, ताकि पुलिस को उस पर शक न हो।

कुछ दिन बाद जब सब शांत हो जाता है तो आकाश कविता के पास अपनी बहन के घर आ जाता है। आकाश जबरदस्ती कविता के साथ शारीरिक संबंध बनाता है। कविता हर बार बस यही दोहराती है कि उसे अपने माँ बाप के पास जाना है। इस बार कविता से कहा जाता है कि उसके एक बच्चा हो जाए फिर उसे उसके मां के घर लेकर जाएंगे।

इस घटना को 11 महीने बीत जाते हैं। कविता को एक बेटा भी हो जाता है। छठ का पर्व आने पर कविता को हाथरस से दिल्ली के सुल्तानपुरी लाया जाता है, जहां कविता रहती थी, लेकिन कविता के घर से थोड़ा दूर एक कमरा लेकर आकाश कविता को साथ लेकर रहता है।

छठ पूजा के लिए कविता को आकाश की बहन के साथ बाहर पूजा के लिए भेजा जाता है। कविता की जिंदगी एक बार फ़िल्म की तरह नाटकीय मोड़ लेती है। कविता की छोटी बहन उसे छठ पूजा के दौरान देख लेती है। वह उसके पास जाती है। कविता उसे सबकुछ बता देती है कि उसके साथ क्या क्या हुआ है इन 11 महीनों में।

कविता की छोटी बहन भागकर घर आती है और घर के लोगों को कविता के बारे में बताती है। इसके बाद कविता दिल्ली महिला आयोग की 181 महिला हेल्पलाइन पर कॉल करके अपनी बहन कविता की मदद के लिए गुहार लगाती है।

29 अक्तूबर, 2017 की शाम को दिल्ली महिला आयोग की टीम सुल्तानपुरी पुलिस स्टेशन जाती है तो पता चलता है उसकी किडनेपिंग की एफआईआर थाने में दर्ज है। इसके बाद आयोग की टीम और पुलिस उस घर पर छापा मारते हैं और कविता को आकाश और उसके परिवार के चंगुल से छुड़ा लेते हैं। इसके बाद कविता के परिवार को बुलाया जाता है।

अब कविता अपने माँ बाप के घर जाना चाहती है। कागज़ी कार्यवाही के बाद कविता को उसके माता पिता के घर भेज दिया जाता है और आकाश को पुलिस गिरफ्तार करके जेल भेज चुकी है। (फोटो प्रतीकात्मक)

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