अमेरिका-ईरान विवाद से भारतीय चावल उद्योग में छाई मंदी, संकट में 40,000 करोड़ का चावल उद्योग
50 हजार टन से अधिक चावल फंसा हुआ है बंदरगाहों पर, निर्यातकों के अनुसार पूरे देश से करीब 36 चावल निर्यातकों ने रोक लिया है अपने चावल का निर्यात, इनके करीब 50 हजार टन चावल के कंटेनर फंस गए हैं बंदरगाह पर...
शिखा शर्मा की रिपोर्ट
चंडीगढ़, जनज्वार। अमेरिका-इरान विवाद में भारतीय बासमती चावल उद्योग मंदी की चपेट में आ गया है। दोनों देशों के विवाद के बीच 40 हजार करोड़ का चावल उद्योग खतरे में पड़ गया है। विवाद के चलते हरियाणा सहित देशभर के निर्यातकों का 50 हजार टन से ज्यादा बासमती चावल बंदरगाहों में फंसा हुआ है।
खाड़ी देशों में 75 प्रतिशत भारतीय चावल का निर्यात होता है। जबकि अकेले इरान में 34 प्रतिशत चावल की खपत है। लिहाजा पिछले 40 दिनों से 50 प्रतिशत पेमेंट खाड़ी देशों में अटकी हुई है।
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इराक, साउदी अरब, यमन, दुबई व सीरिया सहित अन्य देशों में भारतीय बासमती चावल की पूरी डिमांड है। मगर अमेरिका-इरान के विवाद के चलते भारतीय बासमती चावल का निर्यात अटक गया है। यही नहीं निर्यातक एसोसिएशन ने दोनों देशों के विवाद को देखते हुए अगले कुछ दिनों तक चावल का निर्यात रोकने का फैसला लिया है।
हरियाणा राइस मिल एसोसिएशन के चेयरमैन ज्वैल सिंगला ने बताया कि अमेरिका-इरान के विवाद के चलते भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर असर पड़ रहा है। हर रोज इरान को एक से डेढ़ हजार करोड़ के चावल का निर्यात हो रहा था, लेकिन दोनों देशों के बीच विवाद के चलते लाखों टन चावल बंदरगाहों पर फंस गया है। यदि इरान व अमेरिका के बीच माहौल ठीक नहीं हुआ तो भारतीय चावल उद्योग पर विपरीत असर पड़ेगा।
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राइस एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने बताया कि इरान में भारतीय चावल की सबसे ज्यादा खपत होती है। अकेले इरान में 34 फीसद चावल का निर्यात होता है। पिछले साल 14 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था। मगर दोनों देशों के बीच माहौल खराब होने के चलते भारतीय चावल उद्योग पर असर पड़ रहा है। अभी हाल ही में भारतीय प्रतिनिधिमंडल इरान के व्यापारियों व राजनीतिज्ञों से मिला था और अटकी पेमेंट दिलाने की मांग रखी थी।
करीब 50 हजार टन से अधिक का चावल बंदरगाहों पर लटका हुआ है। निर्यातकों के अनुसार पूरे देश से करीब 36 चावल निर्यातकों ने अपने चावल का निर्यात रोक लिया है। इनके करीब 50 हजार टन चावल के कंटेनर बंदरगाह पर फंस गए हैं। साथ ही बाहर से खरीददारों ने भी अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। एक अनुमान के अनुसार हर तीसरे दिन एक समुद्री जहाज चावलों से भरकर इन देशों में जा रहा था। जो अब बंद हो गया है।
गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर चल रही उठापठक का असर अनाज मंडियों में बिक रहे बासमती धान पर सीधे हुआ है। जो चावल 3050 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा था वह इस समय कम होकर 2900 रुपये व 2800 रुपये तक आ गया है। निर्यातकों का कहना है कि जो चावल तीन दिन पहले 5500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था, वह कम होकर 5200 प्रति क्विंटल पर आ गया है।
यहां एक बात और गौर करने वाली है कि यूरोप में भारतीय चावल पर पहले ही पाबंदी लगी हुई है। अब अरब देशों में आए संकट के कारण निर्यातक भारी तनाव में हैं। उन्हें डर है कि उनके साथ हुए सौदों के तहत चावल नहीं बिका तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा, साथ ही भविष्य में चावल उत्पादक किसानों पर भी इस घटनाक्रम का असर हो सकता है।