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सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा, 'बहुमुखी प्रतिभा' के धनी हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

Janjwar Team
22 Feb 2020 11:58 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा, बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा ने की पीएम मोदी की तारीफ, कहा दूरदर्शी और बहुमुखी प्रतिभा हैं नरेंद्र मोदी, मोदी के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का एक जिम्मेदार और सबसे दोस्ताना सदस्य है भारत..

जनज्वार। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित दूरदर्शी और बहुमुखी प्रतिभा वाला बताया। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि वो वैश्विक स्तर पर सोचते हैं और स्थानीय रुप में कार्य करते हैं।

स्टिस मिश्रा ने कहा कि भारत पीएम मोदी के 'नेतृत्व' के तहत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का एक जिम्मेदार और सबसे दोस्ताना सदस्य है। सर्वोच्च न्यायालय में अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 'न्यायपालिका और बदलती दुनिया' के उद्घाटन समारोह में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका द्वारा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सामना की जाने वाली चुनौतियां आम हैं औ बदलती दुनिया में न्यायपालिका की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।

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स्टिस मिश्रा ने कहा कि प्रतिष्ठित मानव अस्तित्व हमारी प्रमुख चिंता है। हम बहुमुखी प्रतिभा श्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा करते हैं, जो विश्व स्तर पर सोचते हैं और स्थानीय स्तर पर कार्य करते हैं। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता में तीसरे नंबर पर रहे जस्टिस मिश्रा ने सम्मेलन के सफल उद्घाटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का भार व्यक्त किया।

कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और लोगों को आश्चर्य है कि यह लोकतंत्र इतनी सफलतापूर्वक कैसे काम कर रहा है। जस्टिस मिश्रा ने आगे कहा, 'भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित दूरदर्शी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का एक जिम्मेदार और सबसे दोस्ताना सदस्य है।'

स्टिस मिश्रा ने आगे कहा कि भारत संवैधानिक दायित्वों के लिए प्रतिबद्ध है और आतंकवाद से मुक्त एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित दुनिया के लिए समर्पित है। विकास की प्रक्रिया में पर्यावरण का संरक्षण सर्वोच्च माना जाता है। जस्टिस मिश्रा ने न्यायिक प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि अब हम 21 वीं सदी में हैं। हम न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के लिए भी बुनियादी ढाँचे की तलाश कर रहे हैं।

न्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था लोकतंत्र की रीढ़ है जबकि विधायिका हृदय और कार्यपालिका मस्तिष्क है। लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए राज्य के इन तीनों अंगों को स्वतंत्र रूप से काम करना है।

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वैश्वीकरण का उल्लेख करते हुए जस्टिस मिश्रा ने कहा कि लोगों के बाहर रहने और वैश्वीकरण के लाभ से वंचित होने की चिंता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अन्याय और असमानता की भावना पैदा की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि कोरोनोवायरस जैसे घातक होने से पहले हम सभी को समान रूप से ध्यान रखना पड़ता है।

एक स्वतंत्र और मजबूत बार के योगदान का भी उल्लेख किया और कहा कि इस तथ्य से कोई इनकार नहीं करता है कि बार न्यायपालिका की मां है। 20 से अधिक देशों के न्यायाधीश दिल्ली में सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।

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