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आंदोलन

एमपी में CAA-NRC के खिलाफ धरने में जुटे 30,000 से ज्यादा दलित-आदिवासी, बोले कंधा से कंधा मिलाकर लड़ेंगे लड़ाई

Nirmal kant
30 Jan 2020 3:05 AM GMT
एमपी में CAA-NRC के खिलाफ धरने में जुटे 30,000 से ज्यादा दलित-आदिवासी, बोले कंधा से कंधा मिलाकर लड़ेंगे लड़ाई
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वक्ताओं ने उठाया सवाल, 'क्या हमें अपनी नागरिकता का हश्र किसी जातिवादी और सांप्रदायिक सरकार के हाथों छोड़ देना चाहिए? केंद्र सरकार अपने नागरिकों पर एक के बाद एक हमले कर रही हैं। क्या हम इसके लिए सरकार चुनते हैं...

जनज्वार। दक्षिण मध्य प्रदेश के खरगोन जिले की अनाज मंडी में 30 हजार से भी ज्यादा दलित और आदिवासी नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ मंगलवार 28 जनवरी से से प्रदर्शन कर रहे हैं। ये प्रदर्शनकारी केंद्र सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं और राज्य सरकार से इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की अपील कर रहे हैं। इस धरने में दर्जनों सामाजिक-राजनीतिक संगठन शामिल हैं।

रैली को संबोधित करते हुए जागृत आदिवासी संगठन के माधुरी कृष्णास्वामी कहती हैं, 'क्या हमें अपनी नागरिकता का हश्र किसी जातिवादी और सांप्रदायिक सरकार के हाथों छोड़ देना चाहिए? केंद्र सरकार अपने नागरिकों पर एक के बाद एक हमले कर रही हैं। क्या हम इसके लिए सरकार चुनते हैं?

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कृष्णास्वामी ने कहा, जब तक NPR (National population register) और NRC को उसके रास्ते में नहीं रोका जाता, तब तक हमारा आंदोलन और मजबूत होता रहेगा।

को संबोधित करते हुए स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा, 'किसी भी देश के प्रधानमंत्री को संविधान की प्रस्तावना पढ़कर और देशभर में आज विरोध प्रदर्शनों में तिरंगे को देखकर गर्व महसूस होगा, लेकिन दुर्भाग्य से हमारे प्रधानमंत्री को नहीं है।

भीम आर्मी के सुनील आस्ते ने कहा कि हम इस आंदोलन में दलित आदिवासियों के साथ खड़े रहेंगे। हम अपने भाइयों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे।

सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने असम में एनआरसी के बाद अंतिम सूची में छूटे लोगों की दुर्दशा के बारे में विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि नाम, पता आदि में स्पेलिंग की गलतियों के चलते नागरिकों को सीधे हिरासत केंद्रो में भेजा जाता है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को शांति और सद्भाव की विरासत को भी याद दिलाया और कहा कि देशभर में इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।

ज्ञानी बाई कहती हैं, केंद्र की भाजपा सरकार शर्म आनी चाहिए। हमसे वोट मांगकर हर हर मोदी, घर घर मोदी कहते हैं। अब वे हमसे नागरिकता पर सबूत के लिए पूछेंगे।

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न्होंने आगे कहा कि उनकी पार्टी को लोगों से वोट मिले थे लेकिन केवल कॉरपोरेट्स के लाभ के लिए काम किया था। आप केवल हमें जाति और धर्म के नाम पर विभाजित करना चाहते हैं। मानवता से बड़ा कुछ भी नहीं है और हम यह कानून नहीं चाहते हैं।

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