भाजपा सरकार आने के बाद 176 फीसदी बढ़े दुष्कर्म के मामले, भारत में हर रोज 90 महिलाओं से दुष्कर्म
एनसीआरबी के आंकड़ों से खुली केंद्र की मोदी सरकार के महिला सुरक्षा के दावे की पोल, हर दिन भारत में 90 महिलाओं के साथ होता है दुष्कर्म...
जनज्वार। साल 2014 के आम चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब वह महिला सुरक्षा को मुद्दा जोर-शोर से उठाया करते थे। दिल्ली के निर्भया गैंगरेप केस के बाद वह कांग्रेस पार्टी को खूब-खरी खोटी सुनाया करते थे। 30 जनवरी 2014 को महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली में निर्भया की घटना घटी, एक निर्दोष बच्ची का बलात्कार हुआ। उसे मौत के घाट उतार दिया गया। आज भी में सुबह समाचार देख रहा था। आज भी दिल्ली में एक बलात्कार की घटना घटी। दिल्ली को मानों बलात्कारियों की राजधानी बना दिया गया हो। ये स्थिति पैदा हो गई।'
लेकिन नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों ने सरकार की पोल पट्टी खोलकर रख दी है। साल 2012 में देश में दुष्कर्म के 24 हजार 923 मामले दर्ज किए गए थे। यानी प्रत्यके दिन 68 मामले रेप के सामने आए। जबकि 2018 में देश में ऐसे 33 हजार 356 केस दर्ज किए गए। यानी रोजाना करीब 90 मामले सामने आए।
संबंधित खबर : अंधविश्वास- तांत्रिक ने पूजा-पाठ के बहाने किया 3 दलित बहनों का बलात्कार
आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के निर्भया गैंगरेप केस के बाद से दुष्कर्म के मामलों में 176 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है। 2012 में दिल्ली में ऐसे 706 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2019 की 15 नवंबर तक ही 1,947 मामले दर्ज हो चुके हैं।
साल 2012 से 2018 के बीच 12,125 नाबालिगों के साथ दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए हैं। अगर इन 7 सालों का औसत निकाला जाए तो हर दिन 5 नाबालिगों पर दुष्कर्म के केस दर्ज हुए। दुष्कर्म के मामलों के अलावा 2012 से 2018 के बीच 10,052 नाबालिगों पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार से जुड़े केस दर्ज दिए गए।
संबंधित खबर : स्मृति ईरानी जी! बलात्कार पर पहली माफी पीएम मोदी से मंगवाईये क्योंकि वो दिल्ली को कहते हैं ‘रेप कैपिटल’
2012 में अजमल कसाब, 2013 में अफजल गुरु और 2015 में याकूब मेमन को फांसी दी गई। जबकि 2004 में धनंजय चटर्जी को 1990 के बलात्कार के मामले में फांसी दी गई थी। अभी तक सिर्फ धनंजय चटर्जी ही ऐसा ही है, जिसे दुष्कर्म के मामले में फांसी दी गई है।
जनवरी 1976 से मार्च 1977 के बीच पुणे में राजेंद्र कक्कल, दिलीप सुतार, शांताराम कान्होजी जगताप और मुनव्वर हारुन शाह ने 10 लोगों की हत्या की थी। ये सभी हत्यारे अभिनव कला महाविद्यालय में कमर्शियल आर्ट्स के छात्र थे। इन सभी को 27 नवंबर 1983 को पुणे की यरवदा जेल में एक साथ फांसी दी गई थी। अगर सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की क्यूरेटिव पिटीशन और राष्ट्रपति के पास दया याचिका भी खारिज हो जाती है, तो सभी चारों दोषी- मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे एक साथ फांसी दी जाएगी।