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कोरोना : गुजरात के धार्मिक स्थलों पर 18-19 मार्च को जुटी भीड़ से भी गंभीर हो सकते हैं हालात

Janjwar Team
3 April 2020 1:30 AM GMT
कोरोना : गुजरात के धार्मिक स्थलों पर 18-19 मार्च को जुटी भीड़ से भी गंभीर हो सकते हैं हालात
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दिल्ली में तब्लीगी जमात में जुटी भीड़ को तो कोरोना संक्रमण से जोड़ा जा रहा है,लेकिन गुजरात के धार्मिक स्थलों पर 18 से 19 मार्च को जुटी भीड़ पर चुप्पी साधी जा रही है...

जनज्वार ब्यूरो। विश्व जहां एक तरह से कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है। भारत में वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 2,000 हो गयी। इसमें से 53 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। कोरोना वायरस को धर्म, जाति, लिंग या फिर क्षेत्र से नहीं जोड़ा जा सकता क्योंकि यह हर किसी को अपनी चपेट में ले सकता है।

फिर भी अचानक ही जैसे कि दिल्ली में तब्लीगी जमात में भीड़ जुटी। लगभग उन्हीं दिनों 18 से 19 मार्च को गुजरात के मंदिरों समेत कई धार्मिक स्थलों पर भीड़ जुटी थी। अब दिल्ली के मामले में तो आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। लेकिन गुजरात में भीड़ जुटने और सोशल डिस्टेंस का पालन न करने पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। जबकि यह भी उतनी ही बड़ी लापरवाही है जितनी कि दिल्ली में जमात ने की।

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सी मामले को लेकर मिरर ने गुजरात से एक बड़ी रिपोर्ट की है। इस रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि जब मुस्लिम आयोजकों के खिलाफ कार्यवाही हो सकती है फिर हिंदुओं आयोजकों के खिलाफ क्यों नहीं?

मिरर ने बकायदा से मंदिरों की प्रबंध समिति से बातचीत की है। इसमें सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी पीके लहरी ने बताया कि कोरोना की वजह से इन दिनों भीड़ 15 से 20 प्रतिशत तक कम हो गयी है। अब यहां पांच हजार से छह हजार श्रद्धालु ही यहां पहुंचे हैं।

हमदाबाद के भद्रकाली मंदिर के शशिकांत तिवारी ने बताया कि 18 और 19 मार्च का यहां दो हजार श्रद्धालु आये। लेकिन वह सभी मास्क और ग्लवज पहने हुये थे। पूजा करने वाले श्रद्धालुओं को बताया गया था कि वह मंदिर में नारियल न चढ़ाये।

पावागढ़ मंदिर में भी भक्तों की भीड़ रहती है। मंदिर के ट्रस्टी सुरेंद्रा पाटिल ने बताया कि मंदिर बंद करने से पहले तक दस हजार तक की भीड़ यहां रहती थी। उन्होंने बताया कि 18 से 19 मार्च को यहां भीड़ थी।

हमदाबाद के इस्कॉन मंदिर में भी इन दिनों खूब भीड़ रही। मिरर ने मंदिर के कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट के हेड हरीश गोविंद दास के हवाल से दावा किया कि रविवाा को यहां उबल भीड़ हो जाती है।

चोटिला चामूंडा मंदिर के व्यवस्थापक वसंतगिरी गोसाई ने बताया कि मंदिर को 18 मार्च को बंद किया गया था। 17 मार्च की शाम को मंदिर को बंद करने की घोषणा की थी, उस वक्त यहां दो से ढाई हजार श्रद्धालु यहां दर्शन करके गये थे।

खोडलधामस के प्रशासक नीलेश ने बताया कि यहां आमतौर पर 15 से बीस हजार अनुयायी आते हैं। लेकिन लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद इनकी संख्या में गिरावट आयी है। यह संख्या अब सात हजार तक हो गयी है।

देवभूमि द्वारका के कलेक्टर डॉ नरेंद्र कुमार मीणा ने मिरर को बताया था कि हमने पहले से ही राजस्थान और मुंबई में कोरोना वायरस संक्रमण होने के मामलो को देखते हुए एहतियाती कदम उठाए थे। सभी होटल व लॉज संचालकों को बेाल दिया गया था कि वह बुकिंग बंद कर दें। मंदिरों में औसतन दस हजार अनुयायी प्रतिदिन आते हैं। लेकिन 15 मार्च को यहां दो से ढाई हजार अनुयायी ही आये थे।

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टेलपुर मंदिर के महंत पुरुषोत्तम प्रभाष स्वामी ने बताया कि 18 मार्च को यहां 700 श्रद्धालु आये थे, लेकिन 18 को क्योंकि एकादशी थी, इसलिए हमारे पास मंदिर में लगभग 2,000 श्रद्धालु आये थे।

ठकेश्वर वडनगर मंदिर के ट्रस्टी जवाहर मेहरा ने दावा किया कि मंदिर 18-19 मार्च को कोई श्रद्धालु नहीं थे। हमने 20 मार्च से मंदिर बंद कर दिया था।

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