अर्णब गोस्वामी को गिरफ्तार हो न जाना पड़े जेल, स्टे के लिए पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
रिपब्लिक टीवी हेड अर्णब गोस्वामी के खिलाफ दंगा भड़काने, धर्म, जाति, भाषा आदि पर हमला, धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने और दो समुदायों के बीच हिंसा भड़काने समेत कई मामलों में दर्ज की गयी हैं एफआईआर
जेपी सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार। रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की है जिसमें कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को कथित रूप से बदनाम करने के लिए देशभर में उनके खिलाफ दायर एफआईआर पर कोई ठोस कार्रवाई न की जाये।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ राज्यों में उसके खिलाफ कम से कम 16 शिकायतें दर्ज होने के एक दिन बाद गोस्वामी ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। यह मामला शुक्रवार 24 अप्रैल को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
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गौरतलब है कि अबतक केवल छत्तीसगढ़ के सभी 28 जिलों में ही कुल 101 एफआईआर दर्ज़ हो चुकी है। रिपब्लिक हेड अर्नब गोस्वामी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (दंगा पैदा करने के इरादे से भड़काने के लिए),153 ए (धर्म, जाति, भाषा आदि पर हमला),295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, धार्मिक भावनाओं को आक्रोश करने का इरादा है),298 (धार्मिक भावनाओं को घाव करने के लिए जान—बूझकर इरादे से शब्द),500 (मानहानि की सजा)तथा 505 (समुदायों के बीच टकराव को भड़काने का इरादा) के तहत ये एफआईआर दर्ज़ किये गये हैं।
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इनमें एक आध को छोड़कर सभी धाराएँ संगेय, गैरजमानतीय हैं और तीन साल की कैद या जुर्माने या दोनों सेदंड के प्रावधान वाली हैं। पुलिस इसमें अर्नव गोस्वामी को गिरफ्तार भी कर सकती है, पूछताछ के लिए जहां जहां एफआईआर हुई है वहन तलब कर सकती है।
अर्नब गोस्वामी ने एफआईआर दर्ज करने के लिए किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका अनुच्छेद 19 (1) (ए) और 21 के तहत गोस्वामी के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि एफआईआर और शिकायतों पर विचार करते हुए पूर्व पक्षीय प्रवास के लिए प्रार्थना की जाती है। राज्य और याचिकाकर्ता इस संबंध में कई न्यायालयों और पुलिस स्टेशनों में उपस्थित होने में असमर्थ होंगे।
गोस्वामी ने अपनी दलील में प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लेख किया है और दावा किया है कि एफआईआर का पंजीकरण और उनके खिलाफ ऐसी शिकायतें दर्ज करना प्रेस की नकल करना है। गोस्वामी के खिलाफ ऐसी कार्रवाई प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला होगी, याचिका में दावा किया गया है। याचिका एओआर प्रज्ञा बघेल द्वारा दायर की गई है और वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी को उच्चतम न्यायालय न्यायालय के समक्ष गोस्वामी का प्रतिनिधित्व करने की उम्मीद है।
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छत्तीसगढ़ में अर्नब गोस्वामी के खिलाफ 101 आपराधिक मामले दर्ज किये गए हैं। यानी अकेले छत्तीसगढ़ में अर्नब गोस्वामी के खिलाफ 100 से अधिक में दायर किए गए हैं। महाराष्ट्र में दो में दर्ज, एक यूपी में, एक हिमाचल प्रदेश में और एक एमपी में एक शामिल हैं। इसके अलावा देश भर में कई पुलिस थानों में शिकायते दी गयी हैं। पुलिस ने अर्नब गोस्वामी, एआरजी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड तथा रिपब्लिक भारत टीवी के खिलाफ धारा 153ए, 295 ए, एवं 505(2) आईपीसी के तहत मामला किया है। इन मामलो की पुलिस ने विवेचना भी शुरू कर दी है।
रिपब्लिक टीवी के एंकर एवं सम्पादक अर्नब गोस्वामी के खिलाफ छत्तीसगढ़ के सभी 28 जिलों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने और साम्प्रदायिक दंगे के लिए लोगों को भड़काने समेत कई आरोप लगाते हुए 101 मामले पुलिस में दर्ज करवाए हैं।
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राजधानी रायपुर में कल देर शाम पहला मामला वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री टी.एस. सिंहदेव एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने सिविल लाइऩ थाने में दर्ज करवाया। इसके बाद पूरे राज्य में अर्नब गोस्वामी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने का सिलसिला शुरू हुआ।
कल 23 अप्रैल की दोपहर 101 मामले राज्यभऱ में दर्ज हुए हैं। सबसे अधिक 12 मामले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के गृह जिले दुर्ग में दर्ज हुए हैं।
सिंहदेव एवं मरकाम ने दर्ज करवाई गई एफआईआर में कहा गया है कि समाचार चैनल एवं उसके एंकर /संपादक अर्नब गोस्वामी ने महाराष्ट्र के पालघर में संत की भीड़ द्वारा हत्या कर दिए जाने पर ‘पूछता है भारत’ डिबेट कार्यक्रम में अपने वक्तव्य से देश की जनता के सद्भाव को समुदाय के आधार पर भड़काया। साथ ही देश के विभिन्न समुदायों के बीच नफरत का वातावरण बनाया है। उन्होंने कहा है कि डिबेट के दौरान गोस्वामी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी अभद्र एवं निम्नस्तरीय टिप्पणी की है।