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समाज

राजस्थान में मुस्लिम बुजुर्ग का लाइव मर्डर करने वाला हत्यारा शंभूलाल रैगर रामपुर से लड़ेगा चुनाव

Prema Negi
28 March 2019 4:51 AM GMT
राजस्थान में मुस्लिम बुजुर्ग का लाइव मर्डर करने वाला हत्यारा शंभूलाल रैगर रामपुर से लड़ेगा चुनाव
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दिसंबर 2017 में शंभूलाल रैगर ने पश्चिम बंगाल के मोहम्मद अफराजुल की राजस्थान के राजसमंद में लाइव हत्या की थी, रैगर द्वारा निर्ममता से बुजुर्ग को मौत के घाट उतारने वाला वह वीडियो सोशल मीडिया पर हुआ था वायरल....

जनज्वार। आदर्श देश, समाज निर्माण के तमाम वादे—दावे धरे के धरे रह जाते हैं, मगर हकीकत बहुत कड़वी होती है। हमारे देश जिसे लोकतांत्रिक होने का तमगा मिला हुआ है, सिवाय लोकतंत्र के साथ भद्दा मजाक के कुछ नहीं है। देश पर राज करने वाले राजनेता इसका कत्ल करने से बाज नहीं आते।

अगर सही में हमारे देश में जनतंत्र बचा होता ​तो ऐसा क्यों होता कि एक मुस्लिम बुजुर्ग को निर्ममता से मौत का घाट उतारने और फिर उसका लाइव वीडियो बनवाने वाला शंभूलाल रैगर को चुनावी मैदान में एंट्री मिलती। बजाय फांसी के वह आज सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने के सपने देख रहा है, तो इसका मतलब कहीं न कहीं हमारे समाज में लोग शंभूलाल रैगर जैसे हत्यारे को भी अपना आदर्श मानते हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव में अब जबकि चंद दिन बचे हैं। सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर रहे हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश के रामपुर सीट से एक ऐसे हत्यारे का नाम भी सांसद प्रत्याशी के बतौर सामने आ रहा है, जो समाज के लिए बहुत खतरनाक है। जानकारी के मुताबिक दिसंबर 2017 में राजस्थान के राजसमंद में एक मुस्लिम शख्स मोहम्मद अफराजुल की वीडियो बनवाकर निर्ममता से हत्या करने वाला शंभूलाल रेगर उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना के टिकट पर रामपुर से चुनाव लड़ने जा रहा है।

संबंधित खबर : हिंदू संगठन ने निकाली रामनवमी पर हत्यारे शंभूलाल रैगर की झांकी, कहा भगवान राम की तरह सम्मान का हकदार है वह

गौरतलब है कि राजसमंद में मुस्लिम बुजुर्ग मोहम्मद अफराजुल के लाइव मर्डर को नृशंसता से अंजाम देने वाले शंभूलाल रैगर की हिंदू संगठन पिछले साल रामनवमी झांकी भी निकाल चुके हैं। कथित बहिन से जबरन अवैध संबंध रखने वाला शंभूलाल को हिंदू धर्म का आदर्श मानने वाले लोगों ने उसकी तुलना भगवान राम से करते हुए कहा था कि शंभूलाल रैगर भगवान राम की तरह सम्मान का हकदार है। जिस मानसिक विक्षिप्त शंभूलाल के गले में फांसी का फंदा होना चाहिए था, उसे हमारा समाज इस तरह पूजेगा तो समाज विक्षिप्तता को ही आत्मसात करेगा और अपराध उसके लिए मामूली बात होगी।

फिलहाल मुस्लिम बुजुर्ग मोहम्मद अफराजुल के लाइव मर्डर को नृशंसता से अंजाम देने वाला शंभूनाथ रेगर राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद है। पहले वह आगरा से चुनाव लड़ना चाहता था, मगर अब सपा महासचिव आजम खान और बीजेपी से अभिनेत्री से नेता बनीं जयाप्रदा को रामपुर से टिकट मिलने के बाद रैगर को भी इन दोनों के खिलाफ रामपुर से चुनाव मैदान में उतारा गया है।

दिसंबर 2017 में शंभूलाल रैगर ने पश्चिम बंगाल के मोहम्मद अफराजुल की राजस्थान के राजसमंद में लाइव हत्या की थी। रैगर द्वारा निर्ममता से बुजुर्ग को मौत के घाट उतारने वाला वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ वार करने के बाद अफराजुल को शंभूलाल ने जला दिया था। इस खौफनाक घटना का एक विडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। इसके बाद शंभूलाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पहले यह मामला लव जिहाद के तौर पर उछला था, लेकिन मामले की जांच के बाद सामने आया कि कथित बहन से जबरन अवैध संबंधों के चलते शंभूलाल ने इसलिए अफराजुल की हत्या कर दी थी, क्योंकि उसके कुकर्मों का वह गवाह था।

शंभूलाल ने कथित बहन से न केवल जबरन अवैध संबंध बनाए थे, बल्कि उसे अगुवा कर वह सालभर तक उसका रेप करता रहा। यह बात पीड़ित लड़की और उसकी मां ने पुलिसिया जांच में कही थी।

राजस्थान पुलिस द्वारा दर्ज चार्जशीट के मुताबिक लव जिहाद केस के मुख्य आरोपी शंभूलाल रैगर ने अपने अवैध संबंध से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए राजसमंद में मुस्लिम मजदूर की नृशंसता से हत्या कर उसका शव जला दिया था।

राजसमंद जिला अदालत के समक्ष दाखिल 400 पन्नों की चार्जशीट में राजस्थान पुलिस द्वारा रैगर की पत्नी सीता और जिस हिंदू लड़की की इज्जत के नाम पर अफराजुल की हत्या की थी, उसका गवाह बनाया गया है। रैगर की पत्नी सीता कहती है कि उसके पति शंभूलाल रैगर का 50 वर्षीय एक महिला के साथ काफी दिन से झगड़ा हो रहा था।

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विवाद की वजह महिला की नाबालिग बेटी के साथ रैगर के अवैध संबंध थे, क्योंकि रैगर ने महिला की नाबालिग बेटी को जबरन करीब एक साल तक राजसमंद में अपने कब्जे में रखा था। पंचायत ने रैगर के इस घृणित कृत्य के लिए उस पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

गौरतलब है कि भारतीय राजनीति में अपराधियों के राजनीति में प्रवेश करने का इतिहास बहुत पुराना है। या यों कहें कि अपराधियों का बहुतायत ही आज राजनीति में है और राजनीति का पर्याय भी अपराध बन चुका है।

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