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Lockdown: तेजस्वी यादव बोले- बीमारी लेकर आए हवाई जहाज वाले और भुगते पैदल चलने वाले

Janjwar Team
15 April 2020 7:52 AM GMT
Lockdown: तेजस्वी यादव बोले- बीमारी लेकर आए हवाई जहाज वाले और भुगते पैदल चलने वाले
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तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकारें सोचतीं है कि वो गरीबों के खाते में महज 500 रुपये डालकर और उन्हें मुट्ठीभर दाल-चावल का लालच देकर बहला लेंगी...

पटना: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बढ़ाए गए लॉकडाउन के बाद दिहाड़ी मजदूरों और गरीबों की समस्याओं को लेकर बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर सवाल उठाए हैं।

उन्होंने बुधवार को कहा कि यह बीमारी लेकर आए हवाई जहाज वाले और भुगतना पड़ रहा है पैदल चलने वालों को। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी ने बुधवार को गरीबों की मदद के लिए आगे नहीं आने वालों पर निशाना साधा।

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उन्होंने ट्वीट किया, " यह बीमारी लेकर आए हवाई जहाज वाले और भुगते पैदल चलने वाले, कोरोना लेकर आए पासपोर्ट वाले और कीमत अदा करे बीपीएल राशनकार्ड वाले। अमीरों की शानो-शौकत और बीमारी का हर्जाना बेचारे करोड़ों गरीब लोग भुगत रहे हैं। गरीबों की मदद के लिए क्यों नहीं वो अब आगे आ रहे है?"

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तेजस्वी ने सरकार द्वारा दी जा रही सहायता को कम बताते हुए एक अन्य ट्वीट में लिखा, "सरकारें सोचतीं है कि वो गरीबों के खाते में महज 500 रुपये डालकर और उन्हें मुट्ठीभर दाल-चावल का लालच देकर बहला लेंगी। मैं सरकारों से प्रार्थना कर रहा हूं कि कोरोना से कोई मरे ना मरे लेकिन करोड़ों गरीब लोगों को घर भेज, महीनों के राशन का इंतजाम करे अन्यथा वो भूख से जरूर मर जाएंगे।"

बता दें महाराष्ट्र के बांद्रा में मंगलवार को बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अफवाह फैलने के चलते सड़कों पर जमा हो गए. जिन्हें बहुत मुश्किल से समझाकर वापस भेजा गया. लेकिन सिर्फ बांद्रा ही नहीं गुजरात के शहर सूरत से भी ऐसे ही खबर सामने आईं. सूरत में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर सड़कों पर जमा हो गए. ये मजदूर स्थानीय प्रशासन से अपने गृह राज्य जाने देने की अनुमति की मांग कर रहे थे. हालांकि बाद में पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ये लोग मान गए और सड़कें छोड़कर वापस चले गए.

सूरत में प्रवासी मजदूर हाथ में प्लेकार्ड लेकर सड़क पर बैठ गए थे. ये लोग पुलिस और प्रशासन से खुद को बिहार, ओडिशा, राजस्थान और यूपी भेजने की मांग कर रहे थे. बड़ी संख्या में लोग धरने पर बैठ गए थे. इन लोगों का आरोप था कि उनके मालिकों ने अपने फोन बंद कर दिए हैं और उन्हें खाना भी नहीं मिल रहा है. इनका कहना था कि प्रशासन किसी भी तरह से उन्हें गांव भेज दे.

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