Begin typing your search above and press return to search.
उत्तर प्रदेश

दिल्ली में फंसी महिला का दर्द 'पति की लाश घर में पड़ी है, बच्चे रो रहे हैं, हमें घर पहुंचा दीजिए'

Ragib Asim
18 May 2020 1:14 PM GMT
दिल्ली में फंसी महिला का दर्द पति की लाश घर में पड़ी है, बच्चे रो रहे हैं, हमें घर पहुंचा दीजिए
x

बिहार की रहने वाली सुनीता के पति का सासाराम में देहांत हो चुका है, जबकि लाश घर पर ही रखी हुई है। घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं। लड़का बुरी तरह रोता है। ऐसे में मजबूरी में उन्हें घर जाना पड़ रहा है, लेकिन यूपी गेट के पास दिल्ली-यूपी बॉर्डर क्रॉस नहीं करने दिया गया। तेज धूप और सिर पर सामान से भरा झोला लादे सुनीता के आंखों में आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे...

जनज्वार ब्यूरो। कोरोना वायरस की वजह से देशभर में जारी लॉकडाउन का अगर किसी पर सबसे बुरा असर पड़ा है तो वह हैं मजदूर। शहर-शहर, सड़क-सड़क चिलचिलाती धूप और भूख-प्यास से बेहाल ये मजदूर महामारी से तो बच रहे हैं, लेकिन भूख और हादसों की वजह से रोजाना काल के गाल में समा जा रहे हैं। मजदूरों के पलायन की सबसे बड़ी वजह यह है कि इनके पास रहने को छत नहीं, खाने को खाना नहीं और जेबें खाली हो चुकी हैं। ऐसे में इन्हें मजबूरन घर की ओर रुख करना पड़ रहा है, जहां दो वक्त की रोटी न सही पर अपनों के साथ रहने का सुकुन तो मिलेगा। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान से रोजाना ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं, जो मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देनी वाली हैं। ऐसा ही एक मामला यूपी गेट के पास सामने आया, जहां एक सिर पर झोला लिए एक बेबस महिला को दिल्ली-यूपी बॉर्डर के पास रोक दिया गया। इस महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया है।

संबंधित खबर : मजदूर पिता ने अपाहिज बेटे को घर ले जाने के लिए साइकिल चुराई, चिट्ठी में लिखा कसूरवार हूँ भाई माफ करना

जानकारी के मुताबिक, मूलरूप से बिहार की रहने वाली सुनीता के पति का सासाराम में देहांत हो चुका है, जबकि लाश घर पर ही रखी हुई है। घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं। लड़का बुरी तरह रोता है। ऐसे में मजबूरी में उन्हें घर जाना पड़ रहा है, लेकिन यूपी गेट के पास दिल्ली-यूपी बॉर्डर क्रॉस नहीं करने दिया गया। तेज धूप और सिर पर सामान से भरा झोला लादे सुनीता के आंखों में आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। मौके पर मौजूद एक टीवी चैनल के रिपोर्टर ने बात की तो सुनीता ने रोते-बिलखते अपना दुख-दर्द सुनाया।

ने रोते हुए कहा, ''हमारा आदमी (पति) मर गए हैं, बच्चे रो रहे हैं.. हमें घर पहुंचा दीजिए।'' बस के इंतजार में शनिवार रात से वहां ठहरीं सुनीता किसी भी तरह गांव जाना चाहती हैं। उन्होंने और उनके साथ एक अन्य महिला ने बताया था कि रात 10 बजे से वहां मौजूद हैं। खाने-पीने को भी कुछ नहीं मिला। हमें किसी भी गाड़ी में बैठा दीजिए। हम चले जाएंगे। हमारा लड़का रो रहा है। हम नई दिल्ली में रहते थे। हम यहां तक पैदल आएं। क्या करें? दुख और आफत की स्थिति में क्या करें? पुलिस-प्रशासन के लोग भी नहीं बता रहे हैं कि हम कैसे लौटें।

संबंधित खबर : बीते 24 घंटों में प्रवासी मजदूरों पर देशभर में हुआ बर्बर पुलिसिया लाठीचार्ज, TWITTER पर हो रही निंदा

ता दें, कई प्रवासी मजदूर रविवार को दिल्ली के गाजीपुर में भी निकल आए। सभी यूपी जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया, जिसके बाद उन्होंने ट्रैफिक रोकने की कोशिश की। हालांकि पुलिस ने मजदूरों को सड़क से हटाकर ट्रैफिक व्यवस्था बहाल कर दी थी। जिसके बाद मजदूर बेबस होकर सड़क के किनारे बैठ गए। हालांकि, दिल्ली सरकार का आदेश है कि पैदल जा रहे मजदूरों को रोककर उन्हें नजदीकी शेल्टर होम में भेजा जाए। जिसके बाद सरकार ने उनके जाने की व्यवस्था करेगी और इसके लिए रेलवे से बातचीत करेगी। दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सरकार ने ओरैया में मजदूरों के साथ हुए हादसे के बाद पैदल जाने वाले या किसी भी प्रकार से अवैध रूप से जाने वाले प्रवासी मजदूरों पर रोक लगा दी है।

Ragib Asim

Ragib Asim

    Next Story

    विविध