Begin typing your search above and press return to search.
दुनिया

ज़ुर्माना ना भर पाने के चलते अरब देशों में फंसे हैं हजारों भारतीय मजदूर

Nirmal kant
15 May 2020 11:36 AM GMT
ज़ुर्माना ना भर पाने के चलते अरब देशों में फंसे हैं हजारों भारतीय मजदूर
x

मस्कट में रह रहे शमीर यू बताते हैं कि लगभग 10 महीने पहले मेरे मालिक ने मुझे नौकरी से निकाल दिया था। मेरे सर पर छत नहीं है। रोज़ खाना मिलना भी एक चुनौती है...

रेजीमों कुटप्पन की रिपोर्ट

जनज्वार। 'द लीड' को पता चला है कि खाड़ी देशों में रह रहे हज़ारों बेरोज़गार भारतीयों को वन्दे मातरम मिशन का फायदा नहीं मिल पायेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि एक तो इनके पास वैध दस्तावेज़ नहीं हैं और दूसरा समय-सीमा से ज़्यादा रहने के एवज में जुर्माना भरने के पैसे इनके पास नहीं हैं।

स्कट में रह रहे एक मलयाली शमीर यू ने 'द लीड' से कहा, 'लगभग 10 महीने पहले मेरे मालिक ने मुझे नौकरी से निकाल दिया था। मेरे सर पर छत नहीं है। रोज़ खाना मिलना भी एक चुनौती है। स्वदेश लौटने के लिए मैंने मस्कट स्थित भारतीय दूतावास में पंजीकरण भी करवाया। दूतावास से बुलावा भी आया लेकिन जब मैं वहां गया तो उन्होंने मुझसे कहा कि मैं तभी हवाई उड़ान भर सकता हूं जब समय-सीमा से अधिक दिनों तक रहने का जुर्माना भर दूं और टिकट खरीद लूं..।'

नवरी महीने से ही शमीर और उसके 400 दोस्त उनके मालिकों द्वारा भंवर में अकेले तैरने को छोड़ दिए गए हैं। शमीर के वर्क परमिट कार्ड की समय-सीमा 31 दिसंबर को ख़त्म हो गयी।

संबंधित खबर : कोरोना संकट- विदेश में फंसे भारतीयों को लाया जाएगा भारत, सरकार ने किया स्पष्ट- देना होगा किराया

खिरकार ओमान से बाहर निकलने से पहले उसे समय-सीमा से अधिक अप्रैल तक रहने के एवज में 1 लाख रुपये का भुगतान करना है। शमीर कहता है, 'मैं किडनी की बीमारी का मरीज़ भी हूँ। मेर पास दवाओं और खाने के लिए पैसा नहीं है। जब मैंने अपनी कंपनी से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि वे ना तो मेरा जुर्माना भरेंगे और ना ही मेरा हवाई टिकट खरीदेंगे। क्या मैं यहीं मर जाऊंगा?'

मान ने समय-सीमा से ज़्यादा रुकने वाले उन लोगों के जुर्माने को माफ़ कर दिया जिनका वीसा मार्च के तीसरे हफ्ते के बाद ख़त्म हो रहा था। शमीर और उसके बहुत सारे दोस्तों का वीसा इससे बहुत पहले ही ख़त्म हो चुका था। शमीर ने बताया, 'जब मेरी कंपनी के अधिकारी ने ओमान के अधिकारियों से संपर्क साधा तो उन्होंने कहा की मुझे जुर्माना भरना ही पडेगा।'

स बीच ओमान में समय-सीमा से ज़्यादा वक्त तक रह रहे एक अन्य कामगार अल्बर्ट ने कहा की उसने उम्मीद ही छोड़ दी है, 'मेरी कंपनी ने मेरे वीसा की अवधि नहीं बढ़ाई। उल्टा उन्होंने मेरी छुट्टी कर दी। अब मैं सड़क पर हूँ। सर पर छत नहीं है और खाने के लिए भोजन नहीं है। मुझे चिंता सता रही है।'

खाड़ी के दूसरे देशों में भी उन कामगारों के कमोबेश यही हालात हैं जिनके पास वैध दस्तवेज़ नहीं हैं। हाँ, कुवैत और बहरीन में ऐसा नहीं है क्योंकि वहां आम माफ़ी की घोषणा कर दी गयी है।

वैध दस्तावेज़ ना रखने वाले और समय-सीमा से ज़्यादा समय तक टिके हुए प्रवासी कामगारों के लिए कुवैत ने आम माफ़ी की घोषणा कर दी थी ताकि वे 1 से 30 अप्रैल के बीच खुद का पंजीकरण करा लें।

कुवैत में भारतीय दूतावास के एक अधिकारी के अनुसार लगभग 5000 कामगारों ने अपना पंजीकरण करा लिया है। कुवैत ने आम माफी की घोषणा कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए की थी।

संबंधित खबर : वुहान के लैब से कोरोना के पैदा होने के अमेरिका के पास अहम सबूत, विदेश मंत्री का दावा

इसी तरह ऐसे कामगारों के लिए बहरीन ने भी 9 महीनों के लिए आम माफी की घोषणा की है। अप्रैल महीने में शुरू हुई यह माफी 31 दिसंबर तक चलेगी। इसके तहत विभिन्न देशों के 55 हज़ार प्रवासी कामगार शामिल किये गए हैं।

म माफी अरब सरकारों द्वारा शुरू किया गया कार्यक्रम है जिसके तहत समय-सीमा से ज़्यादा वक़्त तक टिके रह गए प्रवासी कामगारों को हर्ज़ाना भरे बिना देश छोड़ने की सुविधा प्रदान की जाती है।

स बीच युनाइटेड अरब एमिरात सरकार ने उन सभी तरह के वीसा और एंट्री परमिट्स की समय सीमा बढ़ा दी है जो 1 मार्च 2020 को ख़त्म हो गयी थीं। यूएई सरकार के अनुसार हर तरह के वीसा दिसंबर 2020 तक मान्य रहेंगे।

प्रवासी भारतीयों के अधिकारों के लिए सक्रिय रफ़ीक़ रविथुर कहते हैं कि ऐसे परेशान प्रवासियों को जल्द से जल्द वापिस देश में लाने की दिशा में भारत सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए। रफ़ीक़ बोले, 'खाड़ी देशों में सैकड़ों शमीर और अल्बर्ट फंसे हैं। उनके पास वैध दस्तावेज़ नहीं होने का मतलब है कि उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग करने का भी अधिकार नहीं है। ऐसे हालात में वन्दे मातरम अभियान के तहत पहले उनकी देश वापसी होनी चाहिए।'

फ़ीक़ ने यह भी कहा कि महामारी के हालात देखते हुए भारत की सरकार को अरब देशों से गुजारिश करनी चाहिए कि वे आम माफ़ी की घोषणा कर दें। 'हमारे भाई-बहनों को विदेशों में कुत्तों की मौत नहीं मरना चाहिए।'

बीच ओमान के एक सामाजिक कार्यकर्त्ता ने 'द लीड' से कहा कि समय-सीमा से ज़्यादा समय तक टिके कामगारों के जुर्माने का भुगतान वे नहीं कर सकते हैं। अनजान बने रहने की शर्त पर वो सामाजिक कार्यकर्ता बोला, 'समय-सीमा से ज़्यादा वक़्त तक रहने के लिए एक कामगार पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। हम उसका भुगतान नहीं कर सकते। हम खुद अपने वेतन में कटौती झेल रहे हैं। इसलिए हम उनके जुर्माने का निपटारा नहीं कर सकते। सरकार ही कुछ कर सकती है।'

सने आगे कहा कि इस हालात से निपटने का सबसे अच्छा तरीक़ा होगा कि ओमान सरकार आम माफ़ी की घोषणा कर दे। साथ ही भारत सरकार को ऐसे कामगारों को देश वापिस लाने के लिए वन्दे भारत मिशन का फ़लक़ बड़ा करना होगा।

संबंधित खबर : कोरोना की महामारी के बीच पिछले 2 हफ्तों में पंजाब के 1800 NRI गए विदेश

ता दें कि वन्दे भारत मिशन कोरोनावायरस महामारी के चलते विदेशों में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने सम्बन्धी भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा बहुत बड़ा अभियान है। इसका पहला चरण 7 मई को शुरू हुआ था। इस चरण में 64 हवाई उड़ानों के द्वारा 12 देशों से 14,800 भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाया गया।

16 मई से शुरू हो रहे दूसरे चरण में भारत की 106 हवाई उड़ानों और 21 फीडर उड़ानों के माध्यम से यात्रियों को देश में ला कर उनके घरों से निकटतम स्थानों पर छोड़ने की योजना है। इस बार लगभग 25,000 भारतीयों के स्वदेश लौटने की उम्मीद है। इन 106 हवाई उड़ानों में सबसे ज़्यादा खाड़ी देशों के लिए ही हैं क्योंकि अब भी वहां हज़ारों भारतीय स्वदेश लौटने का इंतज़ार कर रहे हैं।

(रेजीमों कुटप्पन की यह रिपोर्ट पहले the lede में प्रकाशित हो चुकी है।)

Next Story

विविध