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उत्तराखंड

उत्तराखंड सरकार का दावा, जंगल में भीषण आग की खबर फैलाने में विदेशी हाथ

Nirmal kant
27 May 2020 3:31 PM GMT
उत्तराखंड सरकार का दावा, जंगल में भीषण आग की खबर फैलाने में विदेशी हाथ
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अबतक सीमा पर तनाव की खबरें फैलाने में विदेशी हाथ की बातें आमतौर पर सरकारें किया करती थीं, लेकिन उत्तराखंड की भाजपा सरकार को जंगल में लगी आग की खबर में भी विदेशी हाथ नजर आ गए हैं...

जनज्वार। 'उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग से तबाही शुरू। उत्तराखंड के जंगलों में फैली आग ने लिया विकराल रूप..' आदि सनसनीखेज खबरें फर्जी हैं। यह सिर्फ राज्य को बदनाम करने की साजिश भर है। जंगल में आग की जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, वे कई साल पुरानी हैं। साथ ही इस फजीर्वाड़े में कुछ विदेशियों के भी शामिल होने की बात निकल कर सामने आ रही है। राज्य पुलिस ने इस तरह की फर्जी अफवाह फैलाने वालों की धरपकड़ के लिए कई टीमें बना दी हैं। जो भी आरोपी पकड़े जाएंगे, उन सभी के खिलाफ मुकदमा कायम करके उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।'

ह बात राज्य के पुलिस महानिदेशक (अपराध एवं कानून-व्यवस्था) अशोक कुमार ने आईएएनएस से बुधवार को फोन पर कही। वरिष्ठ आईपीएस अशोक कुमार ने कहा, दो-तीन दिन से देश में ऐसी अफवाहें उड़ाई जा रही हैं कि उत्तराखंड राज्य के जंगलों में आग लग गई है। आग इस कदर विकराल रूप धारण करती जा रही है कि वह राज्य के लिए मुसीबत बन सकती है।

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शोक कुमार ने आगे कहा, सोशल मीडिया के जरिए फैलाई जा रही इन खबरों को कथित रूप से पुष्ट करने के लिए लोग जंगल में आग की तस्वीरें भी वायरल कर रहे हैं। तथ्यों की जांच कराई गई तो पता चला कि यह सब महज कोरी अफवाह है। जिन तस्वीरों को दिखाया जा रहा है, वे पुरानी हैं। राज्य के जंगलों में इस वक्त कहीं भी इतनी भीषण आग का नाम-ओ-निशान नहीं है।

स तरह राज्य के जंगलों में भीषण आग भड़क उठने की खबरें क्यों और किस मकसद से फैलाई जा रही हैं? इन अफवाहों के फैलने से किसे लाभ मिलेगा? पूछने पर अशोक कुमार ने कहा, यह सिर्फ और सिर्फ कुछ शरारती तत्वों की हरकत है। यह महज एक माहौल खराब करने की कोशिश करने जैसी बात है, जिसे कानून की नजर में किसी भी कीमत पर उचित नहीं माना जा सकता है। यह एक गंभीर अपराध है। जांच के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं।



डीजी लॉ एंड ऑर्डर ने आगे कहा, राज्य पुलिस ने इन खबरों को गंभीरता से लिया है। इन फर्जी खबरों से के स्क्रीन शाट्स भी हमारी टीमों ने जुटाए हैं। तकनीकी सर्विलांस की मदद से हम आरोपियों तक पहुंचने के लिए दिन रात जुटे हैं। जल्दी ही हम अफवाह फैलाने वालों तक पहुंच जाएंगे। जब आरोपी पकड़ में आएंगे, तो इस तरह की अफवाहों को फैलाने के पीछे की असली वजह तभी साफ हो पाएगी।

शोक कुमार ने एक सवाल के जबाब में यह भी कहा, अब तक शुरुआती जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उनमें वायरल तस्वीरें पुरानी पाई गई हैं। वायरल की जा रही आग की तमाम तस्वीरें तो 2016 व सन् 2017 की हैं। प्रेस सूचना ब्यूरो ने भी अपनी फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच में इस मामले को फर्जी बताया है।

खिर इतने बड़े स्तर पर उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग फैलाने की साजिश कोई फोकट में क्यों रचेगा? पुलिस महानिदेशक ने कहा, इसमें कुछ विदेशी लोगों का हाथ होने की बात भी पता चल रही है। साथ ही ऐसे तथ्य भी सामने आए हैं कि राज्य के जंगलों में भीषण आग लगने की बे-सिर पैर की अफवाहें फैला कर कुछ लोग मोटी रकम वसूली करने की भी जुगत में थे। हालांकि पुलिस ने तुरंत एक्शन में आकर इन सभी षड्यंत्रों को जहां का तहां रोक दिया है। पुलिस के एक्टिव होते ही षड्यंत्रकारियों ने खुद को डी-एक्टिवेट और भूमिगत कर लिया है। इससे भी हालांकि वे कानून की नजरों से ज्यादा दिन दूर नहीं रह पाएंगे।

केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने भी भीषण आग की तस्वीरें पोस्ट की हैं। इसको लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने उनको जवाब में लिखा, प्रिय जितिन प्रसाद जी, आपको सुझाव है कि आप चिली और चीनी के जंगलों की आग की तस्वीरों को पौड़ी और देहरादून या चमोली आदि में से एक के रूप में साझा न करें। आपके द्वारा साझा की गई सभी तस्वीरें नकली हैं।



क दूसरे ट्वीट में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने लिखा, 'नामी-गिरामी हस्तियाँ "उत्तराखंड जल रहा है" जैसे एक भ्रामक दुष्प्रचार का हिस्सा बनी हैं। आप सभी से इतनी अपेक्षा है कि अपने नाम का इस तरह से दुरुपयोग न होने दें।'



ता दें कि 27 मई तक आग का दायरा 110.53 हेक्टेअर क्षेत्र तक पहुंच गया। इसमें गढ़वाल के 52.75 हेक्टेअर जंगल, कुमाऊं के 52.62 हेक्टेअर और वन्यजीव संरक्षित 5.16 हेक्टेअर क्षेत्र शामिल है। पिछले तीन दिनों (25,26,27 मई) में पौड़ी सिविल वन (28 हेक्टेअर), अल्मोड़ा (22 हेक्टेअर), रानीखेत मृदा संरक्षण (8.25 हेक्टेअर), पिथौरागढ़ (13.3 हेक्टेअर) समेत रुद्रप्रयाग, नई टिहरी, नैनीताल, बागेश्वर, रामनगर, मसूरी, लैंसडोन, अपर यमुना (देहरादून), गढ़वाल, बद्रीनाथ, राजाजी रिजर्व, कार्बेट रिजर्व, नंदादेवी नेशनल पार्क आग की चपेट में आए। आग से अब तक 2,85,805 रुपये के नुकसान का आंकलन किया गया। हालांकि इसके साथ ही जंगल में औषधीय वनस्पतियों, छोटे- छोटे जीव-जंतुओं का भी नुकसान होता है। जिसका आंकलन मुश्किल है।

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देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक 21-27 मई के बीच राज्य में ज्यादातर जगहों पर औसत तापमान सामान्य से 3-4 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। देहरादून में 21 मई को तापमान 37 डिग्री, 22 मई- 39 डिग्री, 23 मई- 39 डिग्री तक दर्ज किया गया। 24 मई को पारा 40 के उपर चला गया। 25,26,27 मई को भी तापमान 40 के कुछ उपर ही रहा। जबकि सामान्य तापमान 35 डिग्री के आसपास होता है। इसी दौरान राज्य के जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ीं।

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