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राजनीति

दिल्ली की जनता ने नहीं दिये वोट, क्या इसलिए '​बर्निंग दिल्ली' को देख चुप है कांग्रेस!

Prema Negi
25 Feb 2020 5:16 PM IST
दिल्ली की जनता ने नहीं दिये वोट, क्या इसलिए ​बर्निंग दिल्ली को देख चुप है कांग्रेस!
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सोशल मीडिया पर लोग कर रहे सवाल, क्या दिल्ली की हार का बदला ले रहा है कांग्रेस नेतृत्व, विपक्ष क्यों नहीं घेर रहा मोदी सरकार को और क्यों नहीं उठ रही कांग्रेस की तरफ से कड़ी कार्रवाई की मांग...

जनज्वार ब्यूरो दिल्ली। कल 24 ​फरवरी से दिल्ली जल रही है। अब तक 7 मौतें हो चुकी हैं। पथराव और आगजनी की घटनाएं बढ़ रही है। इसके बाद भी कांग्रेस का एक भी नेता इस वक्त दिल्ली के साथ खड़ा होता दिखायी नहीं दे रहा है। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या कांग्रेस दिल्ली से बदला ले रही है।

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विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मात्र सभी सीटों पर चार लाख वोट मिले है।। जिस तरह से चुनाव में दिल्ली ने कांग्रेस के प्रति उदासीनता दिखायी, अब इस समय भी वह वैसा ही कर ही है। कांग्रेस की ओर से 18 घंटे राहुल गांधी की ओर से एक ट्वीट किया गया था। इसमें उन्होंने दिल्ली की हिंसा की निंदा की थी। केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि शांतिपूर्वक प्रदर्शनकारियों के साथ हिंसा गलत है। राहुल गांधी के ट्वीट को ही कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने रिट्वीट किया है। दिल्ली में हिंसा पर कांग्रेस का बस यहीं प्रतिक्रिया भर है।

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कांग्रेस की समझ में नहीं आ रहा करें तो क्या?

राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर सज्जन सिंह कहते हैं कि इस वक्त कांग्रेस के नेताओं की स्थिति यह है कि उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि करें तो क्या? पार्टी में कोई आम राय नहीं है। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ने खुद को हाशिए पर ला खड़ा कर दिया है। होना तो यह चाहिए था कि कांग्रेस दिल्ली के साथ खड़ी होती। दिल्ली चुनाव हारने के बाद अलका लांबा ने एक ट्वीट किया था, इसमें उन्होंने कहा था कि हमारा कोई सांसद या विधायक नहीं है, फिर भी हम दिल्ली की आवाज बनेंगे और संघर्ष जारी रखेंगे। लेकिन अब जबकि दिल्ली को जरूरत है तो अलका लांबा भी नजर नहीं आ रही है।

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क्यों कांग्रेस सक्रिय नहीं हो पा रही है

इस सवाल के जवाब में सामाजिक कार्यकर्ता व पूर्व छात्र नेता धर्मबीर कहते हैं कि कांग्रेस के नेताओं ने कभी संघर्ष नहीं किया। वह ऐसे हालात से बचते रहते हैं। पार्टी सिर्फ ड्राइंगरूम की राजनीति करती है। ग्राउंड पर कांग्रेस ने ऐसा कुछ नहीं किया जिसे याद किया जा सके। यूं भी कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं का एक ही राजनीति मंत्र है, और वह यह है कि चुनाव के वक्त सक्रिय हो, बाकी समय आराम करो। अब क्योंकि चुनाव तो है नहीं, इसलिए कांग्रेस के नेता चुप है।

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कांग्रेस इसलिए खो रही है अपना ग्राउंड

हालांकि राजनीति के जानकार कहतें हैं कि यहीं वजह है कि कांग्रेस अपना आधार खो रही है। मतदाता के बीच पार्टी की पकड़ लगातार कमजोर हो रही है। क्षेत्रीय नेताओं के दम पर कांग्रेस टिकी हुई है। वह चाहे पंजाब हो या फिर हरियाणा। पंजाब में कांग्रेस की सरकार का श्रेय कैप्टन अमरेंदर सिंह को जाता है। हरियाणा में कांग्रेस के प्रदर्शन का श्रेय पार्टी की बजाय पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जाता है।

असमंजस से निकलना होगा कांग्रेस को

पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार सुखबीर सिंह कहते हैं कि कांग्रेस असमंजस में हैं। उन्हें इससे बाहर आना होगा। चुनाव में कांग्रेसी नेता बार बार एनआरसी के मुद्दे को उठाते रहे। लेकिन अब जबकि वास्तव में उन्हें अपना स्टैंड साबित करने की जरूरत है, कांग्रेसी नेता चुप हो गए हैं। कांग्रेस को चाहिए कि वह ऐसे मुद्दों पर अपना एक स्टैंड बनाए। इसके बाद ही पार्टी कोई निर्णय ले सकती है।

सीनियर नेताओं को करनी चाहिए पहल

एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि ऐसे मुद्दों पर कांग्रेस के सीनियर नेताओं को पहल करनी चाहिए। क्योंकि इससे पार्टी का रुख स्पष्ट होता है। इसके बाद स्थानीय नेता व कार्यकर्ता उसी दिशा में काम करते हैं। दिल्ली को लेकर जिस तरह से राहुल गांधी, सोनिया गांधी समेत तमाम नेता चुप है, इसलिए दिल्ली के स्थानीय नेता भी देखो और इंतजार करों की स्थिति में हैं।

चुप हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला भी

इस मसले पर जब जनज्वार ने कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला से संपर्क किया तो हर बार यही जवाब दिया गया कि वह मीटिंग में हैं। जैसे ही फारिग होंगे बात करा देंगे, लेकिन बार बार प्रयास के बाद भी उनकी ओर से इस मसले पर कोई जवाब नहीं दिया गया। यानी वह मीडिया के सवालों से बचना चाह रहे हैं।

सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं स्थानीय कांग्रेसी

दिल्ली हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ता सक्रिय होते नजर आ रहे हैं। पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने हिंस की कड़ी निंदा की है। उन्होंने गुजरात का हवाला देते हुए केंद्र सरकार को घेरने की भी कोशिश की है। लेकिन इसके बाद भी पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व अभी तक इस मामले में चुप्पी बनाए हुए हैं।

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