Dehradun News : 'चैंपियन' को हराने वाले निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा ने की राजनैतिक दल बनाने की घोषणा, स्टिंग कर गिरा चुके हरीश रावत सरकार
Dehradun News : 'चैंपियन' को हराने वाले निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा ने की राजनैतिक दल बनाने की घोषणा, स्टिंग कर गिरा चुके हरीश रावत सरकार
Dehradun News : खानपुर से चर्चित विधायक प्रणव कुमार चैंपियन की पत्नी को विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election) में हराकर निर्दलीय विधायक बने उमेश कुमार शर्मा (MLA Umesh Kumar Sharma) ने अब राज्य में अपना राजनैतिक दल (New Political Party) बनाने की घोषणा की है। यह ऐलान उमेश कुमार ने अपने सोशल मीडिया पेज पर किया है।
उत्तराखण्ड (Uttarakhand) की सम्मानित जनता के नाम ये खुला पत्र के नाम से उमेश ने लिखा है कि जैसा कि अब तक आप सभी तक सूचना पहुँच चुकी होगी कि आप सबके सहयोग और आकांक्षाओं के मुताबिक उत्तराखण्ड में एक बहुत ही सशक्त क्षेत्रीय पार्टी का आगाज होने जा रहा है।
अब राजनीतिक विश्लेषक इसके पोस्टमार्टम में जुट गए होंगे औऱ उनके बीच मे चर्चाएं शुरू हो चुकी होंगी कि बहुत सी क्षेत्रीय पार्टियां यहाँ बनी पर क्या हुआ ? राष्ट्रीय दलों का मुकाबला करना आसान नहीं ??
उमेश कुमार जीतकर आ गया तो अति महत्त्वाकांक्षी बनकर पार्टी बना रहा है ?? पार्टी बनाकर क्या हो जाएगा ??
ये जो तमाम सवाल हैं वह उठने बहुत ही लाजमी हैं। क्योंकि यह मानव का मनोविज्ञान ही ऐसा है जो हर विषय वस्तु पर सवाल उठाता है। उसके गुण व अवगुणों का तुलनात्मक अध्ययन करता है। ये होना बहुत जरूरी भी है।
खैर। बिना लागलपेट के सीधे मुद्दे की बात पर आता हूँ।
यह पार्टी कोई मेरी व्यक्तिगत पार्टी नही है। यह आप उत्तराखण्ड के युवाओं, मातृशक्ति, बुजुर्गों के लिए समर्पित एक विचारधारा है।
मैं कब तक हूँ ??
अजर, अमर तो नही हूँ। लेकिन जब तक हूँ। इस उत्तराखण्ड की माटी के लिए अपने खून पसीने को एक कर दूंगा पर न थकूंगा, न रुकूँगा औऱ न डरूंगा।
इस क्षेत्रीय दल की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि यहाँ कांग्रेस रूपी विपक्ष हमेशा मित्र विपक्ष की भूमिका में रहा है। वहीं कांग्रेस की विश्वसनीयता कम होती जा रही है। ना ही कांग्रेस ने आजतक क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर गम्भीरता से बात की है। क्योंकि इनका रिमोट कंट्रोल भी दिल्ली में है।
यूकेडी की हालात भी किसी से छुपे नही हैं। ऐसे में एक युवा ऊर्जा से भरपूर, क्षेत्रीय मुद्दों के लिए समर्पित पार्टी की आवश्यकता है।
उत्तराखण्ड के जल, जंगल, जमीन, रोजगार,
स्वरोजगार को लेकर इस क्षेत्रीय दल के पास विकास का ब्लू प्रिंट है जो धीरे धीरे आपके सामने होगा।
मैं आह्वान करता हूँ उत्तराखण्ड के उन नौजवान साथियों से कि आइये और सम्भालिए अपने इस माटी से जुड़े इस दल को । धारचूला से लेकर नीति माणा, जौनसार से लेकर तराई के इलाकों तक ये क्षेत्रीय दल जनता के मुद्दों के साथ मजबूती के साथ खड़ा रहेगा।
मैं आपको वचन देता हूँ कि यह क्षेत्रीय दल आम जन मानस के हितों की लड़ाई के लिए सदैव आगे रहेगा।
बाबा बदरी-केदार के आशीर्वाद और आप सब लोगो के सहयोग से मैं इतना आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आप इस क्षेत्रीय दल से जुड़कर ही उतराखण्डियत को महसूस कर पाएंगे औऱ जल्द हम इसका एक मॉडल आपके सामने रखेंगे।
कौन है उमेश कुमार ?
पूर्व में मीडिया से जुड़े रहे उमेश कुमार राज्य की राजनीति में एक सनसनी के तौर पर उस समय चर्चा में आए जब उन्होंने 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का स्टिंग ऑपरेशन (Harish Rawat Sting Operation) कर कांग्रेस सरकार को गिरवाकर राजनीति में भूचाल ला दिया था। हालांकि बाद में हरीश रावत की सरकार न्यायिक प्रक्रिया के कई चरणों से गुजरते हुए बच गई थी। लेकिन उमेश कुमार का नाम बच्चे बच्चे की जुबान पर आ गया था। बाद में उमेश भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार के निशाने पर भी रहे। त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगाए गए आरोपों के कारण उनके खिलाफ उत्तराखंड से लेकर झारखंड तक कई मुकदमें भी दर्ज हुए।
कोविड काल में भी वह व्यापक पैमाने पर पीड़ितों को मदद पहुंचाकर लोगों के तारणहार के रूप में सामने आए थे। इसी दौरान खानपुर के दबंग विधायक कुंवर प्रणव कुमार चैंपियन (Kunwar Pranab Singh Champion) की एक उत्तराखंड विरोधी टिप्पणी के कारण उमेश व कुंवर के बीच तीखी बहस के बाद कुछ ऐसी जंग छिड़ी कि उमेश ने खानपुर विधानसभा क्षेत्र में ही जाकर चैंपियन को राजनैतिक अखाड़े में उतरने की चुनौती दे डाली। लेकिन उस समय उमेश की इस चुनौती को राजनैतिक सहित सभी तबकों में एक मजाक से ज्यादा कुछ नहीं समझा गया। हर किसी का मानना था कि कहां पत्रकारिता से जुड़ा एक आदमी उमेश और कहां एक रियासत के विधायक प्रणव कुमार।
हालांकि कुंवर प्रणव कुमार चैंपियन की बदजुबानी के चलते भाजपा ने खानपुर विधानसभा से प्रणव को टिकट न देकर उनकी पत्नी देवयानी को चुनावी समर में उतारा था। लेकिन उमेश कुमार ने ताल ठोंकते हुए निर्दलीय पर्चा भरकर चुनाव लड़ना शुरू कर दिया। चुनावी मतगणना के दिन आए चुनाव परिणाम तक जिसकी दूर=दूर तक संभावना नहीं थी, वह परिणाम सामने आया। निर्दलीय उमेश कुमार न केवल कुंवर प्रणव कुमार चैंपियन की मांद में घुसकर चुनाव जीतकर विधायक बन चुके थे, बल्कि उनकी पत्नी मुख्य मुकाबले तक से बाहर रही थी। चुनाव में देवयानी तीसरे नम्बर पर आई थीं।