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राजनीति

सत्ता के हवाई जहाज पर बैठे मुलायम से जब मिले थे अमर सिंह, राष्ट्रीय पार्टी की राह से निकलकर ग्लैमर पार्टी बन गई सपा

Janjwar Desk
10 Oct 2022 9:33 AM GMT
सत्ता के हवाई जहाज पर बैठे मुलायम से जब मिले थे अमर सिंह, राष्ट्रीय पार्टी की राह से निकलकर ग्लैमर पार्टी बन गई सपा
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सत्ता के हवाई जहाज पर बैठे मुलायम से जब मिले थे अमर सिंह, राष्ट्रीय पार्टी की राह से निकलकर ग्लैमर पार्टी बन गई सपा

Mulayam Singh Yadav: कुछ लोग हमेशा यह दावा करते रहे कि भारतीय राजनीति में संसाधनों की बहुत ज़रूरत होती है और अमर सिंह इन्हें जुटाने में 'मास्टर' थे। वहीं राजनीतिक गलियारों में दबे-छिपे जो अटकलें लगायी जाती रही, वो ये कि 'मुलायम सिंह की किसी कमज़ोर नस को अमर सिंह बखूबी जानते थे...

Mulayam Singh Yadav : उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक समय ऐसा आया था जब मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय तमगा लेने की होड़ में थी। लेकिन इस पार्टी को मिले अति गर्वीले ठाकुर अमर सिंह ने रूपरेखा ही बदलकर रख दी। उन दिनों अमर सिंह राजनीति, ग्लैमर, मीडिया और फ़िल्म जगत के कॉकटेल का हिस्सा बन चुके थे। इसलिए जब वे कहते कि 'मेरा मुँह मत खोलवाइए, कोई नहीं बचेगा', तो सब वाक़ई चुप रहना ही बेहतर समझते थे।

अमर सिंह की कहानी भारतीय राजनीति में बीते दो दशक के दौरान किसी अमर चित्र कथा की तरह रही। वे एक दौर में समाजवादी पार्टी के सबसे प्रभावशाली नेता रहे, फिर पार्टी से बाहर कर दिये गए जिसके बाद भी उन्होंने ज़ोरदार वापसी की। इस दौरान गंभीर बीमारी और राजनीतिक रूप से हाशिए पर चले जाने के चलते वे कुछ समय तक राजनीतिक पटल से ग़ायब ज़रूर हुए लेकिन अपने पुराने रंग को उन्होंने कभी नहीं छोड़ा। इसी वजह से यह सवाल हमेशा उठता रहा कि 'आख़िर अमर सिंह में ऐसा क्या है जिसके चलते मुलायम सिंह का उन पर भरोसा हमेशा बना रहा?' बहरहाल, 1 अगस्त 2020 की शनिवार राज्य सभा सांसद अमर सिंह का 64 वर्ष की उम्र में लंबी बीमारी के बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था।

90 के दशक में मुलायम सिंह के संपर्क में आने वाले अमर सिंह को देश के नामचीन उद्योगपतियों में गिना जाता है, पर उनकी असल पहचान राजनीति के किंगमेकर के रूप में होती थी। समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व CM मुलायम सिंह यादव को सीएम की कुर्सी तक पहुंचाने वाले अमर सिंह 90 के दशक से ही यूपी के पावरफुल राजनीतिक चेहरों के रूप में जाने जाते थे। मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी रहे अमर सिंह एक समय समाजवादी पार्टी की नंबर दो पोजिशन के नेता रहे। अमर की सियासत का रसूख यह था कि एक जमाने में उन्होंने अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन से लेकर तमाम बड़े चेहरों को समाजवादी पार्टी के झंडे के नीचे खड़ा करा लिया था। एक जमाने में यूपी की राजनीति के नीति निर्धारण में उनका दखल आज भी लोगों के बीच जाना जाता है।

इस तरह हुई थी मुलायम से मुलाकात

अमर सिंह से मुलायम की मुलाकात तब हुई जब मुलायम सिंह यादव देश के रक्षामंत्री थे। साल 1996 में अमर सिंह और मुलायम सिंह एक जहाज में मिले थे। हालांकि अनौपचारिक तौर पर मुलायम और अमर की मुलाकात पहले भी हुई थी, लेकिन राजनीतिक जानकार कहते हैं कि फ्लाइट की उस मीटिंग के बाद से ही अमर और मुलायम की नजदीकियां बढ़ी थीं। बड़े उद्योगपति और पूर्वांचल के रसूखदार ठाकुर नेता के रूप में पहचाने जाने वाले अमर सिंह कुछ सालों में मुलायम सिंह के इतने खास बन गए कि उन्हें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद पर बैठा दिया गया। राजनीतिक जानकार कहतें है कि साल 2000 के आसपास अमर सिंह का समाजवादी पार्टी में दखल बढ़ा और टिकटों के बंटवारे से लेकर पार्टी के कई बड़े फैसलों में उन्होंने मुलायम के साथ प्रमुख भूमिका निभाई।

अमर से सपा तक 'कैश फॉर वोट' का कलंक

साल 2004 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो बैकडोर से एसपी कई फैसलों में उसके साथ खड़ी रही। कहा जाता है कि यूपीए कार्यकाल के दौरान कांग्रेस को कई फैसलों में जब भी संकट का अहसास हुआ, मनमोहन सिंह की सरकार ने एसपी से मदद मांगी। संसद की इस लॉबिंग में अमर सिंह प्रमुख भूमिका में रहे। बड़ी बात यह कि यूपीए कार्यकाल के दौरान सिविल न्यूक्लियर डील के फैसले के दौरान 'कैश फॉर वोट' जैसे बड़े मामलों में अमर सिंह का नाम भी आया। इसके छींटे समाजवादी पार्टी तक आए। हालांकि बाद में अमर इन आरोपों से बरी हो गए।

Who Is Amar Singh : कौन थे अमर सिंह

आजमगढ़ के तरवा इलाके में 27 जनवरी 1956 को जन्मे अमर सिंह पूर्वांचल के 'बाबू साहब' कहे जाते थे। ठाकुर वोटरों के बीच एक बड़े नेता के रूप में प्रशस्त हुए अमर ने भले ही अपना लंबा जीवन महाराष्ट्र के मुंबई शहर में बिताया हो, लेकिन पूर्वांचल की सियासत में अमर का दखल इस बात से ही सिद्ध था कि वह 90 के दशक में यहां के रसूखदार वीर बहादुर सिंह और चंद्रशेखर जैसे नेताओं के सबसे करीबी लोगों में एक कहे जाते थे। वीर बहादुर सिंह के कारण ही अमर सिंह की भेंट मुलायम सिंह यादव से हुई थी।

आजम और अमर सिंह के तल्ख रिश्ते

अमर सिंह के समाजवादी पार्टी से दूर होने की वजह एसपी के बड़े नेता आजम खान बने। आजम खान के बढ़ते रसूख ने अमर सिंह को समाजवादी राजनीति के हाशिये पर खड़ा किया। 2010 में आजम खान के बढ़ते प्रभाव के बीच ही मुलायम सिंह ने अमर सिंह को समाजवादी पार्टी से बाहर कर दिया। इसके बाद कुछ वक्त अमर राजनीति से दूर रहे। हालांकि साल 2016 में जब अमर सिंह को फिर राज्यसभा का सांसद बनाने का मौका आया तो उनके निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद एसपी ने उनका समर्थन कर उन्हें राज्यसभा भेजा। हालांकि इसके बावजूद कई मौकों पर एसपी नेता आजम खान और राज्यसभा सांसद अमर सिंह एक दूसरे के खिलाफ तमाम तल्ख बयान देते रहे।

समाजवादी को बनाया चमक-दमक वाली पार्टी

कभी 'धरती-पुत्र' कहे जाने वाले मुलायम सिंह और किसानों व पिछड़ों की पार्टी - समाजवादी पार्टी को आधुनिक और चमक-धमक वाली राजनीतिक पार्टी में तब्दील करने वाले अमर सिंह ही थे।चाहे वो जया प्रदा को सांसद बनाना हो, या फिर जया बच्चन को राज्य सभा पहुँचाना हो, या फिर संजय दत्त को पार्टी में शामिल करवाना रहा हो, ये सब अमर सिंह का करिश्मा था। उन्होंने उत्तर प्रदेश के लिए शीर्ष कारोबारियों को एक मंच पर लाने का भी प्रयास किया। एक समय में समाजवादी पार्टी में अमर सिंह की हैसियत ऐसी थी कि उनके चलते आज़म ख़ान, बेनी प्रसाद वर्मा जैसे मुलायम के नज़दीकी नेता नाराज़ होकर पार्टी छोड़ गए थे। लेकिन मुलायम का भरोसा अमर सिंह पर बना रहा। दरअसल, मुलायम-अमर के रिश्ते की नींव एचडी देवेगौड़ा के प्रधानमंत्री बनने के साथ शुरू हुई थी। देवेगौड़ा हिंदी नहीं बोल पाते थे और मुलायम अंग्रेजी। ऐसे में देवेगौड़ा और मुलायम के बीच दुभाषिए की भूमिका अमर सिंह ही निभाते थे। तब से शुरू हुआ ये साथ, लगभग अंत तक जारी रहा।

मुलायम के राज जो अमर सिंह के पास थे

कुछ लोग हमेशा यह दावा करते रहे कि भारतीय राजनीति में संसाधनों की बहुत ज़रूरत होती है और अमर सिंह इन्हें जुटाने में 'मास्टर' थे। वहीं राजनीतिक गलियारों में दबे-छिपे जो अटकलें लगायी जाती रही, वो ये कि 'मुलायम सिंह की किसी कमज़ोर नस को अमर सिंह बखूबी जानते थे।, अंबिकानंद सहाय ने एक बार कहा था, 'दरअसल मुलायम कभी अपना कोई काम ख़ुद से किसी को करने के लिए नहीं कह सकते। इतने लंबे राजनीतिक जीवन में उनकी ऐसी आदत ही नहीं रही। वे मंझे हुए राजनेता हैं, लेकिन राजनीति में उन्हें ढेरों काम करवाने भी होते हैं। एक दौर ऐसा भी था कि जिस किसी के काम को मुलायम करवाना चाहते थे, तो बस यही कहते थे कि अमर सिंह को बोल दूंगा, हो जाएगा।'

2016 में यूपी विधानसभा चुनाव से पहले इन सवालों के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार अंबिकानंद सहाय ने कहा था, "सबसे बड़ी वजह तो ये थे कि मुलायम सिंह अमर सिंह पर बहुत भरोसा करते थे। राजनीति में जिस तरह की ज़रूरतें रहती हैं, चाहे वो संसाधन जुटाने की बात हो या जोड़ तोड़ यानी नेटवर्किंग का मसला हो, उन सबको देखते हुए वे अमर सिंह को पार्टी के लिए उपयुक्त मानते थे। ये बात अपनी जगह बिल्कुल सही है कि अमर सिंह 'नेटवर्किंग के बादशाह' आदमी थे।' अमर-मुलायम के रिश्ते के बारे में वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार शरद गुप्ता कहते हैं, 'अमर सिंह की बात मुलायम कितना मानते थे, इसका उदाहरण है कि अखिलेश और डिंपल की शादी के लिए मुलायम पहले तैयार नहीं थे, लेकिन ये अमर सिंह ही थे जिन्होंने मुलायम को इस शादी के लिए तैयार किया।'

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