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विमर्श

RSS के ज्ञान विरोधी एजेंडे में भागीदार बनती अदालतें, जज ने कहा यज्ञ में गाय का घी डालने से होती है बारिश

Janjwar Desk
4 Sept 2021 1:01 PM IST
RSS के ज्ञान विरोधी एजेंडे में भागीदार बनती अदालतें, जज ने कहा यज्ञ में गाय का घी डालने से होती है बारिश
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 (कोर्ट ने कहा कि भारत में गाय को माता मानते हैं, यह हिंदुओं की आस्था का विषय है, आस्था पर चोट करने से देश कमजोर होता है)

दिनकर कुमार की टिप्पणी

जनज्वार। संघ परिवार देश में पिछले सात सालों से ज्ञान विरोधी एजेंडे को लागू करने में जुटा हुआ है। प्रधानमंत्री सहित भाजपा के नेता गण विज्ञान, भूगोल, इतिहास को तोड़-मरोड़कर अक्सर हास्यास्पद बयान देकर जनता को गुमराह करते रहे हैं। तर्क के स्थान पर उग्र हिन्दुत्व और मुस्लिम विद्वेष का प्रचार-प्रसार करना उनका उद्देश्य है। ऐसे ज्ञान विरोधी वातावरण में संविधान के प्रति जिम्मेदार अदालतों से निष्पक्षता की उम्मीद भी खत्म होती जा रही है। ऐसा लगता है न्यायपालिका का एक तबका संघ परिवार के इस एजेंडे में भागीदार बन चुका है। ऐसा होना लोकतंत्र के लिए अशुभ संकेत है।

हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने गाय को 'राष्‍ट्रीय पशु' घोषित करने की मांग की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव ने वैज्ञानिकों का हवाला देते हुए कहा था कि गाय एकमात्र ऐसा जानवर है, जो ऑक्सीजन लेती और छोड़ती है। उन्होंने यह भी कहा कि यज्ञ में गाय का घी डालने से बारिश होती है और पंचगव्य से गंभीर बीमारियां दूर होती हैं।

जस्टिस शेखर कुमार यादव (Justice Shekhar Kumar Yadav) ने हिन्दी में लिखे 12 पेज के फैसलों में कहा कि भारत में यज्ञ में आहुति में गाय के दूध से बने घी का उपयोग करने की परंपरा है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि इससे सूर्य की किरणों को व‍िशेष ऊर्जा मिलती है, जो अंतत: बारिश का कारण बनती है।

संबंधित खबर : गौमाता को लेकर हाइकोर्ट की बड़ी टिप्पणी : हिंदुओं का मौलिक अधिकार हो गाय की रक्षा, इन्हें घोषित करें राष्ट्र पशु

दरअसल, हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव ने ये टिप्पणी 59 वर्षीय एक व्यक्ति पर मुकदमे से जुड़े मामले में की है, जिसे इसी साल मार्च में गो हत्या के आरोप में उत्तर प्रदेश के संभल जिले से गिरफ्तार किया गया था। आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि गायें भारत की संस्कृति का हिस्सा हैं और गोमांस का सेवन किसी भी व्यक्ति का मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता है।

आर्य समाज के संस्‍थापक दयानंद सरस्‍वती के हवाले से जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा कि अपने जीवन में गाय 400 से ज्‍यादा लोगों को दूध देती है, जबकि उसके मीट से केवल 80 लोगों का पेट भरा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जीसस क्राइस्‍ट ने कहा था कि गाय और बैल को मारना एक इंसान को मारने जैसा है। यदि गाय को मारने वाले को छोड़ा गया तो वह फिर अपराध करेगा। हाईकोर्ट ने वैदिक, पौराणिक, सांस्कृतिक महत्व व सामाजिक उपयोगिता को देखते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया है। कोर्ट ने कहा कि भारत में गाय को माता मानते हैं। यह हिंदुओं की आस्था का विषय है। आस्था पर चोट करने से देश कमजोर होता है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि गोरक्षा का काम केवल एक धर्म संप्रदाय का नहीं है और न ही गायों को सिर्फ धार्मिक नजरिए से नहीं देखना चाहिए, बल्कि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति की रक्षा का कार्य देश के प्रत्येक नागरिक का है। कोर्ट ने कहा कि पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां सभी संप्रदायों के लोग रहते हैं। देश में पूजा पद्धति भले अलग-अलग हो, लेकिन सबकी सोच एक है। सभी एक-दूसरे के धर्म का आदर करते हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार की तरफ से मदरसों को फंड मिलने पर भी आपत्ति जताई। हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या पंथनिरपेक्ष राज्य धार्मिक शिक्षा के लिए फंड दे सकते हैं। न्यायमूर्ति अजय भनोट ने प्रबंध समिति मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते में सभी सवालों का जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने मदरसों पर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या कोई सेक्युलर स्टेट धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसे को फंड दे सकता है। मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की प्रबंध समिति ने कोर्ट में याचिका दायर की है। मदरसा मान्यता और सरकारी सहायता प्राप्त है। मदरसे ने अतिरिक्त पदों पर भर्ती की इजाजत मांगी थी जिसे सरकार ने खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ मदरसे ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर अब कोर्ट ने सरकार से सवाल पूछे हैं।

चार साल पहले राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने भी गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने का सुझाव दिया था। उन्होंने राष्ट्रीय पक्षी मोर के बारे में एक अलग ही नजरिया पेश किया था। जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने कहा था, 'जो मोर है, ये आजीवन ब्रह्मचारी होता है। वह कभी भी मोरनी के साथ सेक्स नहीं करता. इसके जो आंसू आते हैं, मोरनी उसे चुगकर गर्भवती होती है और मोर या मोरनी को जन्म देती है।'

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उन्होंने कहा कि था 'मोर ब्रह्मचारी है, इसलिए भगवान कृष्ण अपने सिर पर मोरपंख लगाते हैं। गाय के अंदर भी कई सारे दिव्य गुण हैं, जिन्हें देखते हुए इसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए।' गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव देने के अलावा जस्टिस शर्मा ने राजस्थान सरकार से कहा कि यह सुनश्चित किया जाए कि गोवध करने वालों को आजीवन कारावास की सजा दी जाए।

ऐसे कई उदाहरण हैं जो संघ परिवार और न्यायपालिका के बीच सांठगांठ की तरफ संकेत करते हैं। भारत के बहुलतावादी समाज और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को नजरंदाज करते हुए विज्ञान और लोकतंत्र विरोधी नजरिए को अपना कर अगर जज फैसले सुनाने लगेंगे तो फिर लोकतंत्र सिर्फ कागज में ही सिमटकर रह जाएगा।

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