मध्य प्रदेश में कोरोना से अब तक 2 डॉक्टरों की मौत, डरकर 50 डॉक्टरों ने दिया एक साथ इस्तीफा
अब प्रशासन के सामने चुनौती कोरोना से मरने वाले 2 डॉक्टरों के संपर्क में आये लोगों की लिस्ट निकालने की भी है, जो इनके पास इलाज के लिए आये होंगे, क्योंकि इस बीच बड़ी संख्या में मरीज आये होंगे इनके संपर्क में...
जनज्वार, भोपाल। मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों की संख्या सामने आ रही है। अन्य शहरों के मुकाबले यहां कोरोना ज्यादा तेजी से फैल रहा है। इससे डॉक्टर भी संक्रमित हो रहे हैं। अब तक यहां कोरोना मरीजों का इलाज करते हुए 2 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है। वहीं कोरोना से आतंकित हो एक साथ 50 डॉक्टरों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया है।
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डॉक्टरों के इतने बड़े पैमाने पर इस्तीफे पर सोशल मीडिया पर लोग कहने लगे हैं कि न सिर्फ शिवराज सरकार बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के सामने कोरोना की महामारी से लड़ना एक बड़ी चुनौती बन जायेगी। 2 डॉक्टरों की मौत भी शायद एक साथ इतने बड़े पैमाने पर इस्तीफे की वजह होगी। हालांकि एक दूसरा सच यह भी है डॉक्टरों की समाज में हो रही लिंचिंग और सुरक्षा उपकरणों के अभाव में कोरोना मरीजों के बीच रहना उनकी जान के लिए जोखिम बना हुआ है। कम से इस उदाहरण से सबक लेकर सरकार को कोरोना की महामारी से जंग लड़ते डॉक्टरों को पर्याप्त सुविधायें उपलब्ध करवानी चाहिए।
न सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि देश में कोरोना से मरने वाले पहले डॉक्टर डॉ. शत्रुघ्न पंजवानी हैं, जिनकी कल 9 अप्रैल को मौत हुई और आज 10 अप्रैल को डॉ ओमप्रकाश चौहान की मौत इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में हुई है। तीन दिन पहले हुए टेस्ट में उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आयी थी। जानकारी के मुताबिक डॉक्टर चौहान ने लॉकडाउन में भी क्लिनिक खोला हुआ था।
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वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के ग्वालियर जनपद में एक साथ 50 डॉक्टरों ने कोरोना के डर से अपना इस्तीफा हॉस्पिटल मैनेजमेंट को सौंप दिया है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक कोरोना की वजह से ही इन सभी डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। इतने बड़े पैमाने पर स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा इस्तीफे के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। हालांकि इन लोगों का इस्तीफा मंजूर नहीं किया जायेगा, क्योंकि राज्य में एस्मा लागू है। एस्मा के कारण जरूरी सेवाओं से जुड़े लोग ड्यूटी से पीछे नहीं हट सकते हैं। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इनलोगों ने पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
जानकारी के मुताबिक डॉ चौहान इंदौर के मरीमाता इलाके में अपना क्लीनिक चलाते थे। इसी दौरान तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें अरविंदो अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहो 3 दिन पहले उनकी जांच हुई। जांच में उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। कहा जा रहा है कि डॉ ओमप्रकाश चौहान शुगर और बीपी के मरीज थे।
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इंदौर में 2 दिन में 2 डॉक्टरों की मौत के बाद सवाल उठने लगे हैं कि आखिर खुद का क्लीनिक चलाने वाले ये दोनों डॉक्टरों को कोरोना कैसे हुआ। कहा जा रहा है कि क्लिनिक में दोनों डॉक्टर कोरोना संक्रमित लोगों के संपर्क में आए होंगे, क्योंकि वहां स्क्रीनिंग की तो कोई व्यवस्था नहीं थी। अब प्रशासन के सामने चुनौती इन डॉक्टरों के संपर्क में आये लोगों की लिस्ट निकालने की भी है, जो इनके पास इलाज के लिए आये होंगे। कहा जा रहा है कि इस दौरान बड़ी संख्या में दोनों मरीजों के पास इलाज के लिए आये थे।
देश में कोरोना से मरने वाले पहले डॉक्टर पंजवानी की रिपोर्ट भी 2 दिन पहले कोरोना पॉजिटिव आई थी। शहर में बड़े पैमाने पर कोरोना संक्रमण के बावजूद वह अपना प्राइवेट क्लिनिक चला रहे थे। डॉ. पंजवानी को लेकर पहले सोशल मीडिया पर अफवाह भी उड़ी थी कि ये कोरोना संक्रमित हैं, मगर उन्होंने बाद में एक वीडियो जारी कर कहा था कि मैं पूरी तरह से फिट हूं।
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इंदौर में बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए अब प्रशासन सख्त हुआ है। इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने घोषणा की है कि किसी भी शव यात्रा या जनाजे में अब पांच से ज्यादा लोग नहीं जाएंगे। ऐसा आर्डर कलेक्टर ने इसलिए जारी किया है क्योंकि शहर के टाटपट्टी बाखल में जो 20 केस सामने आये हैं, ये सभी कहीं और नहीं सिर्फ जनाजे में शामिल हुए थे। कलेक्टर ने यह भी आदेश दिया है कि अब अस्पताल में किसी भी व्यक्ति की मौत होती है तो वह सीधे श्मशान या कब्रिस्तान जाएगा। मरने वाले व्यक्ति को घर नहीं ले जाने दिया जायेगा, फिर चाहे मौत का कारण कोरोना न होकर कुछ और भी क्यों न हो।
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50 डॉक्टरों द्वारा कोरोना के कारण ग्वालियर के गजराजा मेडिकल कॉलेज से इस्तीफे के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। गौरतलब है कि गजराजा मेडिकल कॉलेज में तीन महीने के लिए 92 डॉक्टरों की नियुक्ति की गई थी। ये सभी 92 लोग जीआर मेडिकल कॉलेज से पासआउट थे। इनकी नियुक्ति अलग-अलग विभागों में अस्थाई रूप से की गई थी। प्रदेश को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने गजराजा मेडिकल सहित प्रदेश के दूसरे मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस इंटर्न करने वालों को अस्थाई रूप से नियुक्ति का आदेश दिए थे। संविदा पर नियुक्त इन डॉक्टरों की ड्यूटी सुपर स्पेशलिटी और आइसोलेशन वार्ड में लगाई गई थी। इस्तीफे के बाद संविदा पर नियुक्त 42 डॉक्टर ही यहां बचे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में कोरोना मरीजों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।