घर पहुंचने की जल्दी में गरीब-मजदूर सिलेंडर लदी गाड़ियों पर चढ़ने को मजबूर
सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर मौत का सफर भी करते देखे गए। कुछ मजदूर सिलेंडर से लदे ट्रक में बैठे तो कुछ मजदूर अन्य वाहनों में बैठकर गंतव्य को रवाना हुए...
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार। कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा 23 मार्च की राज को की थी, जिसके बाद से मजदूर वर्ग के बीच हड़कंप और अफरातफरी का माहौल है।
लॉकडाउन के बाद से दूसरे शहरों और राज्यों में फंसे लोग किसी भी कीमत पर अपने घरों को लौटना चाहते हैं। इसके लिए वह अपनी जिंदगी को दांव पर लगाने से भी गुरेज नहीं कर रहे। कई किलोमीटर का पैदल सफर करने के बाद जयपुर से आये कुछ लोग उन्नाव हाइवे पर खड़े दिखे।
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कोरोना की भयावहता के बीच गरीब मजदूर ऐसा इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि कहीं दिहाड़ी मजदूरी पर ही उनका रोज का चूल्हा जलता है तो कहीं मकानमालिक ने उन्हें घर से बाहर कर दिया है। कहीं ठिकाना न होने की हालत में एकमात्र सहारा उनका गांव है, जहां के लिए ये निकल पड़े हैं। इस दौरान कई मजदूरों की मौत भी हो चुकी है।
हाइवे पर मौजूद पुलिस वालों ने ट्रकों को रोक-रोककर इन मजदूरों को बैठाया। सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर मौत का सफर भी करते देखे गए। कुछ मजदूर सिलेंडर से लदे ट्रक में बैठे तो कुछ मजदूर अन्य वाहनों में बैठकर गंतव्य को रवाना हुए।
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त्रासदी के बीच जल्दी से जल्दी घर पहुंचने की आपाधापी में यात्री मौत का सफर तय करने से भी गुरेज नहीं कर रहे। मजदूरों ने जनज्वार संवाददाता को बताया कि उनकी जेब में ना पैसा है और ना ही उन्हें खाना ही नसीब हो रहा है।
देशभर में लॉकडाउन के एक हफ्ते बाद 30 मार्च को उन्नाव जिले के लखनऊ कानपुर हाइवे पर अजब सा नजारा देखने को मिला। यहां हाइवे पर जयपुर से आए सैकड़ों मजदूर घर जाने को बेबस दिखे। घर जाने की बेबसी इनके चेहरों पर साफ देखी जा सकती थी।
कानपुर से उन्नाव तक पैदल पहुंचे इन मजदूरों को रास्ते मे कहीं भी खाना और पानी तक नहीं नसीब हुआ। सोमवार 30 मार्च की देर शाम उन्नाव पुलिस ने हाइवे पर मौजूद इन मजदूरों की व्यथा जानी, जिसके बाद पुलिस ने ट्रकों को रोक रोककर किसी तरह कुछ मजदूरों को उस पर बैठाया।
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देशभर में लॉकडाउन घोषित होने के बाद कोई पैदल तो कोई साइकिल से सफर तय कर रहा है। समूह में चलने और ट्रकों आदि में सफर की पाबंदी के बाद हाईवे पर सफर करने वालों का नजारा देखने को मिल रहा है। वहीं कुछ मजदूर गैस सिलेंडर से लदी गाड़ी में बैठ गए। मौत से पहले मौत को दावत देते नजर आ रहे ये मजदूर अपने-अपने घरों को पहुंचने की जल्दी में ही नजर आ रहे थे।
पीड़ित मजदूरों ने जनज्वार से हुई बातचीत में कहा कि वे जयपुर से जैसे तैसे कानपुर तक पहुंचे हैं। कानपुर से पैदल ही मजदूर हाइवे से उन्नाव बाईपास तक पहुंचे।