शाहीनबाग में 4 माह के बच्चे की मौत पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त, पूछा क्या 4 माह का बच्चा खुद जाता है प्रदर्शन में
CAA विरोधी प्रदर्शन में शामिल 3 महिलाओं का पक्ष रखते हुए वकील ने कहा शाहीनबाग जैसे प्रदर्शनों में बच्चों को प्रदर्शन करने का हक है क्योंकि कई बच्चे CAA-NRC के चलते डिटेंशन सेंटरों में मर रहे हैं...
जनज्वार। शाहीनबाग में लंबे समय से CAA- NRC के खिलाफ आंदोलन चल रहा है, जिसमें बड़े पैमाने पर महिलायें शामिल हैं। यहां पिछले दिनों अपनी मां के साथ भीषण सर्दी में भी आंदोलन में शामिल हो रहे 4 माह के बच्चे की मौत हो गयी थी, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट की सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत मातृत्व का सम्मान करती है, मगर हमें यह बताया जाये कि क्या 4 महीने का बच्चा खुद आंदोलन करने जाता है।
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गौरतलब है कि आज 10 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान शाहीन बाग में CAA- NRC के विरोध में चल रहे धरने-प्रदर्शन मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन में 4 महीने के बच्चे की मौत पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था। गौरतलब है कि प्रोटेस्ट में शामिल बच्चे की मौत होने पर सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने शाहीनबाग में प्रोटेस्ट में शामिल होने वाले 4 महीने के बच्चे की मौत पर स्वत: संज्ञान वीरता पुरस्कार जीतने वाले एक बच्चे के पत्र के बाद लिया था।
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आज हुई सुनवाई के दौरान बच्चों के धरने-प्रदर्शन में शामिल होने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि 4 महीने के एक बच्चे की मौत सर्दी के चलते हो गयी। शाहीन बाग की तीन महिलाओं ने भी खुद का पक्ष रखे जाने की मांग कोर्ट से की थी। इन महिलाओं ने अपने वकील के जरिए अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि जब पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग एक प्रदर्शनकारी बनीं तब वह भी बच्ची ही थीं। इन तीनों महिलाओं ने कहा था कि उनके बच्चों को स्कूल में पाकिस्तानी कहा जाता है, इसलिए वे धरने में शामिल हो रहे हैं।
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वहीं इस मसले पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा किसी बच्चे को स्कूल में पाकिस्तानी कहा गया, यह कोर्ट के समक्ष आज की सुनवाई का विषय नहीं है। हम इस समय NRC, NPA या किसी बच्चे को पाकिस्तानी कहने पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं, बल्कि एक 4 माह के बच्चे की मौत पर सुनवाई बात कर रहे हैं। सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सख्त टिप्पणी की कि कोर्ट मदरहुड का सम्मान करती है, मगर हमें बताया जाये कि 4 महीने का कौन सा बच्चा खुद प्रोटेस्ट में शामिल होता है?
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सीजेआई एसए गोगोई ने कहा कि कोर्ट किसी की आवाज नहीं दबा रही है, मगर सुप्रीम कोर्ट में बेवजह की बहस नहीं की जायेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को निर्देश दिया है।
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गौरतलब है कि शाहीन बाग में CAA विरोधी प्रदर्शन में शामिल 3 महिलाओं का पक्ष रखने के लिए कई वकील मौजूद थे। जिन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि शाहीनबाग जैसे प्रदर्शनों में बच्चों को प्रदर्शन करने का हक है और कई बच्चे CAA-NRC के चलते डिटेंशन सेंटरों में मर रहे हैं।
इसके अलावा शाहीनबाग में प्रदर्शन के कारण रोड ब्लॉक होने पर न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने शाहीनबाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए दायर याचिकाओं पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद केन्द्र, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटस जारी कर कहा, ‘एक कानून है और इसके खिलाफ लोग हैं। मामला न्यायालय में लंबित है। इसके बावजूद कुछ लोग विरोध कर रहे हैं। वे विरोध करने के हकदार हैं।’
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सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘आप सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध नहीं कर सकते। इस तरह के क्षेत्र में अनिश्चितकाल के लिए विरोध प्रदर्शन नहीं हो सकता। यदि आप विरोध करना चाहते हैं, तो ऐसा एक निर्धारित स्थान पर होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि शाहीनबाग में लंबे समय से विरोध प्रदर्शन चल रहा है, लेकिन यह दूसरे लोगों के लिए असुविधा पैदा नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दूसरे पक्ष को सुने बगैर वह इस मामले में कोई निर्देश नहीं दे सकता।