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शाहीन बाग आंदोलन में सुरक्षा का सवाल इतना महत्वपूर्ण क्यों बनता जा रहा है ?

Nirmal kant
6 Feb 2020 1:57 PM IST
शाहीन बाग आंदोलन में सुरक्षा का सवाल इतना महत्वपूर्ण क्यों बनता जा रहा है ?
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शाहीन बाग में लगभग डेढ़ महीने से ज्यादा समय से सीएए-एनआरसी के खिलाफ व्यापक पैमाने पर आंदोलन चल रहा है जिसके बाद से आंदोलन वाले इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए गए हैं...

शाहीनबाग से विकास राणा की रिपोर्ट

जनज्वार। दिल्ली के शाहीनबाग में पिछले लंबे समय से CAA-NRC के खिलाफ आंदोलन चल रहा है जिसमें बड़ी संख्या में महिलायें भागीदारी कर रही हैं। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी शाहीनबाग अपने आंदोलन के चलते छाया हुआ है, वहीं लगातार 3 बार गोलीकांड होने के चलते भी शाहीनबाग चर्चाओं में है।

सके अलावा कल यूट्यूबर और दक्षिणपंथ से ताल्लुक रखने वाली गुंजा कपूर को शाहीन बाग में बुर्के पहन वीडियों बनाते हुए पकड़ा गया। गुंजा कपूर आंदोलन के बीच में जाकर वीडियो बना रही थीं जिसके बाद आंदोलनकारी महिलाओं ने उसे देखा तो हंगामा किया और उन्हें वहां से बाहर निकालने के लिए हल्ला मचा दिया। बाद में किसी तरह पुलिस ने गुंजा कपूर को बाहर निकाला और उनसे पूछताछ की।

गौरतलब है कि शाहीन बाग में लगभग डेढ़ महीने से ज्यादा समय से सीएए-एनआरसी (CAA-NRC) के खिलाफ व्यापक पैमाने पर आंदोलन चल रहा है जिसके बाद से आंदोलन वाले इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए गए हैं। आंदोलन तक जाने के लिए स्थानीय युवकों समेत खुद को आंदोलन का वॉलियेंटरर बताने वाले युवक मीडिया समेत अन्य लोगों को आंदोलन तक जाने के लिए सुरक्षा जांच के घेरे से होकर जाना पड़ रहा है।

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से में जामिया समेत शाहीन बाग में सुरक्षा के इंतजाम को बढ़ा दिया गया है। शाहीन बाग मेट्रो से शाहीन बाग धरनास्थल हो या फिर कालिंदी कुंज रोड़ तमाम रास्तों में स्थानीय लोगों समेत पत्रकारों को कड़ी सुरक्षा के घेरे में जांच के बाद ही प्रदर्शनकारियों तक जाने दिया जा रहा है। ऐसे में जब हम लोग आंदोलन स्थल में जाने के लिए पहुंचे तो शाहीनबाग आंदोलन वाले स्थान पर जाने वाली गली से ही सभी लोगों को जाने दिया जा रहा था।

सी दौरान वहां कुछ युवा खड़े थे। इनमें शामिल राशिद नाम का एक युवक खुद शाहीन बाग आंदोलन का वलियेंटर बताते हुए कहतें हैं कि मीडिया समेत सभी लोगों को बिना सुरक्षा जांच के अंदर नहीं जाने दिया जाएगा। जब राशिद से पूछा गया कि आप कौन हैं और आप को किसने अधिकार दिया है कि जांच की जानी चाहिए? तो ऐसे में राशिद ने कहा कि मैं यहां पर वालियेंटर हूं और लोगों की जांच करने का काम मुझे दिया गया है।

में खड़ा दूसरा युवक कहता है, 'पिछले दो हफ्ते में शाहीनबाग या जामिया में जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं। उससे यहां पर आंदोलन कर रही महिलाओं को खतरा है। इसलिए यहां पर जांच करना जरूरी हो गया है। नहीं तो कोई भी व्यक्ति हथियार लेकर अंदर आ सकता है। ऐसे में हमारा कर्तव्य बन जाता है कि हम जांच करें।'

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सा ही नजारा जामिया में गेट नंबर 7 के पास हो रहे आंदोलन का भी था। वहां भी हमले के बाद सुरक्षा को काफी ज्यादा बढ़ा दिया गया है। आंदोलन वाली जगह में युवकों ने जांच करने का जिम्मा अपने ऊपर लिया हुआ है।

आंदोलन वाली जगह में अंदर और बाहर जाने के लिए दो अलग-अलग रास्ते बना दिए गए हैं। इस दौरान जांच कर रहे एक युवक जिसका नाम अकरम था। बैग की जांच करते हुए जब उसे पता चलता है कि हम लोग मीडिया से हैं तो उसका कहना होता है कि आप लोग कुछ तो ठीक दिखा दीजिए। आप लोगों ने हमें देशदोह्री बना दिया है। हम लोगों के लिए ना ही रिपोर्टिग ठीक से की जा रही है, ना ही मीडिया जनता को सच दिखा पा रहा है। इसके बाद हम लोगों को अंदर तो जाने दिया गया लेकिन मीडिया को लेकर लोगों के अंदर किस तरह की नाराजगी थी वो साफ जाहिर हो रही थी।

स दौरान शाहीनबाग में जब हमारी टीम पहुंची तो बड़ी संख्या में महिलाओं के अलावा पंजाब से आए किसान भी मौजूद थे। कुछ किसान थककर सो गए थे तो कुछ आंदोलन में बैठी हुई महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिए नारे लगा रहे थे। गोलीबारी की घटनाओं के बाद मीडिया को बिना इजाजत लिए सीधा महिलाओं से बात नहीं करने दिया जा रहा है।

क महिला जो आंदोलन के बीच में ही थी। उन्होंने हमें रिपोर्टिग करने से रोकते हुए कहा कि आप मीडिया से हैं। बिना अनुमति के महिलाओं से यहां पर बातचीत नहीं की जा सकती है। जब उनसे पूछा गया कि किस तरह की अनुमति हम यहां पर लोगों से बातचीत करने के लिए आए हैं। तो उनका कहना था कि मीडिया जिस तरह से हम लोगों को दिखा रहा है और हाल के दिनों में जो तमाम घटनाएं हुई हैं। उसके बाद से मीडिया समेत अन्य लोगों को बिना अनुमति के अंदर नहीं घुसने दिया जाएगा।

का कहना था कि टेंट के पीछे से आपको हमारे अधिकारियों से अनुमति लिए जाने के बाद ही अंदर जाने दिया जा सकता है। मीडिया पर पांबदी को लेकर जब उनसे सवाल पूछा गया तो एक महिला ने कहा कि मीडिया जिस तरह का व्यवहार हम लोगों से कर रहा हैं वो पूरी तरह से गलत है। हम लोग यहां शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन मीडिया हमें 500-500 रुपए में लाई गई महिला बता रहा है। इसी दौरान जब हमने उनसे पूछना चाहा कि आप किस अधिकार से हमें अंदर नहीं जाने दे रही हैं। तो उन्होंने ये बताने से मना कर दिया इसके अलावा उन्होंने अपना नाम बताने से भी मना कर दिया।

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पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से दिल्ली आए पत्रकार अजय राय भी शाहीन बाग पहुंचे। अजय राय कहते हैं, ' मैं खुद शाहीन बाग आंदोलन के समर्थकों में हूं। सोचा जिस आंदोलन को लेकर इतना सुन रहा हूँ, एक बार उसे देख भी लूं। वहां गया भी, लेकिन शाहीन बाग में कल दोपहर जब मैंने आंदोलनकारी महिलाओं की तस्वीर लेनी चाही तो मुझे फ़ोटो लेने से ही रोक दिया गया। मैंने फोटो लेने की कोशिश की तो एक आदमी बोला, मोबाइल जेब में रख लो नहीं तो तोड़ दूंगा।'

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