पंजाब में जल्दी ही खत्म हो सकता है कंपनियों का लॉकडाउन, पर मालिकों ने रखी ये शर्त
पंजाब कोरोना कर्फ्यू के बीच उद्योपति अपनी इकाई शुरू करने को तैयार, सरकार के सामने रखी शर्त कि यदि कोई संक्रमित हुआ तो उन्हें जिम्मेदार न ठहराया जाए...
जनज्वार, चंडीगढ़। लगातार कर्फ्यू की वजह से पंजाब में सबकुछ बंद है। इसी बीच कुछ उद्योगतियों ने सरकार को पेशकश की है कि वह अपनी अपनी इकाई चलाने को तैयार हैं। यह तभी संभव होगा, यदि सरकार यह वादा करे कि यदि किसी तरह से संक्रमण फैल जाता है तो इसके लिए उद्योगपतियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। अभी तक सरकार क ओर से इस पर कोई रिस्पांस नहीं आया है।
संबंधित खबर : लॉकडाउन के बीच पंजाब में स्विगी और जोमैटो के जरिए घर-घर बहाल हो रही जरूरी सामान की आपूर्ति
पंजाब में कर्फ्यू की वजह से सारे उद्योग बंद हैं। मजदूर पलायन कर रहे हैं। कोरोना के केस भी बढ़ रहे हैं। इसी बीच यहां के कुछ औद्योगिक घरानों ने इकाई शुरू करने की सरकार के सामने पेशकश क है। उन्होंने कहा कि वे मजदूरों की देखभाल करेंगे। सरकार सुरक्षा के जो मापदंड तय करेगी वह उनका पालन करेंगे। फिर भी यदि कोई मजदूर COVID 19 से संक्रमित होता है, तो उन्हें जवाबदेह नहीं ठहराया जाना चाहिए।
यह भी पढ़ें : कोरोना वायरस के निशाने पर पंजाब: संदिग्धों की जांच में राष्ट्रीय औसत से 3 गुणा अधिक मामले आ रहे सामने
उद्योपतियों को इस वक्त कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनके पास कच्चा माल है। महंगी मशीनरी है। इसका संचालन करने के लिए उन्हें ट्रेंड मजदूर चाहिये। अब यदि मजदूर पलायन कर जाते हैं तो आने वाले दिनों में उद्योगपतियों के लिए मजदूरों का भी संकट पैदा हो सकता है।
यही वजह है कि उद्योगपति मजदूरों काे लेकर भी चिंतित हैं। अब उन्होंने सरकार से बोला है कि वे मजदूरों की हर तरह से मदद करने के लिए तैयार हैं। यहां तक की उन्हें भोजन, दवाओं और रहने के लिए जगह भी देंगे।
संबंधित खबर : मानवाधिकार संगठनों ने कहा, कोरोना महामारी की तुलना में बड़ा खतरा बन गई भारत की राज्य मशीनरी
फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री पंजाब के अध्यक्ष राहुल आहूजा इस मसले पर कहते हैं, हालांकि सरकार का ऐसा कोई आदेश नहीं है कि उद्योग चलाये जाएं, फिर भी यदि कुछ उद्योगपति उत्पादन को फिर से शुरू करते हैं, तो वे अपने मजदूरों की अच्छी देखभाल सुनिश्चित करेंगे। इस वक्त पंजाब में काफी मजदूर पलायन कर गये हैं। ऐसे में जो थोड़े बहुत मजदूर हैं, उनके साथ इकाई चलाना लाभदायक तो नहीं है, फिर भी यदि इकाईयों का संचालन शुरू होता है तो मजदूरों का पलायना रोका जा सकता है।
शांति प्लास्टिक के निदेशक दिनेश गुप्ता कहते है।, उनके पास चार इकाइयों में 38 कमरे हैं, जहां 70 से 80 श्रमिकों को रखा जा सकता है। हमारे पास कच्चा माल है। हम अपनी इकाई चलाना चाहते हैं। बस यही डर सता रहा है कि यदि कोई मजदूर बीमार पड़ गया तो सरकार इसके लिए मुझे ही जिम्मेदार ठहरा सकती है। ऐसे में हम क्या करेंगे।
संबंधित खबर : घर लौट रहे मजदूर के माथे पर पुलिस ने लिखा, ‘मैने लॉकडाउन का उल्लंघन किया, मुझसे दूर रहना’
उद्योगपति यह भी सलाह दे रहे हैं कि यह भी हो सकता है कि मजदूरों के रहने के लिए अलग से व्यवस्था की जाये। उन्हें सुबह काम के लिये कारखाने में लाया जाये, शाम को वाहन से वापस छोड़ दिया जाये। इस दौरान उनके स्वास्थ्य पर भी नजर रखी जाये। इस तरह की व्यवस्था से भी संक्रमण रोकने में मदद मिलेगी, काम भी चलता रहेगा।
इधर ईंट-भट्ठा संचालक भी अब काम शुरू करना चाह रहे हैं। इनका कहना है कि यदि इसी तरह से मजदूर वापस जाते रहे तो हालात सामान्य होने के बाद भी मजदूरों की काफी कमी का सामना करना पड़ सकता है। इस वजह से उत्पादन काफी समय तक बंद रह सकता है, इसलिये सरकार को चाहिए कि कोई बीच का रास्ता निकाला जाये। पंजाब में 2,700 ईंट-भट्ठे हैं।
यह भी पढ़ें : कोरोना संक्रमण का गढ़ बना पंजाब का नवांशहर जिला, 11 गांव किए गए सील
पंजाब ईंट-भट्ठा एसोसिएशन के महासचिव परवीन जिंदल कहते हैं, कोयले की कमी हो गयी है। दूसरी ओर मजदूर भी वापस जा रहे हैं। इस वजह से उनके सामने दोहरी समस्या है। हालांकि उद्योगपतियों की इच्छा पर अभी तक पंजाब सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया है।