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राजनीति

सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश उन्नाव गैंगरेप पीड़िता व परिजनों को सीआरपीएफ सुरक्षा और 25 लाख मुआवजा दे योगी सरकार

Prema Negi
1 Aug 2019 6:27 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश उन्नाव गैंगरेप पीड़िता व परिजनों को सीआरपीएफ सुरक्षा और 25 लाख मुआवजा दे योगी सरकार
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सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव गैंगरेप से जुड़े सभी पांच मामले किये दिल्ली ट्रांसफर और सुनवाई के लिए दी 45 दिन की डेडलाइन, योगी सरकार को फटकार लगाते हुए पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने तथा 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी दिया आदेश...

जेपी सिंह की रिपोर्ट

च्चतम न्यायालय ने उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता की 12 जुलाई को चीफ जस्टिस को लिखी चिट्ठी पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिए कि पीड़ित और उसके परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। इसके अलावा अंतरिम राहत के तौर पर 25 लाख मुआवजा भी दिया जाए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने दुष्कर्म पीड़िता से जुड़े सभी पांच मामले दिल्ली ट्रांसफर करने के आदेश दिए।

सके अलावा सीबीआई को निर्देश दिया कि सड़क हादसे की जांच 7 दिन के भीतर और बाकी मामलों की सुनवाई प्रतिदिन करके 45 दिन के भीतर पूरी की जाए। चीफ जस्टिस ने पीड़ित परिवार की चिट्ठी मिलने में देरी के मामले पर भी 7 दिन में जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं। चीफ जस्टिस की तरफ से नियुक्त उच्चतम न्यायालय के जज की निगरानी में ये जांच होगी, जिसमें पता लगाया जाएगा कि पीड़ित परिवार की चिट्ठी आखिर चीफ जस्टिस तक क्यों नहीं पहुंची।

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पीड़िता 28 जुलाई को परिवार के साथ कार से उन्नाव से रायबरेली जा रही थी, जब एक ट्रक ने सामने से टक्कर मार दी। हादसे में पीड़िता की मौसी और चाची की मौत हो गई। पीड़िता वेंटिलेटर पर है। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि इस हादसे की जांच के लिए आपको कितना वक्त चाहिए।

ब सॉलिसिटर जनरल ने एक महीने का वक्त मांगा तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि एक महीना नहीं, 7 दिन में जांच कीजिए। उच्चतम न्यायालय ने दुष्कर्म मामले से जुड़े घटनाक्रमों पर भी नाराजगी जताई और कहा कि इस देश में आखिर हो क्या रहा है? कुछ भी कानून के हिसाब से नहीं हो रहा।

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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को भी फटकार लगाई और कहा कि यूपी सरकार जल्द से जल्द पीड़िता को 25 लाख रुपये मुआवजा दे। पीड़िता की मां और उसके भाई-बहनों को सीआरपीएफ की सुरक्षा दी जाए। सरकार जल्द से जल्द इस आदेश का पालन करे और पीड़िता के गांव में मौजूद सभी परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। वहीं पीड़िता के वकील और उनके परिवार की सुरक्षा को लेकर भी कोर्ट ने निर्देश दिए।

चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान पूछा कि पीड़िता की स्थिति अभी कैसी है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि वह वेंटिलेंटर पर है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या उसे कहीं शिफ्ट किया जा सकता है? क्या उसे एयरलिफ्ट किया जा सकता है? हम एम्स से इस बारे में पूछ सकते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि पीड़िता की हालत अभी नाजुक है।

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गौरतलब है कि 12 जुलाई को चीफ जस्टिस गोगोई को लिखे गए पत्र में पीड़िता और उसकी मां ने सुरक्षा की गुहार लगाई थी। इसमें लिखा था कि उन लोगों पर एक्शन लिया जाए, जो उसे धमकाते हैं। लोग घर आकर केस वापस लेने की धमकी देते हैं। कहते हैं कि अगर ऐसा नहीं किया तो झूठे केस में फंसाकर जिंदगीभर जेल में बंद करवा देंगे। हालांकि यह चिट्ठी चीफ जस्टिस की जानकारी में नहीं लाई गई।

ज 1 अगस्त को हुई इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के सेक्रेटरी जनरल से इस बारे में सवाल किए। सेक्रेटरी जनरल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में हर महीने औसतन 5 हजार पत्र आते हैं। रजिस्ट्री को जुलाई में 6,900 लेटर मिले हैं। इनमें से 1,100 पत्र याचिकाएं थीं। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक इनकी स्क्रीनिंग की गई थी। इस मामले में रजिस्ट्री को पीड़िता के नाम तक की जानकारी नहीं मिली।

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गौरतलब है कि पीड़िता से 2017 में सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और अन्य ने नौकरी दिलाने के बहाने लड़की से सामूहिक बलात्कार किया। पीड़िता उस वक्त नाबालिग थी। बाद में पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। आरोप है कि उसके पिता से विधायक ने ही मारपीट की थी। पिता की मौत के बाद पीड़िता ने लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की थी। इसके बाद एसआईटी को जांच सौंपी गई थी। अभी जांच सीबीआई के पास है। इस बीच, बुधवार 31 जुलाई को भाजपा ने विधायक सेंगर को अपनी पार्टी से निष्कासित कर दिया। सेंगर अभी जेल में है।

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सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने दुष्कर्म मामले की जानकारी ली। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि दुष्कर्म से जुड़े मामले में 4 एफआईआर हुई थीं। ये आरोपियों और पीड़ित पक्ष ने एकदूसरे के खिलाफ दर्ज कराई हैं। पांचवीं एफआईआर रायबरेली में हुए कार एक्सीडेंट से जुड़ी है। पांच में से तीन मामलों में चार्जशीट दायर हो चुकी है।

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