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दिल्ली

Gujrat Riots: जाकिया जाफरी ने पीएम मोदी को मिली क्लीन चिट को दी चुनौती, SIT की जांच पर जताई आपत्ति

Janjwar Desk
11 Nov 2021 11:37 AM IST
Gujrat Riots: जाकिया जाफरी ने पीएम मोदी को मिली क्लीन चिट को दी चुनौती, SIT की जांच पर जताई आपत्ति
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2002 दंगों में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ जाकिया जाफरी ने SIT पर उठाए सवाल


Gujrat Riots: जाकिया जाफरी के पक्ष से वकील कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि, "2002 दंगे के पीछे गुजरात की तत्काल सरकार के बड़े लोगों और प्रशासन का हाथ था। एसआईटी केवल आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रही थी।"

Gujrat Riots: गुजरात दंगा मामले में एसआईटी(Special Investigation Team) की जांच से असंतुष्ट कांग्रेस मंत्री अहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी द्वारा सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। उच्चतन न्यायालय में जाकिया जाफरी(Jakiya Jafri) की तरफ से कहा गया कि दंगों में मारे गए लोगों के जले शवों की तस्वीरें ली गईं और उनके जरिए घृणा फैलान की कोशिश की गई। मामले की सुनवाई के दौरान जाफरी के वकील कपिल सिब्बल(Kapil Sibbal) ने कोर्ट से कहा कि दंगों की भूमिका तब बनाई गई जब हिंसा में मारे गए कारसेवकों के जले शवों को इलाके में घुमाया गया और उनका प्रदर्शन किया गया। गौरतलब है कि वर्ष 2002 की गुजरात हिंसा के दौरान अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में उनका निधन हो गया। उनकी पत्नी जाकिया जाफरी का आरोप है कि उनके पति एहसान जाफरी की मृत्यु के लिए गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं।

गुजरात हिंसा के दौरान राज्य के सीएम और वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दंगा मामले में एसआईटी ने क्लीन चिट दे दी, जिसके खिलाफ जकिया जाफरी और द सिटिजन फॉर जस्टिस ऐंड पीस नाम के एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी है। जाकिया जाफरी के पक्ष से वकील कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि, "2002 दंगे के पीछे गुजरात की तत्काल सरकार के बड़े लोगों और प्रशासन का हाथ था।" सिब्बल ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ से कोर्ट में कहा, "एसआईटी केवल आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रही थी। कार सेवकों के शव पर गुजरात प्रशासन और वीएचपी के बाहुबलियों की तरफ से जो राजनीति की गई, उसी वजह से इतनी हिंसा हुई। शवों का पोस्टमॉर्टम जब प्लेटफॉर्म पर ही हो गया था तो उन्हें या तो परिजनों को सौंपना चाहिए था या फिर दफनाना चाहिए था।"

बता दें कि कांग्रेस के भूतपूर्व सासंद एहसान जाफरी (Ahsan Jafri) और अन्य लोगों की हत्या अहमदाबाद(Ahmedabad) की गुलबर्ग सोसाइटी में हुए नरसंहार के दौरान हुई थी। एहसान की पत्नी जाकिया का आरोप है कि मदद की मांग करने के बावजूद प्रशासन ने उनकी बात नहीं सुनी। जाकिया जाफरी ने तत्कालीन सीएम मोदी पर साजिश के तहत हत्या का आरोप लगाया था। मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का गठन किया। एसआईटी ने 8 फरवरी, 2012 को नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों सहित कुल 63 लोगों को क्लीन चिट(Clean-chit) देते हुए मामला बंद करने के लिए 'क्लोजर रिपोर्ट' दाखिल की और कहा कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने योग्य कोई सबूत नहीं था। जाकिया जाफरी ने 2018 में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर गुजरात उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर 2017 के आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने एसआईटी के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

वहीं, गुजरात दंगों के मामलों की जांच करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि जकिया जाफरी की शिकायत की गहनता से जांच की गई, जिसके बाद यह निष्कर्ष निकला कि इसे आगे बढ़ाने के लिए कोई सामग्री नहीं है। एसआईटी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि जकिया जाफरी की शिकायत की गहनता से जांच की गई और बयान दर्ज किए गए।

जाकिया जाफरी दिवंगत कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी हैं जिनकी 28 फरवरी 2002 को गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान अहमदाबाद स्थित गुलबर्ग सोसाइटी में हत्या कर दी गई थी। इस हिंसा में एहसान जाफरी सहित 68 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना से ठीक एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express) के एक डिब्बे में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी और गुजरात में दंगे हुए थे।









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