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राजनीति

उन्नाव रेप पीड़िता दुर्घटना मामले में सीबीआई की चार्जशीट में सेंगर का नाम शामिल, मगर हत्या का आरोप नहीं

Prema Negi
12 Oct 2019 5:35 AM GMT
उन्नाव रेप पीड़िता दुर्घटना मामले में सीबीआई की चार्जशीट में सेंगर का नाम शामिल, मगर हत्या का आरोप नहीं
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सीबीआई ने अपनी पहली चार्जशीट में भाजपा के निष्कासित विधायक और उन्नाव रेप केस में बलात्कार आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर और अन्य सभी आरोपियों को आपराधिक साजिश रचने एवं डराने-धमकाने से संबद्ध आइपीसी की धाराओं के तहत बनाया है आरोपी, मगर हटा दिया है हत्या का आरोप...

जेपी सिंह की रिपोर्ट

सीबीआई ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता दुर्घटना मामले में अपने पहले आरोप पत्र में भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उसके अन्य सहयोगियों के खिलाफ शुक्रवार 11 अक्टूबर को हत्या के आरोप हटा दिए। इस हादसे में पीड़िता की दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी। लखनऊ में विशेष सीबीआई अदालत में दाखिल अपने पहले आरोपपत्र में सीबीआई ने प्राथमिकी में नामजद सेंगर और अन्य सभी आरोपियों को आपराधिक साजिश रचने एवं डराने-धमकाने से संबद्ध भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत आरोपी बनाया है।

सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में सेंगर और नौ अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश, हत्या, हत्या के प्रयास और आपराधिक धमकी से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष दायर अपने आरोपपत्र में सीबीआई ने सेंगर और अन्य सभी नामजद आरोपियों पर आपराधिक साजिश और धमकी से संबंधित आरोप लगाए, जबकि ट्रक चालक आशीष कुमार पाल पर तेज रफ्तार और लापरवाही से वाहन चलाने के आरोप हैं।

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सीबीआई के आरोप पत्र में क चालक आशीष कुमार पाल के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने का कोई आरोप नहीं लगाया गया है। सीबीआई ने उत्तर प्रदेश सरकार से कुछ अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की सिफारिश की है, लेकिन उनकी पहचान उजागर नहीं की।

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गौरतलब है कि हादसे के समय उन्नाव रेप पीड़िता की सुरक्षा में तैनात उत्तर प्रदेश पुलिस का कोई सुरक्षाकर्मी उसके साथ नहीं था। इन सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। हादसे के दो दिन बाद सीबीआई ने 30 जुलाई को सेंगर, उसके भाई मनोज सिंह सेंगर, उत्तर प्रदेश के एक मंत्री के दामाद अरुण सिंह और सात अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

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रअसल भाजपा से निष्काषित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर वर्ष 2017 में कथित रूप से नाबालिग के साथ बलात्कार का आरोप है। इस मुकदमे के सिलसिले में बीती 28 जुलाई को पीड़िता, उसके वकील व परिवार के अन्य सदस्य रायबरेली जा रहे थे। तभी उनकी कार को एक ट्रक टक्कर मार दी थी। इसमें पीड़िता की चाची व मौसी की मृत्यु हो गई थी। पीड़िता व उसका वकील गंभीर रुप से जख्मी हुए थे। पीड़िता व उसके वकील को एम्स लाया गया था। पीड़िता ने सीबीआई के साथ हुए हादसे के पीछे सेंगर का हाथ बताया था। पिछले महीने एम्स से छुट्टी मिलने के बाद उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर पीड़िता अपने परिवार के साथ सीआरपीएफ सुरक्षा में है।

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अपहरण कर तीन लोगों ने नौ दिन तक किया बलात्कार

सीबीआई ने शुक्रवार को दिल्ली की अदालत को बताया कि उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता का 2017 में कथित रूप से अपहरण करने के बाद तीन लोगों ने अलग-अलग जगहों पर नौ दिन तक उसका बलात्कार किया और उस समय वह नाबालिग थी। यह मामला निष्कासित भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा 2017 में महिला के कथित बलात्कार के मामले से अलग है। बंद कमरे में हुई अदालत की कार्यवाही के दौरान जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने सामूहिक बलात्कार मामले में सीबीआई द्वारा दायर आरोप पत्र का संज्ञान लिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 15 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध किया।

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सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 363 (अपहरण), 366 (अपहरण या महिला को शादी के लिए मजबूर करना), 376 डी (एक से अधिक लोगों द्वारा यौन उत्पीड़न) और बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) की धाराओं तीन और चार (बलात्कार एवं सजा) के तहत आरोपियों के रूप में तीन लोगों, नरेश तिवारी, बृजेश यादव और शुभम सिंह को नामजद किया है। इन आरोपों के तहत अपराध तय होने पर अधिकतम उम्रकैद का प्रावधान है।

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न्नाव में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए बलात्कार पीड़िता के बयान के हवाले से सीबीआई ने कहा कि 11 जून 2017 को वह रात में पानी लेने अपने घर से बाहर निकली थी जब कुलदीप सिंह सेंगर और तिवारी ने तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर उसे एक कार में खींच लिया। आरोप पत्र के अनुसार कुछ दूर जाने के बाद कुलदीप सिंह सेंगर और तिवारी ने कार में उसका बलात्कार किया। इसमें कहा गया है कि उसे कानपुर जाने के मार्ग में पड़ने वाले एक मकान में ले जाया गया जहां चेहरा ढके दो अज्ञात लोगों ने उसका कथित रूप से बलात्कार किया। आरोप पत्र के अनुसार दो-तीन दिन बाद उसे यादव के घर लाया गया जहां उसने उसका कथित बलात्कार किया। इसके दो दिन बाद उसे उत्तर प्रदेश के औरैया जिले ले जाया गया, जहां वह पुलिस को मिली।

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जांच में सीबीआई ने बताया कि बलात्कार पीड़िता का 12 जून के बजाए 11 जून को अपहरण किया गया, क्योंकि कुलदीप सिंह सेंगर सिंह और तिवारी 11 जून को उस जगह पर नहीं थे। आरोप पत्र के अनुसार हालांकि महिला ने तिवारी के दिए किसी भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से इनकार किया है, लेकिन जांच में खुलासा हुआ कि उसने फोन का इस्तेमाल किया था। इसमें बताया गया है कि तीन अन्य आरोपियों के बारे में पूछताछ किए जाने पर महिला ने बताया कि उसने वकील मनोज सेंगर के धमकाने के कारण उनका नाम लिया था। सीबीआई ने कहा कि अन्य आरोपियों की भूमिका का पता लगाने के लिए जांच जारी है। एजेंसी मामले की जांच के तहत 103 गवाहों से पूछताछ करेगी। इस मामले को उच्चतम न्यायालय के आदेश पर राष्ट्रीय राजधानी स्थानांतरित किया गया है।

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सीबीआई द्वारा कुलदीप सिंह सेंगर को हत्यारोपी न बनाये जाने के बाद राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि ऐसा उसे बचाने के लिए किया जा रहा है। हो सकता है कुछ दिन बाद उस पर से बलात्कार के आरोप भी खारिज कर दिये जायें।

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